राजस्थान में खनन माफिया पर बड़ी कार्रवाई

अवैध खनन किसी एक प्रदेश में नहीं, अपितु समूचे देश में नासूर बनता जा रहा है। देश के लगभग हर कोने से आए दिन अवैध खनन के समाचार देखने को मिल जाते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में बजरी के अवैध खनन और परिवहन के समाचारों के साथ ही बजरी माफिया के कारण आये दिन होने वाली दुर्घटनाएं आम हैं। बेशकीमती खनिजों का अवैध खनन आम बात हो गई है। अवैध खनन गतिविधियों के चलते सरकारों को कई मोर्चों पर जूझना पड़ता है। एक तो अवैध खनन, उपर से खनन माफिया की सरेआम दादागिरी, सरकार को राजस्व का नुकसान, तो खनन सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करने से आये दिन होने वाली दुर्घटनाएं और खनिज परिवहन के दौरान छिपने-छिपाने के चक्कर में लोगों की जान लेने का खेल अलग। अवैध खनन गतिविधियों और खनन माफिया की दादागिरी के कारण राज्य सरकारों को आये दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है, परन्तु इसका हल निकालने के लिए सरकारों द्वारा ठोस प्रयास नहीं किये जाते। ऐसे में राजस्थान में भाजपा की भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा सत्ता संभालते ही अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ  जिस तरह से अभियान चलाकर ठोस कार्रवाई की गई है, वह वास्तव में वर्तमान राजनीतिक माहौल में साहसिक कार्य है। हालांकि सरकारों की इच्छा-शक्ति हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं हो सकता। राजस्थान की सरकार की पहल को इसलिए भी सराहनीय माना जा सकता है कि बिना समय गंवायें सरकार ने अभियान चलाकर कार्रवाई करने का निर्णय किया और जनभागीदारी तय करने से परिणाम और भी बेहतर प्राप्त हो सके। यह अन्य प्रदेशों के लिए भी प्रेरणास्पद हो सकता है। 
यह राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार की इच्छा-शक्ति और अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ  ज़ीरो टॉलरेंस की नीति का ही परिणाम रहा कि सरकार ने कार्यभार संभालते ही बड़ी पहल करते हुए प्रदेश में 15 जनवरी से 31 जनवरी, 24 तक राज्य-व्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया। प्रदेश भर में अवैघ खनन गतिविधियों के खिलाफ  ताबड़तोड़ कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया। अवैध खनन के खिलाफ  अभियान केवल खाना पूर्ति बन कर नहीं रह जाये, इसलिए अवैध खनन की जड़ पर प्रहार करने पर ज़ोर दिया गया। अभियान के दौरान अवैध खनिज परिवहन करते वाहनों की पकड़ा-पकड़ी तक ही सीमित नहीं रह कर स्रोत को खोजने और उस पर कार्रवाई करने पर बल देने के साथ मशीनों और उपकरणों को ज़ब्त करने पर बल दिया गया। जिला कलैक्टरों को पांच विभागों—माइंस, राजस्व, परिवहन, पुलिस और वन विभाग के संयुक्त अभियान के संचालन, मोनेटरिंग, समन्वय की ज़िम्मेदारी दी गई। इससे पुलिस व प्रशासन की सक्रिय भागीदारी भी तय हो सकी। 
अभियान को आंकड़ों में समझा जाएं तो अवैध खनन गतिविधियाें के खिलाफ  राज्यव्यापी अभियान के दौरान 2643 स्थानों पर कार्रवाई की गई, इसमें भी व्यापक स्तर पर अवैध खनन स्थलों पर 613 कार्रवाई हुई। पुलिस में 564 प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई और इन अवैध खनन गतिविधियों में लिप्त 264 लोगों की गिरफ्तारी हुई। 12 करोड़ 62 लाख से अधिक का अढ़ाई लाख टन से ज़्यादा अवैध भण्डारित खनिज जब्त किया गया। 54 एक्सक्वेटर, 69 जेसीबी, 6 क्रेन और 1773 वाहनों को ज़ब्त किया गया। मौके पर ही 12 करोड़ 76 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूल कर सरकारी खजाने में जमा कराया गया। इसके साथ ही गोपनीय सूचनाओं से प्राप्त जानकारी पर दूसरे ज़िलों के अधिकारियों की टीम को भेज कर कार्रवाइ की गई और करोड़ों रुपयों का जुर्माना लगाया गया। कई कार्रवाइयों में तो जिला कलैक्टर स्वयं मौके पर पहुंचे। सवाल आंकड़ों का नहीं है। सवाल सरकार के गुणगान का भी नहीं है, अपितु सवाल सरकार की इच्छा-शक्ति और माइंस विभाग की मशीनरी के सक्रिय होकर कार्रवाई करने का है और इतने कम समय में जिस तरह से योजनाबद्ध तरीके से अन्य विभागों के साथ ही माइंस विभाग की मशीनरी ने काम किया, वह सराहनीय है। 
अवैध खनन गतिविधियों और खनन माफिया के साथ लगभग सभी प्रदेशों की सरकारें दो-चार हो रही हैं। ऐसे में राजस्थान सरकार का यह अभियान अन्य प्रदेशों के लिए एक मिसाल बन सकता है। इससे यह साफ  हो गया है कि सरकारों की इच्छा-शक्ति हो तो फिर प्रभावी कार्रवाई आसानी से की जा सकती है। अवैध खनन के कारण सरकारी राजस्व के हो रहे नुकसान को रोकने के लिए राज्य सरकारों को आगे आकर सख्त कदम उठाने होंगे। 

-मो. 94142-40049