नये साल में नये बदलाव के लिए क्या तैयार हो आप ?
अक्सर हम सुनते हैं कि बढ़ती आयु के साथ इन्सान में बदलाव आते हैं, ज्यादा तजुर्बा, सूझबूझ, सहनशीलता आदि भी आयु के साथ बढ़ते जाते हैं, पर कई बार आयु तो बाद में बढ़ती है पर लोग समझदार पहले हो जाते हैं। यह उक्ति उन लोगों पर बहुत सटीक बैठती है, जो अपने पिछले माह, पिछले साल को सिर्फ एक व्यतीत आंकड़े की तरह नहीं लेते, बल्कि एक तजुर्बे, शिक्षा, प्रेरणा की तरह लेते हैं और उससे कुछ न कुछ सकारात्मक ग्रहण करते हैं।
नया साल शुरू होने से पहले और पुराना साल जब खत्म होने लगता है तो एक जश्न वाला माहौल मन में घर कर लेता है। इस माहौल में साल के खत्म होने पर अकसर यह ख्याल आता है कि साल बड़ी जल्दी खत्म हो गया और साथ ही सवाल भी मन में उठता है कि पिछला साल अच्छा था या नहीं, और इसमें क्या कुछ अच्छा या बुरा हुआ।
आओ, 2025 में नोटिस बोर्ड (हृशह्लद्बष्द्ग क्चशड्डह्म्स्र) की तरह अपने मन का एक बोर्ड बनाएं, जिसमें उन सभी चीज़ों को पिंन करें जो हम करने के लिए सोचते हैं या हमें करनी चाहिएं।
उ हम अपने-आप के साथ हर बार वायदा करते हैं कि इस साल में पक्का यह करना या वह करके दिखाना है। वास्तव में ये नए साल के जोश में की गई हवाई बातें ही होती हैं। जो वास्तविक संकल्प होते हैं, वे ज्यादा कागज़ों में ही रह जाते हैं पर कोशिश करने में कोई हज़र् भी नहीं। यदि हम अपने संकल्प का कुछ प्रतिशत हिस्सा भी पूरा करने में कामयाब हो गये तो समझो हमारी जीत हो गई।
उ सभी संकल्पों की नींव एक सच पर आधारित है। वह है सकारात्मक सोच, सकारात्मकता वाला स्वभाव। हम छोटी से लेकर बड़ी हर बात पर इसके उल्ट, हर कदम पर नकारात्मक स्वभाव बनाए जा रहे हैं। इस साल कोशिश करें कि अपने व्यवहार, काम, प्रतिदिन की ज़िंदगी में सकारात्मक सोच के साथ जीना सीखेंगे। छोटी-छोटी बातों में सकारात्मकता जब होगी तो हमारी शख्सियत में बदलाव आना लाज़िमी है।
उ अपने-आप को, अपनी सूरत, सीरत को प्यार करना सीखें। जब तक हमारे अंदर, हममें अपने बारे आत्म-विश्वास नहीं होगा, हम किसी काम में संतुष्टि प्राप्त नहीं कर सकते। अपने आप को प्यार करना सीखें। रोज़ शीशे के आगे खड़े होकर अपने-आप को शाबाश दें, यदि आपको लगता है आज कोई अच्छा काम किया है।
उ सोशल मीडिया जो अब सभी की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है, इस हिस्से को अपनी ऩफरत, दूसरों की खुशियों पर उंगली उठाने, फालतू कमैंट करने के लिए न उपयोग करें। अक्सर हम अपने जान-पहचान वालों की पोस्टों पर कोई गलत कमैंट करने में अपनी खुशी ढूंढते हैं।
उ किसी को तरक्की करते देख कर, अच्छा पहनावा देखकर, मन में कभी भी मुकाबले की भावना न आने दें बल्कि अन्यों की तरक्की और खुशी ज़ाहिर करें और मन से भी खुश हों।
