मच्छर से मलेरिया की शिकायत

चतुरी जी का एक दिन मन किया कि कहीं घूमने जाया जाए, घर में बैठे-बैठे बेचारे बोर हो गए थे, अब चतुरी जी आते हैं मिडिल क्लास से, मिडिल क्लास वाले घूमने के नाम पर या तो बाज़ार जाते हैं या तो किसी मेले ठेले में निकल जाते हैं। अब चतुरी जी कोई नेता या अभिनेता तो है नहीं, जब मन करे तब स्विट्जरलैंड और गोवा छुट्टी मनाने जाए, मिडिल क्लास वालों को तो हर खर्चे पर जेब टटोलनी पड़ती है।
वैसे अपने देश के मेले ठेले भी पूरे विश्व का दिव्य दर्शन करवा देते हैं, अपने देश के मेले ठेले में ही जीवन का समुचित दर्शन हो पाता है। वैसे भी चतुरी जी का मानना है कि अपना देश भी किसी स्विट्ज़रलैंड के रमणीक स्थल से कम नहीं हैं, बस वैसा महसूस करने की कला आनी चाहिए। जैसे हमारे देश के नेता गरीब जनता की अमीरी महसूस कर लेते हैं। स्विट्ज़रलैंड में तो खाली धरती की सुंदरता देखने को मिलेगी सुंदर रोड देखने को मिलेंगे। यहां पर तो अनेक तरह के अनेक भांति के लोग देखने को मिलेंगे। यह क्या कम उपलब्धि है।
इस तरह घूमने की इच्छा लिए चतुरी की एक दिन एक मेले में पहुंच गए। ऐसे तो कहने को अपने देश में बहुत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। लेकिन जाने कैसे जनसंख्या के मामले में इतनी अमीरी है। बच्चा पैदा करना पर भी सरकार को टैक्स लगाने चाहिए सबसे ज्यादा कमाई इसी विभाग से होने लगेगी। ऐसा विचार मेले में भीड़भाड़ को देखकर चतुरी जी के मन में आ गया।
चतुरी जी मेला देखते हुए कुछ आगे बढ़े तो दो महिलाएं अपना माथा पीट-पीट कर धरती पर बैठकर रो रही थी। और रोते-रोते अपना दुखड़ा पुलिस वाले को सुना रही थी। चतुरी जी को भी सहज जिज्ञासा उठी की ऐसा क्या हुआ है जिसके कारण घर में पुरुष वर्ग का तबला बजाने वाली नारी बीच बाज़ार यहां पर अबला बनी हुई है। और हमेशा रुलाने वाली अश्रु की बरसात कर रही है। तो पता चला कि मैडम का आईफोन छिनैती हो गया और वही दुखड़ा पुलिस वाले को रो-रो कर सुना रही हैं। चतुरी जी को उस भोली भाली नारी पर बहुत ही दया आई। कहां यह मासूम नारी मच्छर से मलेरिया की शिकायत कर रही है।
अरे यदि वह लोग अपना ढंग से ड्यूटी निभाते तो यह छिनैती होती ही नहीं। लेकिन फ्री का ज्ञान देना भारी पड़ सकता है। इसलिए चतुरी जी यह फ्री का ज्ञान अपने मन में लेकर ही आगे बढ़ गए मेले का आनंद लेने के लिए।
मो-8736863697

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