साहिबज़ादों की शहादत को समर्पित है ‘वीर बाल दिवस ’
9 जनवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐतिहासिक घोषणा की थी कि प्रत्येक वर्ष 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह फैसला भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है जब गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबज़ादों की शहादत तथा हौसले को याद करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर यह दिवस मनाया जा रहा है। वीर बाल दिवस साहिबज़ादों अभिप्राय श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार पुत्रों की बेमिसाल बहादुरी तथा शहादत को सम्मानित करता है, जो इन्साफ तथा धर्म की रक्षा के लिए कुर्बानी हेतु की जंग का अटूट हिस्सा हैं।
1704 में मुगल बादशाह औरंगज़ेब के अत्याचारों के कारण गुरु गोबिन्द सिंह जी तथा उनके परिवार के अनेक यातनाएं सहन करनी पड़ीं। गुरु जी के दो बड़े पुत्र साहिबज़ादा अजीत सिंह जी तथा साहिबज़ादा जुझार सिंह जी चमकौर की जंग में शहीद हुए। गुरु जी के दो छोटे पुत्रों, साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह जी (आयु 9 वर्ष) तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह जी (आयु 6 वर्ष) को उनकी दादी माता गुजरी जी के साथ पकड़ लिया गया और सरहिंद ले जा कर कैद कर दिया गया।
मुगल हाकिम वज़ीर खान ने उन्हें धर्म त्यागने तथा इस्लाम कबूल करने के बदले सुरक्षा, दौलत तथा राजभाग देने की भी पेशकश की, परन्तु कम आयु के बावजूद, साहिबज़ादों ने अपने सिद्धांतों से झुकना कदापि स्वीकार नहीं किया। उनकी बहादुरी तथा दलेरी के कारण उन्हें 26 दिसम्बर, 1704 को जीवित दीवार में चिनवा कर शहीद कर दिया गया। इस शहादत का समाचार सुन कर माता गुजरी जी ने भी शहादत प्राप्त कर ली।
वीर बाल दिवस की घोषणा करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह जी तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह जी की कुर्बानी को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया है। इससे यह सुनिश्चित बनाया गया कि यह गाथा किसी एक समुदाय की सीमा तक सीमित न रहे, अपितु भारत की साझी याद बने। यह फैसला सिख समुदाय की महान शहादतों को सम्मान देता है और बहादुरी, धर्म और कुर्बानी के उन नैतिक मूल्यों को मज़बूत करता है जो भारतीय संस्कृति की नींव हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी की दूरदर्शी सोच यह है कि भारत के युवा साहिबज़ादों की बहादुरी से प्रेरणा लें। उनकी कुर्बानी हौसले, सच्चाई और नैतिकता का पाठ पढ़ाती है। वीर बाल दिवस एक मज़बूत संकेत है कि सच्चाई तथा न्याय के लिए हमेशा खड़े रहना चाहिए, चाहे मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों।
यह ऐतिहासिक कदम उन भ्रमों को भी दूर करता है, जिनके तहत साहिबज़ादों की शहादत को मुख्य रूप में सिख समुदाय में ही याद किया जाता था। श्री मोदी की सरकार ने इस शहादत को राष्ट्रीय चेतना में शामिल किया है। यह भारत के मूल्यों, विरासत तथा साझे इतिहास को संभालने तथा उन्हें सम्मानित करने का प्रयास है।
वीर बाल दिवस हमें याद दिलाता है कि भारत का इतिहास बहादुरी तथा कुर्बानी की कहानियों से भरपूर है। यह दिन भारत को एक ऐसा भविष्य बनाने की ओर प्रेरित करता है, जहां एकजुटता, नैतिकता तथा बहादुरी राष्ट्र की पहचान बनती है।
-राष्ट्रीय सचिव, भाजपा