सोने के अधिक आयात से कमज़ोर होता रुपया
बजट 2024-25 में सोने के पक्ष में नीतिगत उपायों के लिए भारत सरकार द्वारा आगे लाये गये तर्कों में से एक था भारतीय रुपये की कमज़ोरियों को दूर करना था, लेकिन 18 दिसम्बर को यह ऐतिहासिक निचले स्तर 85.17 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गया। उसके एक दिन पहले सुबह के कारोबार में यह 84.93 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। दूसरा तर्क यह दिया गया था कि सोना और अधिक किफायती हो जायेगा, लेकिन इसकी दर 77,600 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गयी। इसके अलावा सोने का आयात चार गुना से अधिक बढ़ गया, जिससे नवम्बर में व्यापार घाटा रिकॉर्ड उच्च स्तर 37.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि नवम्बर 2024 में 14.9 अरब डॉलर का सोना आयात किया गया जबकि एक साल पहले नवम्बर 2023 में यह 3.5 अरब डॉलर था, जिससे यह भारत के आयात बास्केट में पेट्रोलियम के बाद 21 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ दूसरा सबसे बड़ा अयातित पदार्थ हो गया। गैर-तेल निर्यात से होने वाला लाभ सोने के आयात खर्च में ही खत्म हो गया। सोने पर बेतहाशा बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च की जा रही है। नवम्बर में भारत का आयात लगभग 70 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च मूल्य पर पहुंच गया। रिकॉर्ड व्यापारिक व्यापार घाटा पिछले महीने अक्तूबर में 27.14 अरब डॉलर से बढ़ कर 37.84 अरब डॉलर और नवम्बर 2023 में 21.31 अरब डॉलर हो गया। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने सोने के आयात में उछाल का कारण वैश्विक कीमतों में भारी वृद्धि और इसकी सुरक्षित पनाहगाह की स्थिति को बताया है, ऐसे समय में जब स्टॉक मार्केट अस्थिर बना हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पिछले एक दशक के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पर एक नज़र डालते हैं। 2013 में यह कीमत 54.78 रुपये प्रति डॉलर थी, लेकिन 2019 में गिरकर 72,15 रुपये, 2021 में 75.45 रुपये, 2022 में 81.62 रुपये और 17 दिसम्बर 2024 को सुबह के कारोबार में 84.93 रुपये पर आ गई तथा 18 दिसम्बर को कीमत 85.17 रुपये के ऐतिहासिक स्तर तक नीचे गिर गया।
सोने पर आयात शुल्क कम करते समय सरकार की ओर से कहा गया था कि इससे सोने की कीमतें कम होंगी और आम लोगों के लिए सोना अधिक किफायती हो जायेगा, जिससे घरेलू मांग और निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि ऐसा नहीं हुआ, बावजूद इसके कि सोने की कीमतों में शुरुआती 9 फीसदी की गिरावट के साथ 74,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से 68,000 रुपये पर आ गयी। कुछ ही हफ्तों में सोने की कीमतें फिर से बढ़ने लगीं और आज यह 77,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बिक रहा है। भारत में 2010 में सोने की कीमत 18,000 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो 2018 में बढ़कर 31,391 रुपये, 2019 में 39,108 रुपये, 2020 में 50,151 रुपये, 2022 में 52,670 रुपये और 2023 में 63,820 रुपये हो गयी।
केंद्रीय बजट 2024-25 में सोने पर कुल सीमा शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया था और सोने के डोरे पर 14.35 प्रतिशत से घटाकर 5.35 प्रतिशत। यह रिकॉर्ड पर सबसे बड़ी कटौती थी। आयात शुल्क में कटौती के अलावा, सरकार ने सोने पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिए होल्डिंग अवधि को भी 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दिया है। दीर्घ अवधि के लाभ की दर भी इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दी गयी। मौजूदा स्वर्ण नीति विदेशों में सोने की खरीदारी को भी प्रोत्साहित करती है। हालांकि, विदेशों से शुल्क मुक्त सोने की खरीद की सीमाएं हैं। पुरुष यात्री विदेशों से 20 ग्राम शुल्क मुक्त सोना ला सकते हैं। 20 से 50 ग्राम के बीच सोने पर सीमा शुल्क 3 प्रतिशत, 50 से 100 ग्राम पर 6 प्रतिशत और 100 ग्राम से अधिक पर 10 प्रतिशत है।
महिला यात्रियों के लिए शुल्क मुक्त सोने की सीमा 40 ग्राम है। 40 से 100 ग्राम के बीच की मात्रा पर 3 प्रतिशत सीमा शुल्क, 100 से 200 ग्राम के बीच 6 प्रतिशत और 200 ग्राम से अधिक पर 10 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाया जाता है। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए नियम महिलाओं के समान ही हैं।
यात्रियों के लिए 20 ग्राम से कम सोने की छड़ों पर कोई सीमा शुल्क लागू नहीं होता है। 20 से 100 ग्राम के बीच सोने की छड़ों के लिए सीमा शुल्क 3 प्रतिशत है, 1 किलोग्राम सोने की छड़ के लिए यह 10 प्रतिशत है। 100 ग्राम सोने के सिक्के पर सीमा शुल्क 10 प्रतिशत है और 20 से 100 ग्राम सोने के सिक्कों के लिए यह 10 प्रतिशत है। 10 ग्राम से कम सोने के सिक्के पर कोई शुल्क लागू नहीं है।
भारत में सोने की खरीद पर 3 प्रतिशत जीएसटी, आयात शुल्क और सीमा शुल्क लागू होते हैं, जिससे खरीद महंगी हो जाती है। इस कारण उपभोक्ता व्यवहार और निवेश निर्णय प्रभावित होते हैं। इसलिए अमीर लोग बहुत बड़ी मात्रा में सोना आयात कर रहे हैं, जिससे रुपया कमज़ोर हो रहा है और व्यापार घाटा बढ़ रहा है। ऐसा लगता है कि उन्हें भारत के आम लोगों की कोई चिंता नहीं है। सोने का ऐसा बेलगाम आयात अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है। (संवाद)