विश्व भर में तेज़ी से बढ़ रहा डेंगू का प्रकोप

भारत सहित दुनिया के बहुत-से देशों में डेंगू का प्रकोप तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित दुनिया के देश डेंगू को लेकर अब गंभीर हो गए हैं। इसका बड़ा कारण है कि दुनिया के 130 देश डेंगू की जद में आ चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस समय 4 अरब लोग डेंगू से प्रभावित हो रहे हैं और 2050 तक यह आंकड़ा पांच अरब को पार कर जाएगा। भारत की बात की जाए तो देश के लगभग हर प्रदेश में डेंगू के नित नए केस सामने आ रहे हैं। भले ही यह माना जाता हो कि डेंगू के कारण मौत की दर बहुत कम है और सामान्यत: डेंगू सामान्य पेरासिटामोल आदि लेने से ठीक हो सकता है। सामान्यत: यह माना जाता है कि डेंगू के कारण तेज़ी से प्लेटलेट्स में कमी आती है पर विषेषज्ञों का मानना है कि प्लेटलेट्स से भी ज्यादा गंभीर होता है ब्लड प्रेशर में कमी आना है। प्लेटलेट्स के साथ ही ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना ज़रुरी हो जाता है। यह ध्यान रखना अधिक ज़रूरी हो जाता है कि ब्लड प्रेशर कम नहीं होना चाहिए। डेंगू का असर सीधे लीवर पर पड़ता है और ब्लड के अंत:स्राव  की समस्या हो जाती है। जो अपने आप में गंभीर होती है। उल्टी होने से डिहाईड्रेशन की समस्या अधिक गंभीर हो जाती है। दरअसल एक समस्या यह है कि डेंगू का पता भी तीन चार दिन बाद पता चलता है। इसलिए सावधानी सबसे बड़ी ज़रूरी हो जाती है। खैर सबसे अधिक चिंतनीय यह है कि डेंगू का प्रकोप तेज़ी से बढ़ता जा रहा है विश्व स्वास्थ्य संगठन अब अधिक गंभीर हो गया है।   
गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि इंडोनेशिया में ड्रोन्स से सर्वे कर मच्छरों के लार्वा की खोज करके नष्ट करने का यह परिणाम रहा है कि डेंगू के मामलों में 70 फीसदी तक कमी आई है। डेंगू से बचाव के लिए डेंगू मच्छर का खात्मा करने वाले एंटी डेंगू मच्छर को दुनिया के करीब 14 देशों में छोड़े जाने का निर्णय किया गया है। वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोगशाला में एंटी डेंगू मच्छर का सफल प्रयोग किया जा चुका है और ब्राज़ील में बड़ा केन्द्र बनाते हुए बोल्वाशिया मच्छर को पैदा करने का कार्य आरंभ कर दिया गया है। हालांकि किन किन 14 देशों में एंटी डेंगू मच्छरों को छोड़ा जाएगा, यह निर्णय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अभी किया जाना है, परन्तु एक बात साफ हो चुकी है कि डेंगू को रोकने हेतु अभियान चलाया जाना आवश्यक है, क्योंकि डेंगू अब किसी देश की सीमा में बंधा नहीं रह गया है। देश-दुनिया की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने डेंगू बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। दरअसल डेंगू की गंभीरता को देखते हुए ही गैर-सरकारी वर्ल्ड मास्किटो प्रोग्राम के तहत एंटी डेंगू मच्छर विकसित किया गया है। 2023 में इंडोनेशिया में इनका प्रयोग किया जा चुका है और इसका 95 प्रतिशत तक सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। हालांकि 2011 में आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में लगातार चार बरसाती सीजन में एंटी डेंगू मच्छर का प्रयोग किया गया और दावा किया गया कि वहां चार बरसातों में एक भी डेंगू का मामला सामने नहीं आया। इन मच्छरों में एक बैक्टीरिया वोल्वाशिया पापीएंटिस डाला गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे बीमारी वाले मच्छरों को वायरस फैलाने से रोकने में सफल होंगे। अब तक के परीक्षणों में वे खरे भी उतरे हैं। डेंगू की भयावहता को इसी से समझा जा सकता है कि 16 मई को भारत में राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाने लगा है। इस दिवस के आयोजन के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है। दरअसल डेंगू एडीज एजिप्टी प्रजाती की मादा मच्छर के कारण तेजी से फैलता है। बरसात के दिनों में यह मच्छर तेजी से फैलता है। जमा पानी और गंदगी आदि में डेंगू मच्छर तेज़ी से बढ़ते हैं। जुलाई से सितम्बर-अक्तूबर तक डेंगू का प्रकोप अधिक रहता है। शुरुआती दो तीन दिन तक तो जांच में पता ही नहीं चलता है। डेंगू में 3 से 7 दिन अधिक गंभीर होते हैं। प्लेटलेट्स में तेज़ी से गिरावट आती है। हालांकि डेंगू के कारण मौत तुलनात्मक रूप से कम है परन्तु डेंगू का प्रभाव क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में एंटी डेंगू मच्छर अच्छा संकेत माने जा सकते हैं। 
डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देश में ड्रोन का इस्तेमाल अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इंदोर में डेंगू मच्छरों को नष्ट करने के लिए ड्रोन के उपयोग का निर्णय किया गया है। देश के अन्य हिस्सों में भी ड्रोन का इस्तेमाल प्रयोग के रूप में किया जाने लगा है। सवाल साफ  है कि डेंगू के प्रकोप को चुनौती के रूप में लेते हुए सरकार को ठोस प्रयास करने होंगे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी और गैर-सरकारी सभी संस्थाओं को आगे आना होगा और सबसे अधिक लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता और सफाई के प्रति चेतना विकसित करनी होगी। 

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