तेज़ी से बढ़ती वैश्विक जनसंख्या चिंता का विषय

प्राचीन काल में संसार के सभी देशों में विवाह और संतान की उत्पत्ति को महत्व दिया जाता था। भारत में विवाह पर अग्नि की परिक्रमा करते समय वर कन्या ‘कहा करते थे- ‘पुयान विन्दावहे’। अर्थात बहुत प्राप्त करें। उस समय जनसंख्या कम रहती थी, अत: जनसंख्या में वृद्धि आवश्यक थी, लेकिन आज सारे संसार की स्थिति, बदल गई है, फलत: इस पर रोक लगाना अति आवश्यक हो गया हैं, खासकर भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जिसकी आबादी विश्व में सर्वाधिक पहले नंबर पर है। उस पर विकासशील (हालांकि अब अर्ध विकसित देशों की श्रेणी में आ चुका है भारत) देश होने के नाते जनसंख्या की अतिशय वृद्धि से अनेक प्रकार की समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं।
आज तो समस्या यह है कि अगले कुछ दशकों में विश्व की जनसंख्या विस्फोट के कगार पर पहुंचने वाली है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या को लेकर विश्व के विचारक चिर्तित है कि इस अतिरिक्त जनसंख्या के लिए काम, भोजन, वस्त्र, आवास और शिक्षा की व्यवस्था कैसे की जा सकेगी? आइये इसे सिर्फ भारतीय परिप्रेक्ष्य में ही देखे। हमारे देश की जनसंख्या सुरसा के मुंह अथवा द्रौपदी के चीर हरण की तरह लगातार बढ़ती चली जा रही है। यूं तो सम्पूर्ण विश्व इस समस्या से घिरा है, किन्तु भारत तो इस समस्या से बुरी तरह आंक्रांत है। 1981 की जनगणना के समय भारत की जनसंख्या लगभग 68 करोड़ 48 लाख 10058 थी, अर्थात 1971 की जनसंख्या की तुलना में 24.75 प्रतिशत की वृद्धि। स्वतंत्रता के पूर्व अखंड भारत की जनसंख्या लगभग 31.27 करोड़ थी किन्तु 1971 की जनगणना में विभाजित भारत की जनसंख्या लगभग 36.11 करोड हो गयी। भारत की पहली जनसंख्या गणना सन् आजादी पूर्व 1872 में की गई थी, उस समय अखंड भारत की जनसंख्या 18.4 करोड़ थी, लेकिन भारत की जनसंख्या 1991 की जनगणना के अनुसार 84 करोड़ 4 लाख 58 हजार हो गई। और 1999 दिनांक 11 जुलाई को यह 98 करोड़ से भी अधिक हो गई और सन् 2023 में तकरीबन एक अरब 41 करोड़ को पार कर रही है। 
इस संबंध में माल्थस् (वैज्ञानिक) का कहना है कि जनसंख्या को यदि रोका न गया तो काफी असामान्य स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और ऐसी स्थिति तो निरंतर उस समय तक बनी रहेगी जब तक उस पर सीमित स्थान और सीमित भोजन के कारण स्वयं रोक नहीं लग जाती। इसलिए एक निश्चित सीमा के पश्चात जनसंख्या वृद्धि रुक जायेगी। किन्तु आज के वैज्ञानिक एवं आधुनिक युग में उत्पादन के अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा भोजन निरंतर उपलब्ध हो रहा है, वहीं रोग भी कम हो रहे हैं। यदि होते भी हैं तो उनका उपचार संभव हो गया है। इस प्रकार मृत्युदर कम हो गई है। फलस्वरुप जीवन क्षमता बढ़ जाने के कारण जनसंख्या वृद्धि दर तेज़ होती जा रही है। इसी प्रकार यह जनसंख्या वृद्धि बढ़ती रही तो हमारी पृथ्वी पर रहने का स्थान, प्राकृतिक स्त्रोत, खाद्यान्न की कमी, पर्यावरण का संतुलन इत्यादि की कमी हो जायेगी, एक असंतुलन पैदा हो जाएगा, गरीबी अपनी चरमोत्कर्ष में पहुंच जायेगी, रोजगार के अवसर बिल्कुल समाप्त हो जायेंगे। उपचार के साधन कम हो जायेगें इत्यादि अनेक प्रकार से मनुष्य का सामान्य जीवन पृथ्वी से खत्म हो जायेगा। भारत की आबादी 2050 में एक अरब 60 करोड़ से भी अधिक हो जायेगी, जबकि आज भारत सर्वाधिक जनसंख्या में चीन दूसरे नंबर का देश है। साथ ही विश्व की जनसंख्या भी उस समय पचास अरब के आस-पास पहुंच जायेगी।  जनसंख्या के इस प्रकार से विस्फोट, वृद्धि दर से सारा विश्व चिंतित है और इसके लिए आज से ही नहीं वरन पिछले कई सालों से कई देशों ने अपने यहां प्रतिबंधात्मक उपाय अपनाने शुरु कर दिये हैं, इस पर कुछ सफलताएं भी मिली हैं लेकिन पर्याप्त सफलता नहीं मिल सकी है, भारत सरकार ने भी इस संबंध में कुछ कठोर कदम उठाये हैं, जैसे युवक युवतियों के विवाह की उम्र अब युवक के लिए 21 वर्ष और युवती के लिए 18 वर्ष की होना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे कम उम्र में  विवाह करने वालों पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही का प्रावधान है। साथ ही भारत सरकार ने परिवार नियोजन का राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक कार्यक्रम चला रखा है, जिसकी सफलता के लिए दो उपाय है। आत्मसंयम और जन्मनिरोध के कृत्तिम साधनों का उपयोग। यद्यपि हम अनेक विधियों से जनसंख्या पर रोक लगा सकते है, लेकिन इसके अतिरिक्त आम नागरिकों को भी इस ओर गंभीरता से प्रयास एवं अपनी सोच पर भी परिवर्तन लाना होगा। कुछ समाजिक तथा धार्मिक विश्वासों में भी परिवर्तन लाना आवश्यक है जैसे- 1. यह सोचना कि संतान भगवान की देन है, इस भावना पर मनुष्य को रोक लगाना चाहिए। 2. छोटी उम्र में विवाह नहीं करना चाहिए। 3. एक मनुष्य को एक से अधिक स्त्रियों के साथ विवाह नहीं करना चाहिए। 4. एक या दो से अधिक बच्चों का जन्म देने से स्त्री स्वास्थ्य तथा शिशुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, उसे ध्यान रखना चाहिए। ‘नियोजित परिवार समृद्ध संसार’ अर्थात इस मूलमंत्र को गांठ बांधकर हम आप सभी को रख लेना होगा। तभी तो मनुष्य सुखी रह सकता है अन्यथा नहीं। 

#तेज़ी से बढ़ती वैश्विक जनसंख्या चिंता का विषय