युद्ध के बावजूद नहीं टूटी रूस की अर्थव्यवस्था

युद्धों का अर्थशास्त्र बहुत बुरा है। इतिहासकार कहते हैं कि सभ्यताओं का विकास लाशों के ढेर पर ही हुआ है। ये लाशें युद्ध की भयानकता का परिचय देती हैं। फिर बरसों बाद शांति स्थापित होती है और सभ्य समाज युद्ध से त्रस्त अपने नियम नये सिरे से गढ़ता है ताकि सामान्य जीवन का नागरिक विकास विकसित हो सके। तभी कहीं लोकतंत्र की आमद और शांति व्यवस्था बनती है। राजा-महाराजा साल-साल भर युद्ध लड़ते देखे गये हैं। सैनिकों को रोज़गार मिलता है। नई भर्ती होती है। यह ठीक है कि तबाही और खर्च भी बहुत होता है, लेकिन उत्पादन और रोज़गार भी मिलता है। कलिंग युद्ध कलिंग के राजा  अनंत पद्मनाथन और मौर्य सम्राट अशोक के बीच 261 ई. में लड़ा गया। अशोक ने कलिंग पर हमला किया था। इस युद्ध ने भारतीय इतिहास के पूरे कालखंड को ही बदल कर रख दिया था, लेकिन जो विनाश हुआ उसे देख अशोक सम्राट का दिल बदल गया। पश्चाताप में उसने भौगोलिक आधिपत्य की नीति को त्याग दिया। पहले विश्व युद्ध और दूसरे विश्व युद्ध में भारी तबाही हुई। द्वितीय विश्व युद्ध  1939 से 1945 तक चला। लगभग 70 देशों की जल-थल-वायु सेनाएं इस युद्ध में शामिल थीं। विभिन्न राष्ट्रों के दस करोड़ सैनिकों ने भाग लिया। पांच से सात करोड़ लोगों की जान गई। नरसंहार में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हुआ। इसे सबसे भयंकर युद्ध माना गया, लेकिन इन युद्धों का दूसरा पक्ष सामने रखा जा रहा है। पहले विश्व युद्ध ने अमरीका की खेती की कायापलट कर दी। दूसरे विश्व युद्ध ने अमरीका के औद्योगिक उत्पादन तथा तकनीक को काफी आगे तक बढ़ाया। सोवियत रूस का उद्योग और विज्ञान शीत युद्ध के दिनों में ही प्रफुल्लित हुआ। एक ही पीढ़ी दो विश्व युद्धों के कत्लोगारत को समझ रही थी, जिसने शांति और विकास के नये रिश्तों को सामने रखा। युद्ध लड़ने वाले देश मित्र बने। नये संबंध बने। कारोबार में इज़ाफा हुआ और अगले पांच दशकों में ग्लोबल विलेज के लिए काम किया गया, जिसका विस्तार हो रहा है। नफे नुकसान पर बहस भी शुरू हुई है। इस समय रूस और यूक्रेन के बीच भारी जंग छिड़ी है। दोनों एक दूसरे की तबाही के आंकड़े पेश कर रहे हैं, लेकिन अब आई.एम.एफ. ने बताया है कि 2023 में रूस ने पूरे जी सैवन देशों से ज्यादा तेज विकास दर हासिल की है। 
मुद्रा कोष 1.1 प्रतिशत से बढ़कर 2.6 प्रतिशत कर दिया है। यह भी कहा कि इस साल भी ऐसा ही होगा। यूरोप में ब्रिटेन ही नहीं, जर्मनी भी मंदी में डूबते चले गये हैं। फ्रांस की भी रोने-धोने की हालत हो गई है। तब लड़ाई में बुरी तरह डूबे हुए रूस की विकास दर पूरे यूरोपीय समुदाय और जी-सैवन से ज्यादा कैसे। यह  हैरान करने वाला भी है। रूस पर इस तरह के प्रतिबंध लगे हैं लगभग 260 अरब यूरो की सम्पत्तियां जब्त हो गई हैं। उसकी हवाई यात्राओं पर प्रभाव पड़ा है। अन्तर्राष्ट्रीय उड़ाने बंद हैं। तेल को 60 डालर प्रति बैरल बेचने की शर्त है। जबकि रेट इस समय 80 से 90 डॉलर प्रति बैरल है।  रूबल सबसे कमज़ोर मुद्रा बना दी गई है। तब भी ़खतरों से खेलता हुआ रूस विकास दर हासिल कर रहा है। रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। पूरी जंग यूक्रेन की धरती पर लड़ी जा रही है। जंग के आरम्भिक दिनों में रूस की इकानमी कुछ गिरी थी। लगभग 1.2 प्रतिशत की कमी आई थी परन्तु फिर सम्भल गया।