सुनीता विलियम्स की वापसी-अंतरिक्ष अनुसंधान में एक और मील पत्थर

सुनीता विलियम्स धरती पर लौट आई हैं। वह 9 महीने पहले अपने एक साथी के साथ बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान द्वारा लगभग धरती से 400 किलोमीटर ऊपर अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर गई थीं। 8 दिनों बाद उनकी धरती पर वापिसी होनी थी परन्तु स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी के कारण वह वापिस नहीं लौट सकी थीं और अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ही रुक गई थीं। सुनीता और उनके साथी विलमोर की यह वापसी बेहद लम्बी होती गई थी। विश्व भर के लोगों की नज़रें इन पर केन्द्रित थीं। आज अलग-अलग देशों के सैकड़ों ही अंतरिक्ष यात्री अपने निर्धारित लक्ष्यों को लेकर अंतरिक्ष की खोज में लगे हुए हैं। दशकों से इस निरन्तर अनुसंधान ने अनेक ही ऐसी उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनसे दुनिया पूरी तरह बदल गई है। अंतरिक्ष में होते वैज्ञानिक अनुसंधानों ने जैसे धरती पर रहने वाले लोगों की जीवनशैली ही बदल दी हो। कोई भी क्षेत्र अंतरिक्ष में हुए अनुसंधानों के प्रभाव के तहत हुए क्रांतिकारी बदलाव से अछूता नहीं रहा। भारत ने भी इन अनुसंधानों में बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इसरो ने भी चांद और मंगल ग्रह तक पहुंचने का पूरा यत्न किया है और इस दिशा में सम्मानजनक उपलब्धियां भी हासिल की हैं।
आज विश्व भर में हज़ारों ही बड़े वैज्ञानिक दिन-रात इन यत्नों में लगे हुए हैं। इनमें ही भारतीय मूल की अमरीकी नागरिक सुनीता विलियम्स हैं, जिनकी आज चर्चा हर तरफ हो रही है। इसका बड़ा कारण उनके और विलमोर के आठ दिनों के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने के बाद 9 महीने से भी अधिक समय तक अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर ही रहने के लिए विवश होना भी था। इंतजार के समय ने विश्व भर का ध्यान इस ओर आकर्षित किया और हर दिन किसी न किसी तरह इन अंतरिक्ष यात्रियों की चर्चा होती रही। वहां बिताए अपने 286 दिनों में उन्होंने धरती की 4576 बार परिक्रमा की। इतना लम्बा समय अंतरिक्ष में व्यतीत करना, जहां एक बड़ी उपलब्धि है, वहीं इससे अनुसंधान के अनेक और मार्ग भी खुले हैं, कि किस प्रकार अंतरिक्ष में लम्बा समय व्यतीत किया जा सकता है और किस तरह इन यात्राओं को और सुरक्षित और लाभदायक बनाया जा सकता है। कैसे अंतरिक्ष स्टेशनों से आगे अन्य ग्रहों को छू कर नए अनुसंधान किए जा सकते हैं।
यह काम तो अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के ज़िम्मे है कि वह सुनीता विलियम्स और विलमोर की इस लम्बी यात्रा का अधिक से अधिक लाभ कैसे लेने के समर्थ हो सकते हैं, परन्तु यह घटना मानवीय धैर्य, उसकी दृढ़ता और स्वयं को हालात के अनुसार ढालने की कहानी भी है, जिसे सुनीता विलियम्स और विलमोर ने विश्व के सामने साक्षात करने की उदाहरण पेश की है। इससे अंतरिक्ष के वैज्ञानिक अनुसंधान में एक महत्त्वपूर्ण अध्याय और जुड़ गया है, जो धरती पर बढ़ती सभ्यताओं के लिए एक अच्छा सन्देश माना जा सकता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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