एग्ज़िट पोल : लगता है, वास्तविकता में बदलेंगे अनुमान
अंतिम सातवें चरण का मतदान करीब 62 प्रतिशत होने के साथ लोकतंत्र का महायज्ञ समाप्त हो गया। इसी के साथ एग्जिट पोल के बहाने अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया। देश के नामी-गिरामी आठ सर्वेक्षणों ने अनुमान लगाया है कि प्रचंड बहुमत के साथ तीसरी बार फिर मोदी सरकार आ रही है। फ लोदी समेत अन्य सट्टा बाज़ार भी इसी अनुमान की पुष्टि करते दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा 400 पार मतगणना के धरातल पर सच होने के करीब है। साफ है केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 375 से 415 सीटों पर विजयश्री प्राप्त कर सरकार बनाने जा रहा है। इनमें अकेली भाजपा की 300 से ऊपर सीटें होंगी। जबकि ‘इंडिया’ गठबंधन को अधिकतम 129 से 161 सीटें मिलने की उम्मीद है। इसमें कांग्रेस 52 से 56 सीटें जीत सकती हैं। लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं और सत्तारुढ़ होने के लिए 272 सीटों का आंकड़ा ज़रूरी है। चैनलों के सभी सर्वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को पूर्ण बहुमत दे रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजग को 353 और संप्रग को 91 सीटें मिली थीं। 148 सीटें क्षेत्रीय दल और निर्दलियों के खाते में गई थीं। इस चुनाव में भाजपा को 303 और कांग्रेस को 52 सीटें मिल पाई थीं। 2014 और 19 में किसी भी दल को इतनी सीटें नहीं मिली थीं कि वह लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने का अधिकारी हो जाए। 2024 में भी विपक्ष को इस हालात का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में एक बार फिर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और दक्षिण भारत के विपक्षी दलों को झटका लगने जा रहा है। बेमेल धर्म व जातीय समीकरणों के बूते उत्तर प्रदेश में जो सबसे ज्यादा सीटें जीतने की हुंकार अखिलेश और मायावती भर रहे थे, वहां राजग को 69 सीटें मिलने का अनुमान है। कांग्रेस-सपा गठबंधन को 11 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। मायावती का इस बार खाता खुलना भी मुश्किल लगता है। साफ है, चुनावी नक्कारखाने में धर्म और जाति की तूती से अब सनातन मतदाता दूर जाता दिखाई दे रहा है। कह सकते हैं कि प्रियंका गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह चमत्कारिक व्यक्तित्व के रूप में पेश नहीं आ पा रही हैं और न ही राहुल गांधी का नेतृत्व जनता स्वीकार करने को तैयार है। सन्तान के मोह में सोनिया गांधी ने कांग्रेस को हाशिए पर डालने का काम कर दिया है।
सर्वेक्षणों की मानें तो भाजपा ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और ओडिशा में नवीन पटनायक की बुनियाद हिला दी है। बंगाल में राजग 21 और ओडिशा में 15 सीटें तक लेती दिखाई दे रही है। यही नहीं इस बार भाजपा के लिए दक्षिण के सभी प्रांत स्वागत के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं। कर्नाटक में सभी 28 सीटों पर भाजपा बढ़त में लग रही है। तमिलनाडू में राजग 4, आंध्र प्रदेश में 20, केरल में 2 और तेलंगाना में 17 सीटों पर जीत का अनुमान है। इनसे इतर महाराष्ट्र में 29, गुजरात में 26 में से 26, राजस्थान में 20, असम में 11, पंजाब में 3, छत्तीसगढ़ में 11, हरियाणा में 6, बिहार में 33 सीटें मिलने की उम्मीद हैं। झारखंड में भाजपा को नुकसान हो सकता है। पूर्वोत्तर भारत में भी भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ बढ़त बनाए हुए है। इन अनुमानों में कम्युनिस्ट पार्टियां पूरे देश में अस्तित्व बचाने की लड़ाई तक सीमित रह गई हैं। साफ है, वामपंथ पर दक्षिणपंथ भारी पड़ रहा है।
2019 की तुलना में इस बार सभी चरणों में मतदान कम रहा है। अब 4 जून को वास्तविक नतीजे आएंगे, लेकिन मतदान के बाद एग्जिट पोल सर्वेक्षणों के खुलासे ने साफ कर दिया कि मोदी व अमित शाह की जोड़ी रणनीतिक सफलता हासिल करने जा रही है।
इस बार मोदी की आक्रामक शैली ने हिंदु वोटों को पूरे देश में जबरदस्त ढंग से धु्रवीकृत करने का काम किया है जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल चुनाव के दौरान भी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का खेल खेलते रहे। बंगाल में 2019 में मिलीं 18 सीटों की तुलना में भाजपा को यहां 21 से 28 सीटें मिलने तक का अनुमान बता रहे हैं। राम मंदिर, धारा-370 और तीन तलाक जैसे मुद्दों ने सभी वर्ग के मतदाताओं को लुभाया है।
इस बार धर्मनिरपेक्षता के पैरोकारों पर सनातन-सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हावी रहा है।
एग्ज़िट पोल से वास्तविकता पर खरे उतरने की उम्मीद इसलिए ज्यादा रहती है, क्योंकि ये मतदान के पश्चात मतदाता के निर्णय को जानने की कोशिश करते हैं और निर्वाचन आयोग की बाध्यता के चलते इनका खुलासा भी देश में पूर्ण रूप से मतदान हो चुकने के बाद किया जाता है। इसलिए कोई राजनीतिक दल शुल्क चुकाकर एग्ज़िट पोल नहीं कराता। इसलिए यह रुझान परिणाम के निकट पहुंच सकते हैं।
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