हान कांग दक्षिण कोरिया की पहली महिला लेखिका जिन्हें मिलेगा नोबेल प्राइज़

येओंग-हये आधुनिक सेओल में रहने वाली एक गृहिणी हैं, जो पार्ट-टाइम ग्ऱािफक आर्टिस्ट भी हैं। जब उन्हें जानवरों को काटते हुए लगातार अनेक डरावने सपने आते हैं, तो वह गोश्त न खाने का निर्णय लेती हैं। दक्षिण कोरिया जैसे मासाहारी देश में यह कठिन फैसला था, जिसका उनके व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन पर गहरा असर पड़ता है और वह अपने परिवार व समाज से दूर होती चली जाती हैं।
इस संक्षिप्त प्लाट को आधार बनाकर हान कांग ने 1997 में ‘द फ्रूट ऑ़फ माई वुमन’ (मेरी औरत का फल) नामक लघुकथा लिखी थी, जिसका उन्होंने बाद में उपन्यास के रूप में विस्तार किया जो 2007 में ‘द वेजीटेरियन’ (शाकाहारी) के शीर्षक से प्रकाशित हुआ। ‘द वेजीटेरियन’ तीन खंडों में विभाजित उपन्यास है। पहला हिस्सा ‘द वेजीटेरियन’ येओंग-हये का पति चेओंग फर्स्ट-पर्सन में बयान करता है। दूसरा हिस्सा ‘मंगोलियन मार्क’ थर्ड-पर्सन में है, जो येओंग-हये के देवर पर फोकस करता है और तीसरा हिस्सा ‘फ्लेमिंग ट्रीज’ थर्ड-पर्सन में ही रहता है, लेकिन येओंग-हये के देवर पर फोकस करता है। ‘द वेजीटेरियन’ को यी सांग साहित्यिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसका अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनी, मंडारिन सहित 13 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। डेबोराह स्मिथ द्वारा अंग्रेज़ी में अनुवादित ‘द वेजीटेरियन’ को 2016 में मेन बुकर इंटरनेशनल प्राइज से सम्मानित किया गया था। ‘द वेजीटेरियन’ पहला उपन्यास था जिसे यह पुरस्कार दिया गया, जबकि 2015 तक यह पुरस्कार एकल उपन्यास की बजाय लेखक के सम्पूर्ण कार्य को आधार बनाकर दिया जाता था। 
जून 2016 में ‘टाइम’ ने ‘द वेजीटेरियन’ को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की सूची में शामिल किया था। हालांकि हान कांग ने अपनी साहित्यिक यात्रा एक कवियत्री के रूप में आरंभ की थी कि उनका पहला कविता संग्रह 1993 में प्रकाशित हुआ और फिर 1995 में उनका लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुआ, लेकिन इसके बाद उन्होंने उपन्यासों पर अधिक फोकस किया और उनके कलम से ‘ब्लैक डियर’, ‘द वेजीटेरियन’, ‘ग्रीक लेसंस’, ह्यूमन एक्ट्स’ व ‘द वाइट बुक’ जैसे पठनीय उपन्यास निकले। ‘द वाइट बुक’ शायराना उपन्यास है, जो हान कांग की बड़ी बहन की मौत पर आधारित है, जिनका जन्म के कुछ दिनों बाद ही निधन हो गया था। ‘द वाइट बुक’ को 2018 में इंटरनेशनल बुकर प्राइज के लिए शोर्ट लिस्ट किया गया था। हान कांग का नवीनतम उपन्यास ‘वी डू नॉट पार्ट’ (हम बिछुड़ते नहीं हैं) है, जोकि 20वीं शताब्दी में दक्षिण कोरिया के उपद्रवी इतिहास से संबंधित है, जिस दौरान युद्ध हुआ, कोरिया का विभाजन हुआ और तानाशाही देखने को मिली। 
दरअसल, अपने ‘तीव्र शायराना गद्य’ के माध्यम से हान कांग ऐतिहासिक सदमे का मुकाबला करती हैं और मानव जीवन की भंगुरता को एक्सपोज़ करती हैं। उनका साहित्य उस इतिहास का गवाह है, जिसे उन्होंने देखा है। मसलन, 1980 में हान कांग के गृह नगर ग्वांगजू में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की हत्या की गई। ‘ह्यूमन एक्ट्स’ इसी घटना की गवाही देता है। ‘ह्यूमन एक्ट्स’ में वह एक जगह लिखती हैं, ‘मैं हर दिन लड़ रही हूं, अकेले। मैं उस नरक के साथ जंग में हूं, जिससे मैं बच गई हूं। मैं अपनी ख़ुद की मानवता के लिए ये लड़ाई लड़ रही हूं। मुझे रोज़ इस ख्याल से मुकाबला करना होता है कि बचने का एकमात्र तरीका मौत है।’ साथ ही उनके उपन्यास मानव होने के दर्द का अवलोकन करते हैं और कोरिया के उपद्रवी इतिहास के ज़ख्मों को व्यक्त करते हैं। उनके उपन्यासों के किरदार कमज़ोरों विशेषकर महिलाओं के प्रति संवेदनशील हैं, साथ ही शरीर व आत्मा और जीवन व मौत के बीच संबंध स्थापित करने में उनके अंदर विशिष्ट जागृति है। 
