पाकिस्तान के पतनशील हालात

कोई भी देश जब कहीं भी युद्ध छेड़ देता है तो चौतरफा तबाही निश्चित है। खासकर तब जब देश के भीतरी हालात भी ज्यादा माकूल न हों। पाकिस्तान के बनने की दास्तां हम अभी तक नहीं भूले।
मजहब आधारित ताकतों के अड़ियल रवैये के कारण विभाजन भारत के स्वतंत्र होने के साथ ही झेलना पड़ा, जिसमें अंग्रेज सरकार की कुटिल भूमिका की उपेक्षा नहीं की जा सकती। दोनों तरफ से एक करोड़ लोग विस्थापित हुए। दस लाख जानें चली गईं। बहनों-माताओं की इज्जत लूटी गई। विश्व भर में इस अभूतपूर्व विभाजन की निंदा की गई। लेखक आज तक कहानियों, उपन्यासों में विभाजन की पीड़ा, अमानवीयता, क्रूरता का ज़िक्र कर रहे हैं। यह भी कहा गया कि लाखों लोगों को उजाड़ कर विस्थापित कर, खून की नदी बहाकर कोई चीज पाक पवित्र कैसे हो सकती है? पाकिस्तान की आंतरिक दशा इतने दशकों बाद भी बद से बदतर होती चली गई। देश की आम जनता ़गरीबी की जकड़बंदी से उभर नहीं पाई। बड़े औद्योगिक केन्द्र स्थापित नहीं हो सके। बेरोज़गारी में इज़ाफा होता रहा। हिन्दू लड़कियों को जबरदस्ती निकाह के लिए विवश किया गया। महंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई। ऐसे विकट हालात में भी वहां आतंकवादी खेमा तैयार होता रहा जिनका मकसद भारत के लिए परेशानी पैदा करना ही था। भारत ने बार-बार वैश्विक स्तर पर प्रतिरोध भी प्रकट किया, जिसका ज्यादा असर हुआ नहीं।
अब पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने पड़ोसी मुल्क अ़फगानिस्तान के सीमांत क्षेत्र पर हवाई हमला करके 46 लोगों को मार गिराया है। अ़फगानिस्तान के प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत के अनुसार पाकतिका प्रांत के रिहायशी पहाड़ी क्षेत्र बरमाल में यह हमला किया है, वहां पाकिस्तानी सेना के दबाव की वजह से भारी संख्या में शरणार्थी शरण लिए बैठे थे। पाकिस्तान की तरफ से किया गया दावा अलग है। उनके अनुसार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के संगठन से संबंधित आतंकवादियों ने विगत 21 दिसम्बर को उत्तर पश्चिमी पाकिस्तानी सीमा पर हमला किया और 16 सैनिकों को मार दिया। उनका दावा यह भी है कि पिछले दो दशकों से इन आतंकवादियों द्वारा वजीरस्तान के उत्तर दक्षिणी हिस्से पर बार-बार हमले किये जाते रहे हैं। इन हमलों की प्रतिक्रिया के तौर पर पाकिस्तानी सेना भी अ़फगानिस्तान की सीमाओं पर हमले करती है। पाकिस्तान की तरफ से यह भी बताया गया कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के कार्यकर्ता, जिन्होंने अफगानिस्तान में शरण ली हुई है, लगातार बार-बार इधर हमले करते रहते हैं। उधर अफगानिस्तान स्थित तालिबानी सरकार का यह कथन है कि ये हमले उनकी सीमाओं से नहीं किए जा रहे। गर्ज यह है कि दोनों देशों के बीच टकराव के हालात पैदा हो चुके हैं। दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है, जिसमें एक भी अपनी भूल नहीं स्वीकार कर रहा, न ही करेगा। पाकिस्तान को इसमें पहले से ही विशेष दक्षता हासिल है। भारत के साथ भी वह इसी तरह झूठ, प्रपंच का व्यवहार करता रहा है। यहां यह बात भी समझना ज़रूरी है कि पाकिस्तान के उत्तर दक्षिणी क्षेत्र में वजीरस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का भारी प्रभाव रहा है। जहां ज्यादातर ने अब अ़फगानिस्तान में शरण ली हुई है। दूसरी तरफ अ़फगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी प्रतिनिधि को बुला कर इस हमले पर कड़ी नाराज़गी का इज़हार किया है। बात यहां तक पहुंच गई है कि तालिबान सरकार बदले की कार्रवाई करने की धमकी भी दे रही है।
 

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