नीट-लीकेज एक राष्ट्रीय अपराध

यू.जी.सी. नीट में जो कुछ जितना कुछ घटा, उसे सामाजिक सांस्कृतिक राष्ट्रीय अपराध के रूप में देखा  जाना चाहिए, जिसके लिए कोई क्षमादान नहीं हो सकता। इसे सम्भालने की कोशिश व्यर्थ गई। 18 जून, 2024 को यू.जी.सी. नीट में भी वही कुछ हुआ। यह खबरों का सिलसिला आकलन डरा देने वाला है। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय देश भर के विश्वविद्यालयों और डिग्री कालेजों में विभिन्न विषयों के असिस्टैंट प्रोफैसरों की नियुक्ति, पी.एच.डी. की पात्रता आदि के निर्धारण के लिए होने वाली इस विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय परीक्षा (नेट) को रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं, आलोचना से घबरा कर और परीक्षा में हुई गड़बड़ी के चलते केन्द्र द्वारा इसकी जांच सी.बी.आई. से करवाने का फैसला लिया गया है। विपक्ष के हमलों के बीच सरकार की परेशानी का अंत नहीं है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर जारी अपनी एक पोस्ट में कहा यू.जी.सी. नेट की धांधली की भनक लगते ही सरकार ने नेट की परीक्षा को रद्द कर दिया है। वह किसी भी सूरत में उनके करियर से खिलवाड़ नहीं होने देगी।
याद रहे कि शिक्षा मंत्रालय ही परीक्षा प्रक्रिया की बहुत सी ज़रूरी पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है। कोई उसे दलालों, पेपर लीक करने वाली मंडलियों के हवाले नहीं कर सकता है। यह घातक है और अनेक ठग द्वारों को खोलने वाला भी। देश भर को बदनाम करने वाला भी। यह बात जान लें कि 83 विषयों वाली यह परीक्षा 18 जून 2024 को एक ही दिन में दो अलग-अलग शिफ्टों में हुई थी। पहली शिफ्ट सुबह 9 बजकर तीस मिनट से लेकर दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक की थी। यू.जी.सी. के अध्यक्ष प्रोफैसर नमिडाला जगदीश कुमार के अनुसार 317 शहरों में हुई इस परीक्षा (दो शिफ्टों में) 11.21 लाख से अधिक पंजीकृत छात्रों में करीब 81 प्रतिशत छात्र हाजिर हुए। ओ.एम.आर. यानी पैन और पेपर मोड में आयोजित इस परीक्षा के बारे में 19 जून को गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कार्डिनेशन सैंटर से परीक्षा में गड़बड़ी के कुछ इनपुटस मिले। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार इन इनपुटस से पहली ही नज़र में संकेत मिल रहे थे कि परीक्षा की ईमानदारी डगमगा रही है जिस वजह से केन्द्र सरकार ने आनन-फानन में परीक्षा रद्द करने का फैसला किया। वैसे किसी भी छात्र के लिए दोबारा परीक्षा में बैठना आसान नहीं है, लेकिन उन्हें ढांचागत खामियाज़ा भोगना पड़ रहा है। एन.टी.ए. (नैशनल टेस्ंिटग एजेंसी) को यह परीक्षा रद्द कर नये सिरे से करवाने की अनुशंसा की जा रही है 
परीक्षा देने के लिए छात्र गांव, कस्बों, छोटे शहरों से भी खूब मेहनत करके परीक्षा देने आते हैं। वे अंजान रहते हैं कि तीस-बत्तीस लाख में अगले दिन आने वाला पेपर परीक्षा केन्द्र में जाने से पहले ही बिक चुका है।  नीट के बाद नेट की परीक्षा का भी अपराधियों के चंगुल में फंस जाना गहरे षड्यन्त्र की तरफ इशारा करता है। बड़ा सवाल यही है कि बार-बार इस तरह से होने वाले षड्यंत्रों का दायित्व किस पर आता है। देश को यह ज़िम्मेदारी निश्चित करना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि परीक्षा रद्द होने पर आपका पूरा सिस्टम ढहा हुआ महसूस होने लगता है। कल को कौन इसकी प्रतिष्ठा पर विश्वास से कुछ कह सकेगा। कांग्रेस पार्टी ने इसकी भरपूर आलोचना की है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकुर्जन खड़गे ने मैडिकल प्रदेश प्रवेश परीक्षा नीट में अनियमितताओं पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा- आखिर प्रधानमंत्री ‘(नीट परीक्षा’ पे चर्चा कब करेंगे? बिहार, गुजरात और हरियाणा में शिक्षा माफिया के तहत गिरफ्तारी हुई है।