क्या राहुल गांधी संसद में निभाएंगे ‘विपक्ष के नेता’ की भूमिका

18वीं लोकसभा में ‘इंडिया’ गठबंधन पार्टियों की संख्या में वृद्धि से निचले सदन को 10 वर्ष की लम्बी अवधि के बाद अधिकारिक तौर पर विपक्ष का नेता (एल.ओ.पी.) मिलने की उम्मीद है। विपक्षी नेताओं की यह भी इच्छा है कि जल्द ही डिप्टी स्पीकर का चुनाव हो, यह पद विगत पांच वर्षों से रिक्त है। 5 जून को भंग हुई 17वीं लोकसभा को अपने पूरे कार्यकाल के दौरान डिप्टी स्पीकर नहीं मिला था और यह निचले सदन का लगातार दूसरा कार्यकाल था, जिसमें विपक्ष का नेता नहीं था। इस दौरान कांग्रेस के राहुल गांधी, जिनसे 18वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता की ज़िम्मेदारी सम्भालने की उम्मीद की जा रही थी, अभी भी इस पद को लेने के लिए तैयार दिखाई नहीं दे रहे हैं। हालांकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने की अपील की गई है। मोदी के खिलाफ राहुल के ज़ोरदार अभियान के बाद कांग्रेस ने चुनाव में 99 सीटें जीतीं और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी। राहुल अब निर्विवाद रूप से सबसे बड़े विपक्ष के नेता के तौर पर उभरे हैं। यदि उन्हें विपक्ष का नेता चुना जाता है तो नि:संदेह उनके कद पर अधिकारिक मुहर लग जाएगी। उम्मीद है कि राहुल गांधी संसद में अधिक ज़िम्मेदारी सम्भालेंगे। लोकसभा में विपक्ष के नेता बनने के लिए राहुल गांधी पर कई नेताओं द्वारा दबाव डाला जा रहा है। इस पद के कारण उन्हें कैबिनेट रैंक मिलेगा, ‘इंडिया’ गठबंधन में सहयोगी पार्टियों के साथ बेहतर तालमेल में मदद मिलेगी। उनक द्वारा लोकसभा में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा पर विपक्ष की ओर से हमलों का नेतृत्व करने के कारण कांग्रेस को अपना मज़बूत चेहरा पेश करने में भी मदद मिलेगी। 
कांग्रेस के फैसले से भाजपा में खलबली
वायनाड लोकसभा उप-चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की उम्मीदवारी ने केरल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी है। हालांकि इस फैसले से ‘इंडिया’ गठबंधन की सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) तथा भाजपा उनके खिलाफ मज़बूत तथा प्रभावशाली उम्मीदवार उतारने को लेकर असमंजस में पड़ गए हैं। सीपाआई तथा भाजपा दोनों ने संकेत दिया है कि वह अपने उम्मीदवार उतारेंगे। हालांकि राहुल गांधी के खिलाफ पहले सीट से चुनाव लड़ चुकी एनी राजा ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी पर फैसला पार्टी करेगी। 
सीपीआई ने वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी को ऐसे स्थानीय नेता को मैदान में उतारना चाहिए, जो क्षेत्र तथा लोगों के साथ अच्छी पहचान होने के कारण बेहतर समर्थन प्राप्त कर सके। दूसरी ओर भाजपा ने अब तक तय नहीं किया है कि वायनाड उप-चुनाव के लिए सुरेन्द्रन या कोझीकोड में से किस वरिष्ठ नेता को मैदान में उतारा जाए या नहीं। 2024 में भाजपा के वोट शेयर में 62000 से अधिक वोटों की वृद्धि हुई है। इस सीट पर उप-चुनाव इसलिए ज़रूरी हो गया है, क्योंकि राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट बरकरार रखने का फैसला किया था, जिसे उन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में वायनाड के साथ जीता था।  
राजनाथ मज़बूत नेता के रूप में उभरे
मोदी सरकार की तीसरी कैबिनेट में चाहे कोई बड़ा बदलाव न हुआ है, परन्तु एक बड़ा बदलाव यह है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एन.डी.ए. के सहयोगियों के साथ तालमेल के लिए अहम व्यक्ति के रूप में उभरे हैं। सभी पार्टियों के नेताओं के साथ अपने सुखद संबंधों के लिए जाने जाते राजनाथ सिंह को भाजपा ने 24 से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले एन.डी.ए. की सहयोगी पार्टियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर आम सहमति बनाने का कार्य सौंपा है। 18 जून को राजनाथ सिंह के आवास पर एन.डी.ए. के मंत्रियों की तालमेल के लिए बैठक हुई, जिसमें एस. जयशंकर, मनोहर लाल, भूपेन्द्र यादव, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, किरण रिजिजू, अन्नपूर्णा देवी, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह तथा चिराग पासवान शामिल हुए। बैठक में स्पीकर पद के लिए नेताओं के सुझाव पर चर्चा हुई। भाजपा सूत्रों ने संकेत दिया कि स्पीकर पद के लिए चुनाव 26 जून को होना है। चर्चा के दौरान इस पद के लिए कई नामों पर विचार किया, जिनमें आंध्र प्रदेश की भाजपा अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी का नाम भी शामिल है। संभव है कि डिप्टी स्पीकर का पद सहयोगी पार्टियों में से किसी एक को दिया जाए। 
मूल पार्टियों में लौटेंगे महाराष्ट्र के विधायक!
सबसे पहले शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राऊत ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे गुट के विधायक उनकी पार्टी के सम्पर्क में हैं। अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) अर्थात एनसीपी (एसपी) के नेता रोहित पवार ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित  पवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एनसीपी के 18-19 विधायक राज्य विधानसभा के आगामी मानसून  सत्र के बाद उनके पक्ष में आ जाएंगे। शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी-एसपी ने हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में 8 सीटें जीती हैं, जबकि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी सिर्फ एक सीट हासिल कर सकी। पार्टी वर्तमान में भाजपा के साथ गठबंधन में है तथा सत्तारूढ़ एनडीए का हिस्सा है। परिणाम से उद्धव ठाकरे तथा शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टियों में कुछ नेताओं की वापसी की योजना बारे भी चर्चा शुरू कर हो गई।