धरती पर स्वर्ग से कम नहीं है राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन
मुगल बादशाहों को बाग लगवाने का बड़ा शौक था। उन्होंने न केवल स्वर्गतुल्य कश्मीर घाटी में बड़े-बड़े बाग लगवाए अपितु तत्कालीन राजधानी आगरा और दिल्ली में भी बहुत से बाग लगवाए। उन्होंने जितने भी किले बनवाए, उन सब के अंदर भी खूबसूरत बाग-बगीचे लगवाए और इन्हीं मुगलकालीन बाग-बगीचों से प्रेरणा लेकर नई दिल्ली के प्रमुख वास्तुकार सर एडविन लुटिंस ने राष्ट्रपति भवन (तत्कालीन वायसराय हाउस) में भी एक उद्यान बनवाया जिसे मुगल गार्डन के नाम से जाना जाता है।
राष्ट्रपति भवन परिसर में निर्मित मुगल उद्यान में भी मुगल बादशाहों द्वारा बनवाए गए बागों की तरह ही सुंदर तालाब व नहरें बनी हुई हैं तथा फव्वारे लगे हुए हैं। रायसीना पहाड़ी पर बना यह उद्यान भी कमोबेश सीढ़ीनुमा बाग का अहसास कराने में सक्षम है। वैसे तो मुगल गार्डन में सारे वर्ष ही रंग-बिरंगे फूलों की बहार रहती है लेकिन बसंत के आगमन के साथ इसका सौंदर्य कुछ अधिक ही बढ़ जाता है और तब फरवरी मार्च के महीनों में यह आम दर्शकों के लिए खोल दिया जाता है जिसे देखने के लिए न सिर्फ दिल्ली वासी ही पहुंचते हैं अपितु देश भर से असंख्य लोग इसे देखने के लिए आते हैं और इसके अप्रतिम सौंदर्य से अभिभूत होकर लौटते हैं।
मुगल गार्डन लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है। यह मुख्य रूप से रेक्टेंगुलर, लॉन्ग तथा सर्कुलर गार्डन के रूप में बंटा हुआ है। इसका पहला भाग रेक्टेंगुलर अथवा आयताकार है। बाग के इस भाग में बीचों-बीच नहरें बनी हुई हैं तथा फव्वारे लगे हुए हैं। यहां सैंकड़ों प्रकार के फूल लगे हुए हैं जिनमें कॉसमॉस, स्वीट विलियम, डहेलिया, लुपिन, एस्टर, साल्विया, जूनीपेर, बोगनविलिया, गुलाब आदि फूलों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इसके अलावा मोगरा, रात की रानी, मोतिया, जूही, हरसिंगार, मौलश्री, चंपा, चमेली, रंगून क्रीपर आदि की झाड़ियां तथा पौधे व साइप्रस, चायना ऑरेंज आदि के खूबसूरत छोटे-छोटे पेड़ लगे हुए हैं।
मुगल गार्डन का दूसरा भाग लॉन्ग गार्डन है जो लंबाई में फैला हुआ है तथा ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। इसमें विशेष रूप से गुलाबों की क्यारियां बनी हैं। गार्डन का तीसरा भाग सर्कुलर गार्डन कहलाता है। सर्कुलर गार्डन को पर्ल या बटरफ्लाई गार्डन भी कहा जाता है। गोलाई के आकार में बना यह भाग रास्तों को छोड़कर चारों ओर फूलों की क्यारियों से घिरा है तथा इसके बाचों-बीच खूबसूरत फव्वारा भी बना है जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
मेन मुगल गार्डन में प्रवेश करने से पहले पर्यटकों को हर्बल गार्डन से होकर गुजरना पड़ता है। हर्बल गार्डन में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां जैसे ब्राह्मी, एलोवेरा, सर्पगंधा, स्टीविया, तुलसी, शंखपुष्पी, कैमोमाइल आदि विशेष रूप से लगाई गई हैं। यहां हर्बल गार्डन के अतिरिक्त आध्यात्मिक, औषधीय तथा जैव विविधता वाले बगीचों के साथ-साथ एक नक्षत्र गार्डन भी निर्मित किया गया है जहां हमारे सौरमंडल में उपस्थित सत्ताइस नक्षत्रों के गुणों से मेल खाते सत्ताइस पेड़ लगाए गए हैं जैसे महुआ, कदंब, पीपल, अर्जुन, बेलपत्र जामुन आदि।
मेन मुगल गार्डन में जिस फूल की सबसे ज्यादा प्रजातियां देखी जा सकती हैं, वो है गुलाब। यहां गुलाब की सैकड़ों प्रजातियां देखी जा सकती हैं जैसे ताजमहल, मोंटे जुमा, क्वीन एलिजाबेथ, किस ऑफ फायर, हैप्पीनेस, एफिल टावर, इंक स्पॉट, ग्लोरी, ऐश्वर्या, सेंटीमेंटल मेमोरियल डे, रेप्सोडाई इन ब्ल्यू, सेवन हेवन, वेल्विन गार्डन, ब्लैक रोज, चायनामैन, टिंसटरमैन, सेंचुरी-टू, आइसबर्ग, शर्बत आदि। सफेद, लाल, गुलाबी, पीले, काले, नीले हरे, जामुनी तथा अन्य कई आकर्षक रंगों व विभिन्न गंधों में यहां के गुलाब न केवल बसंत ऋतु में अपितु सारे साल आप का स्वागत करने को तत्पर रहते हैं।
खूबसूरत मुगल गार्डन में विदेशी पेड़-पौधे और फूल भी कम नहीं हैं जिनमें एशियाटिक लिली, ओरियंटल लिली, डेफोडिल तथा हॉलैंड से मंगवाए गए बल्ब के आकार के ट्यूलिप के फूलों के पौधे मुख्य रूप से सबको आकर्षित करते हैं। गार्डन की खूबसूरती को और अधिक बढ़ाने के लिए यहां एक कैक्टस कॉर्नर भी बनाया गया है और विभिन्न पौधों की बोनसाई वैरायटी भी प्रदर्शित की जाती है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस उद्यान के रख-रखाव और इसकी सुंदरता को बनाए रखने के लिए कई दर्जन माली तथा अनेक बागवानी विशेषज्ञ यहां सारे साल लगे रहते हैं और इस पर लाखों रूपये का व्यय भी होता है। तो क्या सोच रहे हैं आप? अभी फरवरी में यह आम दर्शकों के लिए खुल गया है। क्यों न एक बार फिर से इसे देखने का कार्यक्रम बना लिया जाए? (उर्वशी)