साइबर संकट के सबक

दुनिया इस समय सूचना प्रधान युग में विचरण कर रही है। इस युग में संचार बेहद महत्त्वपूर्ण हो चुका है। संचार इंटरनेट, कम्प्यूटर तथा कम्प्यूटरों के भीतरी साफ्टवेयरों पर निर्भर करता है। संचार को चलता रखने के लिए बिजली की निर्विघ्न सप्लाई भी बेहद ज़रूरी है। संचार एवं संचार से संबंधित इन उपकरणों ने पूरी दुनिया को बदल दिया है। यदि पूरी दुनिया एक गांव बनी है तो वह इस संचार के कारण ही बनी है, परन्तु जब संचार में कोई विघ्न पड़ता है तो दुनिया में भारी उथल-पुथल पैदा हो जाती है। बड़ा संकट पैदा हो जाता है। ऐसा साइबर संकट किसी तकनीकी खराबी के कारण भी पैदा हो सकता है तथा हैकरों द्वारा किए गए साइबर हमले के कारण भी पैदा हो सकता है। शुक्रवार सुबह माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के साफ्टवेयर में आई खराबी के कारण इसी तरह का संकट पैदा हो गया था। इससे दुनिया के बहुत-से देशों में भिन्न-भिन्न तरह की समस्याएं उत्पन्न हुईं, क्योंकि कम्प्यूटर साफ्टवेयर के क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी की एक  तरह से एकाधिकार जैसी स्थिति है। दुनिया के बहुत-से सरकारी एवं ़गैर-सरकारी संस्थान कम्प्यूटरों में भिन्न-भिन्न कामों के लिए इसी कम्पनी के साफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं। इस तकनीकी ़खराबी के कारण दुनिया भर में हवाई यातायात, बैंकों के कामकाज, टी.वी. चैनलों के प्रसारण एवं अन्य बहुत-सी सरकारी तथा ़गैर-सरकारी कम्पनियों के कामकाज में रुकावट आई। भारत में ‘इंडिगो’ कम्पनी को अपनी 283 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इसके अतिरिक्त अकासा एयर, स्पाइस जैट, विस्तारा, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रैस आदि कम्पनियों का कामकाज भी प्रभावित हुआ परन्तु उन्होंने इस संबंध में कोई विस्तारपूर्वक जानकारी नहीं दी। बहुत-सी कम्पनियों के कर्मचारियों ने हाथों से कामकाज करके इस संकट पर कुछ सीमा तक नियन्त्रण पाने का यत्न किया।
इस तकनीकी ़खराबी के संबंध में जो विवरण सामने आया है, उसके अनुसार माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के अमरीका स्थित सर्वर में उस समय यह खराबी आई जब माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के सर्वरों को साइबर हमले से सुरक्षित रखने का काम करने वाली कम्पनी क्राऊडस्ट्राइक की ओर से माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के सर्वर में एक सॉफ्टवेयर अपलोड किया जा रहा था, ताकि उसे किसी भी तरह के साइबर हमले से बचाया जा सके। कह सकते हैं कि क्राऊडस्ट्राइक कम्पनी ने माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर को सुरक्षित रखने के यत्न में ही एक तरह से उसे असुरक्षित कर दिया या साइबर संकट खड़ा कर दिया। माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी का दावा है कि समस्या का पता लगा लिया गया है तथा शीघ्रातिशीघ्र इस समस्या पर पूरी तरह नियन्त्रण कर लिया जाएगा।
परन्तु माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के सर्वर में पैदा हुई इस तकनीकी खराबी से जितने व्यापक स्तर पर दुनिया में कामकाज प्रभावित हुआ है, उसके दृष्टिगत यह बड़ी चिन्ता पैदा हुई है, कि यदि माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी या संचार एवं सॉफ्टवेयर क्षेत्र की अन्य कम्पनियों पर कोई बड़ा साइबर हमला होता है तो उसके कितने भयावह परिणाम निकल सकते हैं? यह सवाल भी उभर कर सामने आया है कि विंडो सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी का जिस तरह का एकाधिकार बना हुआ है तथा जिस तरह पूरी दुनिया में व्यापक स्तर पर भिन्न-भिन्न कम्पनियां संचार एवं अन्य कामों के लिए इस पर निर्भर हो गई हैं, क्या यह स्वयं में ही असुरक्षा से भरा घटनाक्रम तो नहीं है? बहुत-से तकनीकी विशेषज्ञों ने इस संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस साइबर संकट से सबक लिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में यदि इस तरह के कोई और संकट पैदा होते हैं तो उनसे समय पर एवं सही ढंग से निपटा जा सके। यह आगामी समय में ही देखा जाएगा कि सूचना टैक्नालोजी तथा कम्प्यूटर क्षेत्र के विशेषज्ञ इस संबंध में तकनीकी तौर पर किस तरह के सुझाव देते हैं तथा भिन्न-भिन्न देशों की सरकारें तथा उनकी कम्पनियां इस संबंध में किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं।

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