विपक्ष को ईवीएम से हार का डर

जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर सियासत गर्माने लगी है। विशेषकर जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार 400 पार का नारा दिया है, तब से विपक्ष की परेशानी बढ़ गई है। कांग्रेस के नेता ऊलजलूल बयान भी देने लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि मोदी की जीत हुई तो यह अंतिम चुनाव होगा। ‘इंडिया’ गठबंधन के नाम से एकजुट हुआ विपक्ष लोकसभा चुनाव आते ही बिखरने लगा था। उसके घटक दल एक-एक कर उसका साथ छोड़ने लगे थे, लेकिन अब कुछ राज्यों में सीटों को लेकर उनकातालमेल हो रहा है। मोदी के 400 पार के नारे को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियां ईवीएम को लेकर संदेह व्यक्त करने लगी हैं। ऐसा लगता है विपक्ष को लोकसभा चुनाव में संभावित हार का डर सताने लगा है। इसलिए अभी से ईवीएम पर अंगुली उठाई जाने लगी है। यह स्थिति तो तब है जब भारत निर्वाचन आयोग सहित देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा ईवीएम को विधिमान्य ठहराया जा चुका है। विपक्षी नेताओं ने कहा है कि ‘इंडिया’ गठबंधन की सहयोगी पार्टियां का मानना है कि ईवीएम की अखंडता पर कई संदेह है। हम मत-पत्र प्रणाली के दोबारा इस्तेमाल की मांग करते हैं। इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होगा। लोगों में विश्वास बढ़ेगा। रिपोर्टों के मुताबिक कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल बैलट से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह सरीखे नेता तो खुलमखुला ईवीएम का विरोध करते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पांच राज्यों के आए नतीजों के बाद एक बार फिर से विपक्ष ने अपनी हार ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए बैलेट से चुनाव कराने की मांग की है। 
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में ईवीएम के ज़रिए अलग-अलग राज्यों के 140 से ज्यादा विधानसभा चुनाव करवाए जा चुके हैं। इनमें से करीब 33 चुनावों में अब तक कांग्रेस जीती है जबकि करीब 29 चुनाव भाजपा ने जीते हैं। भारत में पहली बार ईवीएम का प्रयोग 1982 में केरल से शुरू हुआ था। फिर 1999 में लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ स्थानों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया यानी 2004 के पहले तक ईवीएम और बैलेट दोनों से चुनाव कराया जाने लगा, लेकिन 2004 लोकसभा चुनाव का ईवीएम से करवाया गया था। अब पूरे देश में ईवीएम के ज़रिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाए जा रहे हैं। 2004 से 2019 तक 4 लोकसभा चुनाव ईवीएम से हुए हैं। इसमें 2 बार कांग्रेस और 2 बार भाजपा की जीत हुई है। 
भारत में अब प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से ईवीएम द्वारा ही सम्पन्न होती है। पुराने कागज़ी मत-पत्र प्रणाली की तुलना में ईवीएम के द्वारा वोट डालने और परिणामों की घोषणा करने में कम समय लगता है। भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक ईवीएम मतों को दर्ज करने का एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। ईवीएम दो इकाइयों से बनी होती हैं—एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट, जो पांच-मीटर केबल से जुड़ी होती है। नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है और बैलेट यूनिट को मतदान कम्पार्टमेंट के अंदर रखा जाता है। मत-पत्र जारी करने के बजाय, कंट्रोल यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर मत-पत्र बटन दबाकर एक मत-पत्र जारी करते हैं। इससे मतदाता अपनी पसंद के अभ्यर्थी और प्रतीक के सामने बैलेट यूनिट पर नीले बटन को दबाकर अपना वोट डालता है। 
गौरतलब है भारत निर्वाचन आयोग आम चुनाव से पहले अपनी तैयारियों को जांचने के लिए देशभर में मॉक पोल्स का आयोजन करता है, जो ईवीएम की फर्स्ट लेवल चेकिंग प्रक्रिया का हिस्सा होता है। इस प्रक्रिया के दौरान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर्स ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में मैकेनिकल दिक्कतों को जांचते हैं। जिन मशीनों में दिक्कत होती है, उन्हें सुधार के लिए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में भेज दिया जाता है। मॉक पोल्स के दौरान राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहते हैं ताकि राजनीतिक पार्टियों की शंका को दूर किया जा सके। 

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