अखिलेश पास और तेजस्वी फेल

लोकसभा चुनाव 2024 में अखिलेश यादव पास हो गए और तेजस्वी यादव फेल गए। दोनों में अनेक समानताएं है। दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र है। दोनों के पिता लोहिया के अनुगामी और समाजवादी पुरोधा रहे है। मीसा में भी बंद रहे है। दोनों के कोर वोट यादव और मुस्लिम है। अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे है और तेजस्वी बिहार के उप-मुख्यमंत्री के पद को सुशोभित कर चुके है। अखिलेश तेजस्वी से वरिष्ठ है। वे पिछले 24 साल से सियासत में सक्रिय है वहीं तेजस्वी 12 वर्षों से राजनीति कर रहे है। दोनों के पिता सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके है। मुलायम देश के रक्षा और लालू रेल मंत्री रहे है। मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। लालू भी पत्नी सहित कई बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे।  दोनों यादव मोदी और भाजपा के विरोधी है। दोनों नेता पारिवारिक कुनबे से बंधे है। तेजस्वी के पिता, भाई और बहन राजनीति में सक्रीय है वहीं अखिलेश की पत्नी चाचा और चचेरे भाई सांसद है। अनेक समानताओं के बावजूद मुलायम के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सीधे आरोप नहीं लगे जब कि लालू चारा घोटाले में सज़ायाप्ता है। अखिलेश भी भ्रष्टाचार से नहीं घिरे जबकि तेजस्वी नौकरी के बदले जमीन मामले में फंसे है। दोनों परिवार पारिवारिक रिश्ते में भी बंधे है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव ने सपा की नींव रखी थी, जिसे उनके बेटे अखिलेश यादव संभाल रहे हैं। वहीं, लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की कमान अब उनके बेटे तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं। विवादित बयान देने में दोनों आगे रहे है। दोनों विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक में शामिल है। दोनों ही तेजतर्रार वक्ता है। दोनों को राजनीति विरासत में मिली है। अखिलेश और तेजस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी है और व्यक्तिगत आरोप लगाने से नहीं चूकते है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 62 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 37 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि बिहार में तेजस्वी यादव ऐसा नहीं कर पाए। 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार के चुनाव में तेजस्वी की आरजेडी केवल चार सीटें जीतने में सफल रही है। तेजस्वी यादव से उम्मीद की जा रही थी वे उस पर खरे नहीं उतरे।  
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की अगुवाई में इंडिया ब्लॉक ने तो शानदार प्रदर्शन किया ही है, उनके परिवार के जितने भी सदस्य चुनाव लड़ रहे थे, उन सबको कामयाबी मिली है। कन्नौज से अखिलेश, मैनपुरी से उनकी पत्नी डिंपल यादव, आजमगढ़ से उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से एक और भाई अक्षय यादव और बदायूं से भी उनके एक और चचेरे भाई आदित्य यादव चुनाव जितने में सफल रहे। इसके विपरीत बिहार में आरजेडी जितनी बड़ी जीत के दावे कर रही थी, उसे वहां सपा के मुकाबले उतनी सफलता नहीं मिल पाई है। यही नहीं, लालू यादव के परिवार के दो सदस्य चुनाव मैदान थे, लेकिन उनमें से एक चुनाव हार गए। बिहार में इस बार तेजस्वी यादव की दो बहनें राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में थीं। इनमें से उनकी बड़ी बहन मीसा भारती ने पाटलिपुत्र सीट पर तो सफलता हासिल कर ली, लेकिन सारण में उनकी दूसरी बहन रोहिणी आचार्य भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी से हार गईं। यादव उम्मीदवार उतारने के मामले में दोनों पार्टियों की रणनीति बहुत अलग है। बिहार में तेजस्वी यादव एक चौथाई से ज्यादा यादव उम्मीदवार उतारे हैं। बिहार की 40 में से 11 सीटों पर यादव उम्मीदवार हैं। लालू प्रसाद की पार्टी सिर्फ 23 सीटों पर लड़ रही है और उसी में उन्होंने 8 यादव उम्मीदवार उतारे हैं। इसके मुकाबले उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी 63 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें सिर्फ पांच यादव उम्मीदवार हैं। इनमें भी ये पांचों उम्मीदवार अखिलेश यादव के परिवार के ही हैं।
राजनीतिक चर्चाओं में कहा जा रहा है उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव करिश्मा कर सकते हैं तो बिहार में तेजस्वी यादव से कहां चूक हो गई। दोनों ने कमंडल के खिलाफ मंडल का शंखनाद किया था जो एक जगह कामयाब रहा तो दूसरी जगह फेल रहा। दोनों ही नेताओं की सभाओं में भारी भीड़ उमड़ी थी। इनमें अखिलेश की भीड़ वोट जुटाने में सफल रही और तेजस्वी की भीड़ वोट पाने में नाकामयाब रही।