प्रदूषण से बिगड़ता प्रकृति का संतुलन
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर विशेष
देश में प्रतिवर्ष 2 दिसम्बर को भोपाल त्रासदी में मारे गए निर्दोष लोगों की स्मृति में ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रुप में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को प्रकृति के बिगड़ते संतुलन के प्रति जागरुक करना है। यूनियन कार्बाइड से निकली ज़हरीली व घातक गैसों का असर अब भी बरकरार है जिसका दंश आज भी लोग झेलने को अभिश्प्त हैं। अमरीकन साइकेट्रिक एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषित हवा इंसानों में ही नहीं पशुओं में भी स्ट्रेस एंजाइटी को बढ़ावा देती है। आज समुचा विश्व प्रदूषण की चपेट में हैं, लेकिन इसके प्रति शासन-प्रशासन तो क्या आम आदमी भी उदासीन है। जब से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा है या यूं कहा जाये कि इंसान ने स्वयं गलतियां करके अपना ही जीवन संकट में डाल दिया है। प्रश्न यह उठता है कि प्रकृति की आबोहवा को प्रदूषण से कैसे मुक्त किया जाय? हवा की गुणवत्ता इस कदर खराब हो चुकी है कि राह चलते अब तो सांस लेना भी दूभर हो गया है। कारखानों, फैक्टरियों तथा घरों में जलते ईधन से निकलने वाले धुएं व हानिकारक गैसों ने वायु प्रदूषण का घातक रूप धारण कर मानव जाति के जीवन को नारकीय बना दिया है। जो हमारे शरीर को अनेक बीमारियों से जकड़ रहा है। धुएं से होने वाली बीमारियों में हार्ट अटैक, फेफड़ों में फैलता संक्रमण, खुजली, आंखो में जलन, खांसी जैसे रोग मनुष्य जीवन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते होने वाली मौतों का प्रतिशत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है। आज विश्व की 95 फीसदी आबादी दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है। यूं भी वैश्विक स्तर पर प्रदूषण से होने वाली मौतों में 50 फीसदी के लिए चीन और भारत अकेले ज़िम्मेदार माने जा रहे है। सन् 2015 से भारत, पाकिस्तान, और बांग्लादेश में प्रदूषण के स्तर में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। बाहरी प्रदूषण के बाद हमारे घरों के भीतर का वायु प्रदूषण भारत में हर साल लगभग 13 लाख लोगों की जाने लील जाता है। भारत जैसे गर्म देश में घर के भीतर खाना बनाने के कारण पैदा हुए हानिकारक रसायनों से मकान के अंदर की गुणवत्ता खराब हो जाती है। यह बाहरी वायु प्रदूषण की तुलना में 10 गुना ज्यादा हानिकारक है। विकासशील देशों में घर में खाना बनाने के दौरान निकलने वाले ज़हरीले धुएं के कारण 15 लाख से ज्यादा लोग काल कल्वित होते हैं। यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगटन ने जारी की है। तो जर्नल एनवायर्नमेंटल सांड्स एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में गैस स्टोव से उत्सर्जित होने वाले कम से कम 12 खतरनाक वायु प्रदूषण तत्वों के बारे में बताई गई है । घह के भीतर प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों से बच्चे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। गैस चूल्हे की वजह से भीतरी वायु प्रदूषण तो होता ही है। घर में प्रदूषण से बचाव के लिए पौधे लगाए जाने चाहिए जो कि वायु को शुद्ध करने का काम करते हैं। वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से बचने के लिए प्रकृति में पेड़-पौधे लगाकर हम कुछ हद तक बचाव कर सकते हैं। भीतरी प्रदूषण को हम अपनी थोड़ी-सी कोशिष व सजगता से अवश्य कम कर सकते हैं। शीत ऋतु में तो हमें ज्यादा सचेत रहना चाहिए चूंकि शीत में धूल-धुआं ऊपर नहीं उठ पाता है और सारा प्रदूषण हमारे ईर्दगिर्द ही जमा होता रहता है।
घर को प्रदूषण मुक्त करने हेतु रसोई में चिमनी या एग्जॉस्ट फैन लगाए जाने चाहिए तथा अरेका पाम, मदर इन-लाज-टंग और मनीप्लांट जैसे पौधे ताज़ी हवा के अच्छे स्रोत हो सकते हैं। सुबह के समय घर की खिड़कियां व दरवाज़े अवश्य खोलें, ताकि ताज़ी हवा से घर प्रदूषित हवा से मुक्त हो सके। वायु प्रदूषण से संवेदनशीलता बढ़ती है। प्रदूषण को नज़रअंदाज़ हरगिज नहीं करना चाहिए बल्कि जागरुक रह कर ही इस समस्या का निवारण सभी मिलकर करना होगा तभी प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
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