उ किसी के लिखने, अच्छे काम या प्रतिदिन वाली पोस्टों की प्रशंसा करनी चाहिए या चुप रहना चाहिए। फालतू की बहसबाज़ी की आदत को अपने अंदर से निकाल देना सीखें।
उ अपने कामों में व्यस्त होने के कारण हम पढ़ने से वंचित होते जा रहे हैं। किताबें पढ़ना तो बहुत अच्छी आदत है, पर इसे शुरू करने के लिए हमें रोज़ अखबार पढ़कर ही अपने हर तरह के ज्ञान में वृद्धि करें। हमें किताबें आदि पढ़ते देखकर हमारे बच्चे भी ज़रूर प्रभावित होंगे और फोन के स्थान पर किताबों के अलावा और सामग्री पढ़ने की ओर ध्यान दे सकते हैं।
उ आज कल हर इन्सान की ज़िंदगी में छोटे और बड़े तनाव हैं। मन का ठहराव, मन की मज़बूती की ओर ध्यान देना ज़रूरी हो गया है। हमें हर रोज़ ज़िंदगी की परीक्षा में हौसला रखना पड़ेगा और अपने साथियों को भी ज़िंदगी की उठती लहरों में संयम रखना सिखाना पड़ेगा। जब हमारे बच्चे हमें मुश्किल घड़ी का समाना करते हुए देखते हैं, वे भी हमसे सीखते हैं।
उ आज बहुत कुछ बदल गया है। दिन-ब-दिन हम आधुनिक होते जा रहे हैं। पहनावे से लेकर सोच तक सब कुछ ‘मार्डन’ हो गया है पर बहुत कम लोग हैं जो अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहते हैं। बहुत से लोग व्यायाम और ठीक खान-पीन को अपनी ज़िंदगी से दूर कर रहे हैं। ये दोनों चीज़ें हमारे लिए उतनी ज़रूरी हैं जितना हवा और पानी। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां मोटे और पतले व्यक्ति सबको आती हैं पर जब शरीर हल्का होता है तो एक जोश, आत्म-विश्वास बना रहता है और चुस्ती-फुर्ती भी रहती है। अपने धर्म, संस्कृति के साथ अगली पीढ़ी को जोड़ने का प्रण करें। धार्मिक ग्रंथों के अलावा, धार्मिक स्थानों के अलावा, अपने बच्चों को किसी दूसरे द्वार पर माथा न टेकने की शिक्षा दें जो कि हमारे गुरु हमें सिखाने की कोशिश करते रहे हैं।
उ ज़िंदगी चलती रहती है, समय बहुत तेज़ी से भागता है, हम अपनी ज़िंदगी जीते हुए रोज़ चुनौतियों का सामना करते हुए ज़िम्मेदारियां निभाते, यह भूल जाते हैं कि अपने परिवार और अपने काम के अलावा हमारे कुछ फज़र् समाज के प्रति भी हैं। कोशिश करें किसी बेसहारा का सहारा बनने की, किसी ज़रूरतमंद, को सहारा देने की, कुदरत के स्त्रोतों की रखवाली करने की, उनका बचाव करने की, इन सब यत्नों के लिए ज्यादा माया की ज़रूरत नहीं। ज़रूरत है आपके मज़बूत संकल्प की, दृढ़ इरादे की, ज़रूरत है बेसहारों को मुस्कान की और हमारी गलबहियां की। यह सहारा सिर्फ फोटो या सोशल मीडिया के लिए न हो, सच्चे दिल से निकला हो।
यह साल हम दूसरों के नाम करने की कोशिश करें। एक उम्मीद बने, ज़रूरतमंद इन्सानों के साथ-साथ बेज़ुबान जानवरों की, ताकि साल के अंत तक हमारे अंदर एक ऊज़र्ा हो, रोशनी हो, क्योंकि हम किसी के लिए उम्मीद बनें, उनकी खुशी का कारण बनें। अत: क्या तैयार हैं आप?
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