क्या कोई ऐसा भी देश है, जहां नदी न हो ?

‘दीदी, हमारा देश तो नदियों का देश है कि गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, नर्मदा आदि सभी यहां बहती हैं।’
‘हां, यह बात तो है। पंजाब यानी पांच पानियों वाले प्रदेश का तो यह नाम ही इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पांच प्रमुख नदियां बहती हैं। क्या तुम्हें उनके नाम मालूम हैं?’
‘जी- सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम।’
‘एकदम सही। एक दिलचस्प बात बताऊं- भाई वीर सिंह पंजाब का छठा दरिया है।’
‘अच्छा! लेकिन यह बात शुरू करने का मेरा मकसद यह जानना था कि जैसे हमारा देश नदियों का देश है, वैसे कोई ऐसा भी देश है, जहां कोई नदी ही न हो?’
‘बिल्कुल। ऐसा एक नहीं बल्कि मेरी जानकारी में छह देश हैं, जहां एक भी प्राकृतिक व स्थायी नदी नहीं है।’
‘ओह! और वह कौन-कौन से देश हैं?’
‘सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात या यूएई, कतर, बहरीन, कुवैत और ओमान।’
‘इनमें कोई प्राकृतिक या स्थायी नदी क्यों नहीं है?’
‘इनके सूखे क्लाइमेट, भूगोल या रेगिस्तानी लैंडस्केप के कारण।’
‘फिर इनकी पानी की ज़रूरत कहां से पूरी होती है?’
‘ये ज़मीन के नीचे जो पानी है, डीसेलीनेशन या पानी के मौसमी स्रोतों पर निर्भर करते हैं।’ 
‘डीसेलीनेशन क्या होता है?’
‘जल विलवणीकरण। तुम्हें यह तो मालूम ही है कि समुद्र का पानी खारा होता है जो पीने के योग्य नहीं होता, तो इस खारे पानी से नमक को अलग करने के लिए एक तकनीक का प्रयोग किया जाता है, उसे ही वाटर डीसेलीनेशन कहते हैं। इस तरह पानी पीने योग्य हो जाता है।’
‘यह देश पानी के लिए मौसमी स्रोतों पर कैसे निर्भर रहते हैं?’
‘मसलन, यूएई में कोई प्राकृतिक नदी नहीं है। लेकिन वहां वादी हैं। जब वहां दुर्लभ बारिश होती है तो इन वादियों में पानी बहने लगता है। फिर अनेक जगहों पर चश्मे भी हैं, जैसे सऊदी अरब में मक्का का प्रसिद्ध ज़मज़म चश्मा, जिसका पानी पवित्र समझा जाता है और हज यात्री उसे अपने साथ गंगाजल की तरह लेकर लौटते हैं।’
‘तो इन देशों में ताज़े पानी के चश्मे भी हैं।’
‘हां, हैं।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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