गैर-संवैधानिक और विभाजक नीतियां
प्रत्येक वर्ष सावन माह में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में कांवड़ यात्रा निकलती है। कांवड़िये शिव भक्त होते हैं और ऐसी यात्रा का उनकी आस्था से संबंध है। देश भर में धार्मिक क्षेत्र में अनेक यात्राएं और शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। प्रत्येक का संबंध श्रद्धालुओं की अपनी आस्था के साथ जुड़ा होता है। अक्सर ऐसी शोभायात्राओं और अन्य एकत्रताओं से भाईचारक सांझ को और मज़बूत बनाने की आशा की जाती है। अक्सर ऐसा होता भी है। सैंकड़ों वर्षों से देश में लोग मिल-जुल कर एक-दूसरे के विश्वासों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए ऐसी गतिविधियों का स्वागत करते हैं। लेकिन कुछ साम्प्रदायिक तत्व और संगठन ऐसी यात्राओं के मौके को अपनी चौधर बनाने के लिए या दूसरे भाईचारे या सम्प्रदायों पर दबाव बनाने की नियति के साथ उपयोग करने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण ऐसी यात्राएं कई बार ऩफरत की खेती करती नज़र आती हैं।
भाजपा देश की राष्ट्रीय पार्टी है, जिससे बड़ी ज़िम्मेदारी की आशा की जाती है, कि वह भारतीय संविधान की भावनाओं को समझते हुए सभी विश्वासों का मान-सम्मान करे, लेकिन अक्सर इस पर यह ़िगला भी रहा है कि वह एक भाईचारे के विरुद्ध साम्प्रदायिक भावनाएं भड़का कर उससे राजनीतिक लाभ लेने का यत्न करती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जो तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं, ने हमेशा ‘सब का साथ, सब का विकास और सब का विश्वास’ का नारा बुलंद किया है, जिसके कारण देश के लोगों ने उनको समय-समय पर भरपूर समर्थन भी दिया है लेकिन इसके साथ ही अक्सर ऐसी शिकायतें भी मिलती रहती हैं कि उनकी कई नीतियां देश की साम्प्रदायिक सद्भावना को नुकसान पहुंचाने वाली साबित होती हैं। खासतौर पर चुनावों के दौरान वह एक सम्प्रदाय को भावुक करने के लिए दूसरे सम्प्रदाय के विरुद्ध ऐसी ब्यानबाज़ी करते रहे हैं। इसी कारण विपक्षी दलों द्वारा उन पर आरोप लगाए जाते रहे हैं कि वह चुनाव जीतने के लिए साम्प्रदायिक पत्ते का इस्तेमाल करते हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में भी उनके कई ब्यानों से ऐसा प्रभाव मिलता रहा है कि जैसे वह एक सम्प्रदाय के विरुद्ध ध्रुवीकरण करके चुनावों में फायदा लेना चाहते हों, परन्तु पिछले लोकसभा चुनावों में उनकी ऐसी नीति बहुत कारगर साबित नहीं हो सकी। आम तौर पर विश्वास किया जाता था कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में भाजपा के नेताओं द्वारा अपनाई इस नीति का उनको काफी फायदा मिलेगा लेकिन इस संबंधी उनकी अपनाई नीति बड़ी हद तक सफल नहीं हो सकी।
पिछले दो लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा को उत्तर प्रदेश में क्रमश: 71 तथा 62 सीटें प्राप्त हुइ थीं, परन्तु इस बार राम मंदिर के निर्माण का व्यापक स्तर पर प्रचार करने के बावजूद उत्तर प्रदेश में भाजपा को सिर्फ 37 सीटें प्राप्त हो सकी हैं, परन्तु इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की नीति जारी रखी हुई है। इसका ताज़ा उदाहरण श्रावण मास में शिव भक्तों की कांवड़ यात्रा संबंधी दुकानदारों के लिए जारी किए गए आदेशों से देखी जा सकती है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा मध्य प्रदेश की भाजपा सरकारों ने इस यात्रा के मार्ग में आते सभी दुकानदारों तथा होटल मालिकों को दुकानों के बाहर बोर्डों पर अपने नाम तथा पहचान लिखने के निर्देश दिए हैं। ऐसे आदेशों का सीधा अर्थ समाज में विभाजन डालना है जो नफरत की भावनाओं को जन्म देने में सहायक हो सकता है। ऐसे निर्देश भारतीय संविधान की भावना के भी विपरीत हैं। एक अच्छे समाज के निर्माण में इससे मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। इस बार श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने में असमर्थ रही है। इसलिए उनकी अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगियों को साथ रखने की भी मजबूरी है, परन्तु उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा मध्य प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा संबंधी निर्देशों की जनता दल (यूनाइटेड) तथा लोकजन शक्ति पार्टी ने भी कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस सहित अन्य कई पार्टियों ने भी ऐसे निर्देशों को तुरंत वापिस लेने के लिए कहा है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी इन निर्देशों को गैर-संवैधानिक कहा है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इसे देश की साझी संस्कृति पर हमला करार दिया है और कहा है कि देश का संविधान प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है और यह भी कि किसी भी नागरिक को उसकी जाति, धर्म, भाषा तथा ऐसे किसी अन्य कारण से उससे अन्याय करने की अनुमति नहीं देता। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री हरीश रावत ने भाजपा शासित इन राज्यों की सरकारों के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुखद कहा है। चाहे इन राज्यों की सरकारों की ओर से अपने-अपने स्पष्टीकरण अवश्य दिए गए हैं, परन्तु यह सुनिश्चित है कि ऐसे फैसले अक्सर समाज के लिए हानिकारक ही सिद्ध होते हैं। यह अच्छी बात हुई है कि सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की सरकारों वाले राज्यों के उक्त आदेशों पर अस्थायी रूप में पाबंदी लगा दी है। भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी को देश में भाईचारक साझ बनाए रखने की अपनी बड़ी ज़िम्मेदारी समझने की ज़रूरत है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द