इसलिए यह आश्चर्य नहीं है कि 53 वर्षीय हान कांग को वर्ष 2024 के लिए 10 अक्तूबर को साहित्य के नोबेल प्राइज से सम्मानित करने की घोषणा की गई है, जो उन्हें दिसम्बर में प्रदान किया जायेगा। दक्षिण कोरिया की कवियत्री व उपन्यासकार हान कांग एशिया और दक्षिण कोरिया की पहली महिला लेखिका हैं, जिन्हें साहित्य का नोबेल प्राइज दिया जायेगा। दक्षिण कोरिया के लिए यह दूसरा नोबेल प्राइज होगा। हान कांग से पहले शांति का नोबेल सम्मान 2000 में पूर्व राष्ट्रपति किम दाए-जंग को दिया गया था; क्योंकि उन्होंने सैन्य शासन के दौरान लोकतंत्र स्थापित किया था और प्रतिद्वंदी उत्तर कोरिया से संबंध बेहतर किये थे। हान कांग को नोबेल प्राइज ऐसे समय दिया गया है, जब दक्षिण कोरिया की संस्कृति का ग्लोबल प्रभाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। कोरियाई टीवी ड्रामा दुनियाभर में धूम मचा रहे हैं। बोंग जून-हो की फिल्म ‘पैरासाइट’ ने ऑस्कर जीता है। बीटीएस व ब्लैकपिंक जैसे के-पॉप ग्रुप्स हर जगह दिलचस्पी व उत्साह से सुने जा रहे हैं। 
उपन्यास लिखने के संदर्भ में हान कांग का कहना है, ‘यह मेरे लिए अपने आपसे सवाल करने का तरीका है। अपनी लेखन प्रक्रिया के ज़रिये मैं सिर्फ सवालों को पूरा करने का प्रयास करती हूं और सवालों में ही रहने की कोशिश करती हूं, कभी दर्द बढ़ जाता है, कभी मांग बढ़ जाती है।’ बहरहाल, नोबेल प्राइज मिलने पर उन्हें ‘सम्मानित’ होने का एहसास भी है और ‘आश्चर्य’ भी। हान कांग के पिता व भाई भी उपन्यासकार हैं, इसलिए वह कहती हैं कि उन्होंने कोरियाई साहित्य के साथ परवरिश पायी है, जिसके बहुत करीब वह ख़ुद को पाती हैं। वह कहती हैं, ‘मैं उम्मीद करती हूं कि कोरियाई साहित्य के पाठकों, मेरे दोस्तों व लेखकों के लिए यह अच्छी खबर है। नोबेल प्राइज का जश्न मैं बहुत खामोशी से मनाऊंगी और अपने बेटे के साथ चाय पीयूंगी।’ साहित्य के नोबेल प्राइज की लम्बे समय से इस आधार पर आलोचना होती रही है कि यह यूरोप और उत्तर अमरीका के लेखकों पर अधिक फोकस करता है। साथ ही यह पुरुष प्रधान भी है कि इस वर्ष के पुरस्कार को भी गिना जाये तो 120 में से सिर्फ 18 महिलाओं को यह सम्मान दिया गया है। 
हान कांग से पहले जिस महिला को साहित्य का नोबेल प्राइज मिला था वह फ्रांस की एनी एर्नौक्स थीं। इसलिए हान कांग को यह सम्मान दिया जाना स्वागतयोग्य है। उनका शायराना गद्य वास्तव में प्रभावित करता है। मसलन, इन पंक्तियों को देखिये- ‘सफेद रंग में सारे रंग शामिल हैं। दुनिया की सारी रोशनियां इसी में समायी हुई हैं। सफेद रंग और शांति का कोई रिश्ता नहीं है।’ हान कांग की कल्पनाओं की दुनिया में मानव मन के तहखानों में पैबस्त अंधेरों को अपनी नंगी उंगलियों से स्पर्श करने की कोशिश है। साल 2012 की लघुकथा ‘यूरोप’ को एक पुरुष सुना रहा है, जिसने एक महिला का मुखौटा लगाया हुआ है। वह एक ऐसी महिला की ओर आकर्षित हो गया है, जिसकी हाल ही में शादी टूटी थी। लेकिन उसके पास खामोश रहने के अतिरिक्त कोई उत्तर नहीं है, जब उसकी प्रेमिका सवाल करती है, ‘अगर तुम अपनी मज़र्ी के मुताबिक जी पाने में सक्षम होते, तो तुम अपनी ज़िंदगी के साथ क्या करते?’ इस अफसाने का एक हासिल यह है कि इस संसार में तृप्ति और प्रायश्चित के लिए कोई स्थान नहीं है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर