कठिन परीक्षा का समय

संसद की नई इमारत में 18वीं लोकसभा का अधिवेशन शुरू हो गया है। पहले दिन प्रोटैम स्पीकर भर्तृहरि मेहताब द्वारा प्रधानमंत्री, चयनित मंत्रियों और अन्य संसद सदस्यों को शपथ दिलाई गई। इस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) जिसमें भाजपा मुख्य भागीदार है, की सरकार की तीसरी पारी शुरू हो गई है। इससे पहले इसी माह 9 जून को प्रधानमंत्री और मंत्रियों ने अपने पद की शपथ ली थी। 60 वर्ष के बाद ऐसा हुआ है जब किसी गठबंधन की तीसरी बार सरकार बनी है और कोई प्रधानमंत्री निरंतर तीसरी बार सत्ता संभाल रहा है। प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस की सरकार में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। 
‘इंडिया’ गठबंधन के भागीदारों ने चुनावों से पहले अपने प्रचार के दौरान बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया था कि यदि तीसरी बार मोदी की सरकार बनती है तो उसके द्वारा भारतीय संविधान को खत्म कर दिया जाएगा। इस कारण जब लोकसभा में मोदी शपथ ले रहे थे तो ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों ने संविधान की प्रतियां लहराना शुरू कर दीं। यह अधिवेशन शुरू होने से पहले मीडिया के साथ बातचीत करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि वह अपनी तीसरी पारी में सभी को साथ लेकर चलेंगे और समूचे कामकाज में आपसी सहमति बनाई जाएगी। संविधान को खत्म करने संबंधी उन्होंने कांग्रेस की स्व. प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा वर्ष 1975 में देश पर लगाई गई एमरजैंसी का हवाला दिया, जिसमें सभी मानवीय अधिकारों को खत्म कर दिया गया था, विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया था और मीडिया पर भी पूरी तरह पाबंदियां लगा दी गई थीं। लेकिन इस बार की संसद एन.डी.ए. की पहली दो पारियों से ज़रूर अलग नज़र आएगी। विगत 10 वर्षों में श्री मोदी के नेतृत्व में चलती सरकार के समय लोकसभा में भाजपा की अपनी बहुसंख्या थी, लेकिन इस बार भाजपा बहुसंख्या का आंकड़ा पूरा नहीं कर सकी। इसलिए उसे अपनी भागीदार पार्टियों को साथ लेकर चलना होगा। पिछली दो पारियों में कांग्रेस को कम सीटें मिलने के कारण इसे लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा भी नहीं मिल सका था, परन्तु इस बार 99 का आंकड़ा प्राप्त करने के बाद जहां इसे विपक्ष का दर्जा मिलेगा, वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों को भी चुनावों में अच्छा समर्थन मिलने के कारण वे अधिक हौसले में दिखाई देती हैं। इसलिए इस बार लोकसभा में ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों द्वारा अधिक सक्रियता दिखाए जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। यह अधिवेशन तीन जुलाई  तक चलेगा, परन्तु इसमें पिछली बार के मुकाबले महिला सदस्यों की संख्या कम है। 
27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लोकसभा तथा राज्यसभा के संयुक्त सत्र को सम्बोधित करने के बाद दोनों सदनों में तीव्र चर्चा होने की सम्भावना बनती दिखाई देती है। अधिवेशन से पहले ही नीट का पेपर लीक होने के कारण कांग्रेस तथा विपक्षी दलों ने देश भर में इसे बड़ा मुद्दा बनाया है और सरकार को इस संबंध में बचाव की नीति अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। इसके अतिरिक्त महंगाई, बेरोज़गारी आदि ऐसे विषय हैं, जिनके कारण सरकार को निशाने पर लिया जाएगा। नि:संदेह नई लोकसभा के ढांचे को देखते हुए भाजपा को अपने सैद्धांतिक एजेंडे को फिलहाल पीछे रखना पड़ेगा। इस कारण प्रधानमंत्री ने भी विगत कुछ समय के दौरान लगातार अपने भाषणों में संतुलन बना कर चलने की बात कही है। उन्होंने मामलों के सर्व-स्वीकार्य समाधान निकालने वाला दृष्टिकोण अपनाने का भी कई बार संकेत दिया है। इससे देश की फिज़ा के बड़ी सीमा तक बदलने की सम्भावना भी बनी दिखाई देती है। सरकार आगामी समय में देश के प्रत्येक पक्ष से विकास करने के संकल्प को कितना पूरा कर सकेगी,  इसका अनुमान उसकी ठोस उपलब्धियों से ही लगाया जा सकेगा। नि:संदेह आगामी समय में प्रधानमंत्री तथा सरकार को बड़ी तथा कठिन परीक्षाओं से गुज़रना पड़ेगा। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द