प्रेम व शांति का संदेश देता है क्रिसमस का त्योहार

परमेश्वर द्वारा धरती पर इन्सानी रूप में भेजे गए पैगम्बरों और अवतारों में से एक हैं प्रभु यीशू मसीह। प्रभु यीशू मसीह की आमद से 700 वर्ष पहले यशाया नबी ने मसीह के बारे में भविष्यवाणी की थी जिसके बारे में पवित्र बाईबल में इस तरह लिखा गया है कि प्रभु अर्थात परमेश्वर तुम्हें एक निशान देगा। एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी। उसका नाम इमानुएल रखेंगे। इस भविष्यवाणी की पुष्टि युहन्ना नबी ने मसीह के जन्म के समय की। युहन्ना नबी ने कहा, शब्द देहधारी हुआ है। इसका वर्णन मसीह के जन्म से हजारों वर्ष पहले लिखी गई पवित्र बाईबल की प्राचीन पुस्तक में किया गया है। इस में ऐसा लिखा गया है कि आदि में शब्द था। शब्द परमेश्वर के साथ था। शब्द ही परमेश्वर था। यहां शब्द प्रभु यीशू मसीह के लिए प्रयोग किया गया था। कैसर ऑगस्तस की हुकूमत में बादशाह हैरोदीस अपने आप को परमेश्वर कहता था, और अपनी प्रजा पर बेहद ज़ुल्म ढा रहा था। उस समय परमेश्वर ने उन मज़लूम लोगों को हैरोदीस के ज़ुल्मों से राहत दिलवाने के लिए अपने  प्यारे बेटे यीशू मसीह को इस संसार में भेजा। जैसे परमेश्वर आदि अर्थात शुरू से है, उसी तरह मसीह भी है जिसका न कोई आरंभ है और न कोई अंत है। वह अद्वितीय है। 
जब यूसुफ सोच में डूबा हुआ था तो परमेश्वर के एक दूत ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा, हे यूसुफ, तू अपनी मंगेतर मरियम को घर लाने से न डर क्योंकि जो उसकी कोख में है, वह पवित्र आत्मा है। वह पुत्र जनेगी। तू उसका नाम यीशू रखना। वह अपने लोगों को पापों से बचाएगा। यह सब इस लिए हुआ कि जो प्रभु ने नबी की जुबानी कहा था, वह पूरा हो। उन दिनों जब मरियम गर्भवती थी तो कैसर ऑगस्तस की हुकूमत द्वारा रायशुमारी के लिए यरुशलम के शहर बैतलहम जाकर अपना नाम लिखवाने के लिए कहा गया जिसके तहत मरियम और यूसुफ को वहां जाना पड़ा। वहां उनको ठहरने के लिए कोई जगह न मिलने पर उनको तबेले में ठहरना पड़ा। वहां प्रभु यीशू का जन्म हुआ। जब यीशू का जन्म हुआ तो आसमान पर एक रूहानी सितारा दिखई  दिया जिसकी रोशनी को देखकर सारा संसार जगमगा उठा। इस रूहानी सितारे की चकाचौंध-रोशनी को देखकर संसार की चारों दिशाओं से भविष्यवक्ताओं ने अपने ज्योतिष ज्ञान द्वारा पता लगाया कि यह हस्ती कहां पैदा हो सकती है। चारों ज्योतिषी अपने-अपने देश से उस महान हस्ती (यीशू) की तलाश में निकल पड़े। इस तलाश में रूहानी सितारे ने उनकी सहायता की ।
यीशू मसीह 33 वर्ष तक इस दुनिया में रहे। उन्होंने अपने जीवन काल में अनेक आश्चर्यजनक कार्य किए। अगर प्रभु यीशू मसीह की शिक्षाओं पर नज़र डाली जाए तो ये इतनी सरल हैं कि आम आदमी उनको ग्रहण करके अपना जीवन रूहानी बना सकता है। उनके उपदेश बहुत ही प्रभावशाली हैं। उन्होंने अपने उपदेशें में इन्सान को अपने आप को पहचानने के लिए बहुत ही सरल ढंग से कहा कि हे इन्सान, तू किसी की आंख का तिनका ढूंढने से पहले अपनी आंख का शहतीर अवश्य देख अर्थात किसी के बारे में  टिप्पणी करने से पहले अपने चरित्र पर नज़र डाल। उन्होंने किसी को क्षमा कर देने को सबसे बड़ा धर्म कहा। उन्होंने बदले की भावना को मन से निकालने की प्रेरणा दी। उन्होंने  एक सामरी औरत जो उस समय की सबसे निचली जाति की कहलाती थी, से पानी पीकर ऊंच-नीच व छुआ-छूत के भेदभाव को खत्म करने का संदेश दिया। उन्होंने प्रेम, सद्भाव, आपसी भाईचारे और एकता का संदेश संसार में रहने वाले हर व्यक्ति को दिया। परमेश्वर ने संसार से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया।

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