त्यौहारों में दिख रहा ‘वोकल फॉर लोकल’ के आह्वान का असर

दिवाली और अन्य त्यौहारों के कारण व्यापारी और ग्राहक दोनों ही उत्साहित हैं। इस बार दिवाली तक बाज़ारों में रौनक रहेगी। कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि इस त्यौहारी सीजन में 4.25 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है। कैट द्वारा किए गए एक सर्वे में देश के 70 बड़े व्यापारिक केंद्रों से मिले आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। पिछले साल 3.5 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था और इस बार दिल्ली में ही 75 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार हो सकता है। त्यौहारों के बाद शादी का सीजन भी शुरू होगा, जिससे और बड़ा व्यापार होने की उम्मीद है। त्यौहारी सीजन में 70 करोड़ लोग खरीदारी करते हैं। इस सीजन के दौरान लोग भारी मात्रा में खरीदारी करते हैं। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से लोकल उत्पाद खरीदने की अपील की है, और इसका असर दिख भी रहा है। कैट ने व्यापारियों से स्थानीय निर्माताओं और कारीगरों का समर्थन करने को कहा है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और ‘वोकल फॉर लोकल’ मंत्र के कारण चीनी सामान की मांग घट रही है और दिवाली से पहले ही भारतीयों ने चाइना का दिवाला निकाल दिया है। खबर है कि दिवाली से पहले चीन को बड़ा झटका लगा है और चीनी सामानों के बहिष्कार से ड्रैगन को अभी तक करीब 60 हजार करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है जबकि इस दौरान घरेलू स्तर पर ग्राहकी बढ़ने से अर्थव्यवस्था में 3.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की संभावना है।
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि जब से प्रधानमंत्री ने देश वासियों को विदेशी वस्तुओं की जगह अपने देश में निर्मित खास तौर पर शिल्पकारों और कुटिर उद्योगों में बनाई गई चीज़ों को खरीदने का आह्वान किया है, तब से लोग चीनी सामान खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इसके कारण भारतीय सामान की मांग बढ़ी है जबकि चीनी वस्तुओं की बिक्री में भारी गिरावट आई है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कैट की अनुसंधान शाखा, कैट रिसर्च एंड ट्रेड डिवेल्पमेंट सोसाइटी द्वारा कई राज्यों के 20 शहरों में किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि इस साल अब तक कई भारतीय व्यापारी या आयातकों ने चीन को इसे दिवाली पर पटाखों या अन्य सामान का ऑर्डर नहीं दिया  है और इस साल दिवाली को विशुद्ध रूप से भारतीय दिवाली के रूप में मनाया जाएगा।  वाराणसी में प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के शुभारंभ के बाद जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि हमें इस दिवाली में भी अपने स्थानीय कामगारों का ख्याल रखना है। हम जितना अधिक ‘वोकल फॉर लोकल’ होंगे, उतना ही हमारे परिवारों में खुशहाली आएगी। उन्होंने लोगों से धनतेरस से दिवाली तक स्थानीय उत्पादों की खरीदारी का आह्वान किया था। इसके साथ यह भी कहा कि लोकल का मतलब सिर्फ  मिट्टी के दीये नहीं हैं।
कैट अध्यक्ष के अनुसार हर साल राखी से नए साल तक के 5 महीने के त्यौहारी सीजन के दौरान भारतीय व्यापारी और निर्यातक चीन से लगभग 70 हज़ार करोड़ रुपये का माल आयात करते हैं, लेकिन इस वर्ष राखी उत्सव के दौरान चीन को लगभग 5000 करोड़ रुपये का तथा गणेश चतुर्थी में 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और यही प्रवृत्ति दिवाली में भी देखे जाने के बाद यह तय हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को लोगों का भरपूर साथ मिल रहा है। इसी का नतीजा है कि न केवल व्यापारी चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं, बल्कि उपभोक्ता भी चीन से बने उत्पादों को खरीदने के इच्छुक नहीं हैं। इस बार मुम्बई में भी दिवाली पर पर्यावरण के अनुकूल और भारत में बने उत्पादों का चलन दिख रहा है और मुम्बईवासी शहर के कुछ प्रसिद्ध बाज़ारों में त्यौहारों के लिए ऐसी आवश्यक वस्तुएं खरीद रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक न हों। बाज़ारों में मोमबत्तियों से लेकर दीयों और रंगोली से लेकर लालटेनों तक दिवाली से संबंधित सामग्री की भरमार है और इस बार ज़ोर भारत में बने उत्पादों पर है।
मुम्बई के पश्चिमी उपनगर माहिम की एक गली को कंदील लेन के नाम से जाना जाता है। यह अपनी लालटेन की दुकानों के लिए जानी जाती है और रोशनी के त्यौहार से पहले जगमग हो उठी है। विभिन्न आकारों, रंगों और शैलियों के लालटेन बेचने वाली दुकानों से सजी यह गली त्यौहार के दौरान गुलज़ार रहती है। दुकानदारों का कहना है कि लोग भारत में बने उत्पाद खरीदने के इच्छुक हैं। लेन की एक अन्य दुकानदार स्वाति कहती हैं। पर्यावरण अनुकूल और भारत निर्मित लालटेन के चलन से पता चलता है कि लोग पर्यावरण के बारे में जागरूकता बढ़ाकर खरीदारी कर रहे हैं।
धनतेरस जाकर आज दिवाली का त्यौहार दस्तक दे रहा है, लेकिन बाज़ारों में इन त्यौहारों को लेकर रौनक पहले से ही लगी हुई है। माना जा रहा है कि इस बार दिवाली पर खरीदारी के लिए बाज़ारों में और ज्यादा से ज्यादा भीड़ उभरने वाली है। जिसके चलते उम्मीद है कि इस वर्ष दिवाली पर 2.5 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी देखने को मिली सकती है। कैट के मुताबिक दिवाली तथा अन्य त्यौहारों खरीद एवं अन्य सेवाओं के ज़रिये लगभग अढ़ाई लाख करोड़ रुपये की नकदी बाज़ार में आने की उम्मीद है। 

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