प्रधानमंत्री बनते ही शहबाज़ शऱीफ ने कश्मीर पर उगला ज़हर

इस्लामाबाद जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ  समर्थित सांसदों के ‘चोर-चोर’ के नारों और हंगामे के बीच मुस्लिम लीग (नवाज़) नेता शहबाज़ शऱीफ रविवार को गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुन लिए गए। इसी के साथ पाकिस्तान में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है। शहबाज शरीफ दूसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर को लेकर कई दावे किए, मसलन उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में कश्मीरियों का खून बहाया जा रहा है और पूरी वादी खून से सुर्ख हो गई है।’ शहबाज ने इंटरनेशनल कम्यूनिटी पर भी हमला बोलते हुए कहा, ‘लेकिन फिर भी दुनिया के होंठ सिले हुए हैं।’
शहबाज शरीफ ने कश्मीर की आजादी के लिए नेशनल असेंबली से एक प्रस्ताव पारित करने की अपील की। शहबाज पाकिस्तान के 24वें प्रधानमंत्री बने हैं। नेशनल असेंबली में उनके समर्थन में 201 वोट पड़े, जबकि विपक्षी पीटीआई के प्रधानमंत्री उम्मीदवार उमर अयूब खान को 92 वोट मिले। शहबाज ने पड़ोसी सहित तमाम मुल्कों के साथ संबंध बेहतर बनाने की मंशा जाहिर की लेकिन कश्मीर को लेकर अपने पुराने एजेंडे पर अड़े हुए हैं। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने राष्ट्रपति भवन में नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री को शपथ दिलाई। शहबाज़ शऱीफ ने सूडान, सोमाली आईलैंड जैसे मुल्कों का हवाला देते हुए फिलिस्तीन, गाज़ा और कश्मीर में ‘जुल्म’ के खिलाफ एक प्रस्ताव पास करने की अपील की, जहां इंटरनेशनल कम्यूनिटी के हस्तक्षेप से शांति कायम हुई। उन्होंने विपक्षी सांसदों से ‘फिलिस्तीन और कश्मीर की आजादी’ के लिए साथ मिलकर काम करने का 
आग्रह किया।
प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई नवाज शरीफ को गले लगाया। उन्होंने विपक्षी सांसदों का सरकार को समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया। पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव हुए थे और नतीजे आने के करीब तीन सप्ताह बाद सरकार का गठन हो सका है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग.नवाज और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और छोटे दलों के समर्थन से शहबाज प्रधानमंत्री बने हैं।
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा कश्मीर का राग अलापे जाने का जवाब देते हुए पीओके से निर्वासित मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि शहबाज़ शऱीफ ने ‘झूठ’ बोला है। शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में ‘मानवीय संकट’ को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं है। मिर्जा का दावा है कि पीओके में लोग भूख की वजह से मर रहे हैं।
अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि पीओके और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग 76 सालों से पाकिस्तानी सेना की घेराबंदी और गेहूं और आटे की कमी के बीच मुखभरी का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से करते हुए कश्मीर की आज़ादी की बात की। शपथ के पहले ही जिस तरह से शहबाज ने कश्मीर का राग अलापा, उसके साफ संकेत हैं कि शहबाज एक बार फिर अपने अवाम का ध्यान दो जून की रोटी और रोजगार से हटाकर कश्मीर के नाम पर वरगलाने पर लगाने लगे हैं।
शहबाज़ शऱीफ किसी तरह से जोड़-तोड़ और साजिश करके सरकार बनाने में कामयाब हो गये हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि उनके ऊपर वहां की सेना का हाथ है जो पाकिस्तान में कठपुतली सरकार बनाकर देश की बागडोर अपने हाथ में रखना चाहती है। 1997 में शहबाज़ शऱीफ पहली बार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री चुने गए। वह 2008 से 2018 के बीच भी पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्हें एक सख्त प्रशासक के तौर पर पहचाना गया। शहबाज की राजनीति में पंजाब की सियासत की अहम भूमिका रही है। उन्हें मेगा प्रोजेक्ट्स को तेज़ गति से पूरी करने के लिए ‘शहबाज शरीफ स्पीड’ के नाम से भी जाना जाता है।
नवाज के प्रधानमंत्री बनते-बनते शहबाज कैसे प्रधानमंत्री बने इस बारे में बताया जाता है कि आठ फरवरी को देश में हुए चुनाव में मुस्लिम लीग (नवाज़) ने 336 सदस्यीय नेशनल असेंबली में सिर्फ 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं। ऐसे में इमरान खान की पार्टी को सत्ता में आने से रोकने के लिए गठबंधन सरकार बनाये जाने का ही विकल्प बचा था। इस गठबंधन सरकार की रूपरेखा तैयार करने का जिम्मा सेना ने शहबाज शरीफ को सौंपा।
प्रधानमंत्री पद के लिए नवाज शरीफ के नाम पर कई लोगों को ऐतराज था। ऐसे में नवाज ने अपने छोटे भाई शहबाज को पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया। कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना भी नवाज की तुलना में शहबाज को अधिक पसंद करती है। सेना ने पहले भी नवाज की तुलना में शहबाज से प्रधानमंत्री बनने की पेशकश की थी, जिसे शहबाज खारिज करते रहे। 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ सरकार का तख्ता-पलट कर दिया था। इसके बाद शहबाज अपने परिवार के साथ आठ साल के लिए सऊदी अरब निर्वासित हो गए। इसके लिए बाकायदा शहबाज शरीफ की मुशर्रफ के साथ डील हुई थी। शहबाज शरीफ का परिवार 2008 में पाकिस्तान लौटा। शहबाज 2008 में दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने और 2013 में तीसरी बार इस कुर्सी पर बैठे। पनामा पेपर्स मामले में 2017 में नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद से अयोग्य करार दिया गया। तब नवाज ने शहबाज को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया। 2018 के चुनाव में इमरान खान की पार्टी से हार के बाद शहबाज ने एक मजबूत विपक्षी नेता की भूमिका भी निभाई। 
1998 के हत्या के एक मामले की वजह से वह चुनावों में हिस्सा नहीं ले सके। दरअसल लाहौर में उनके खिलाफ हत्या का एक मामला दर्ज कराया गया था। इस एफआईआर में शहबाज पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए एक पुलिस मुठभेड़ का आदेश दिया था, जिसमें कुछ लोगों की मौत हुई थी। शहबाज पर भ्रष्टाचार के भी कई मामले दर्ज हुए जिस के कारण वह महीनों जेल तक में भी बंद रहे। शहबाज ऐसे समय में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं जब गरीबी, बेरोज़गारी, चौपट अर्थव्यवस्था और कर्ज की मार से पाकिस्तान बेहाल है। ऐसे में प्रधानमंत्री का पद उनके लिए कांटों भरा ताज साबित हो सकता है। कश्मीर का राग अलाप कर कुछ दिन तक वो भले ही पाकिस्तानियों का ध्यान भटका लें पर आखिर उन्हें जल्द ही सच का सामना करना पड़ेगा।