नारी शक्ति, जल शक्ति

* भूजल स्तर पंजाब में दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है।
* आगामी वर्षों में पंजाब बन जाएगा मरूस्थल
* अपना अस्तित्व बचाना है तो बचाना होगा पानी

ये पंक्तियां पढ़कर और सुनकर हममें से बहुत कम लोग हैं जिनके मन पर इन बातों का गहरा प्रभाव पड़ता है।
हम कोई आंकड़ों की बात न करते हुए सिर्फ आम जागरूकता के बारे में बात करेंगे। सबसे गम्भीर चिंता का विषय है कि पंजाब के ज्यादातर हिस्से खासतौर पर मालवा क्षेत्र में पानी के नमूनों में यूरेनियम अधिक मात्रा में पाया जा रहा है, जिससे कैंसर और अन्य बीमारियां बढ़ने का खतरा चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। भूजल स्तर कम होने के साथ-साथ ज़हरीले तत्वों का इस कम होते स्तर में मिलना स्वाभाविक है। एक तरफ पानी नीचे जा रहा है और दूसरी तरफ इसमें जहर घुलने के कारण इसकी गुणवत्ता खराब हो रही है।
हमारी बहुत सारी संस्थाएं पानी बचाओ का नारा देती, इस ओर काम करती हैं, परन्तु हम सभी एक बात को अक्सर भूल जाते हैं कि परोपकार घर से ही शुरू होता है। बूंद-बूंद पानी के साथ समुद्र बनता है। बड़े स्तर की बातें और किताबी बातें साथ-साथ चलती रहती हैं, ज़रूरत है ज़मीनी हकीकतों की और कोई बहुत ज्यादा चलने की नहीं बल्कि छोटे-छोटे कदम उठाने की।
‘नारी शक्ति से जल शक्ति’ इस कथन में बहुत ही गहरी सच्चाई है। नारी पानी की योजनाबद्ध और निपुणता में बहुत ही अहम रोल अदा कर सकती है और देश के खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में वह रोल अदा कर भी रही है। वह पानी इकट्ठा करती है, स्टोर करती है, उसके उपयोग के लिए कंट्रोल रखती है, घर के सदस्यों से लेकर जानवरों तक के लिए पानी का उपयोग निपुणता के साथ किया जाता है, महिला का यह पानी के प्रति निभाया रोल अनदेखा हो जाता है और इसको घरेलू योजनाबंदी का नाम दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं पानी बचाने के लिए पूरा योगदान डालती हैं क्योंकि पानी एक सीमित समय पर आने के कारण या दूर से पानी लाने के कारण पानी का योजनाबंदी के साथ उपयोग किया जाता है, यही हाल बड़े शहरों में है, जहां ईमारतों में पानी आने का समय निर्धारित होता है, परन्तु क्यों हमारा स्वभाव तब ही बचत करने का होता है, जब चीज़ की कमी हो?
पानी की बचत का माहौल बड़े घरों में अकसर कम देखने को मिलता है क्योंकि अपनी मोटरें होने के कारण पानी 24 घंटे मिलता है और पानी बचाने के बारे में सोचना तो दूर की बात, बल्कि अकसर पानी की बर्बादी भी की जाती है। शुरू से ही घर वालों को ज्यादा और फालतू पानी का उपयोग करते देखकर बच्चे और आने वाली पीढ़ियां भी इस फिज़ूल की बेकद्री का शिकार हो जाती हैं और पानी की बर्बादी बढ़ती है।
क्योंकि घर के प्रतिदिन के काम महिला करती है। इसलिए महिला चाहे तो छोटी-छोटी बातों के साथ घर से पानी बचाने तक यह लहर किट्टी पार्टियों, मोहल्लों द्वारा पूरे समाज तक पहुंचा सकती है। जबकि कुछ महिलाओं को इस बात के प्रति ज्ञान हो जाता है और वे प्राकृतिक स्त्रोत के बारे में अन्यों को भी ज़रूर जागरूक करती हैं।
नारी शक्ति जल शक्ति अभियान दर्शाता है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्र की भारतीय महिला पानी के संकट के विरुद्ध लड़ाई में भाग ले रही है। जल शक्ति अभियान, स्वच्छ भारत, जल जीवन जैसे प्रोग्रामों का मकसद जो केन्द्र सरकार द्वारा चलाये जाते हैं, बिना महिला के सहयोग से सफल नहीं होना था।
प्रत्येक नारी को चाहिए कि वह प्रकृति के इस कीमती स्त्रोत को बचाने में अपना योगदान ज़रूर डाले, घर में होती छोटी-मोटी चीज़ें जैसे टूथब्रश करने के समय पानी का नल बंद रखने, पौधों को पानी पाइप के साथ नहीं बल्कि बाल्टी के साथ देना, बच्चों को गर्मियों में ज्यादा पानी के साथ न खेलने देना, पानी का मीटर चैक करना सिखाना, पानी का गिलास आधा ही भरना, खुद भी पानी पीने के समय और अन्यों को पिलाने के समय आदि यह सूची बहुत ही लम्बी है क्योंकि घर में अनगिनत स्थानों पर पानी की बचत करने की कोशिश हो सकती है।
जब महिला पानी की योजनाबंदी और निपुणता संबंधी कंट्रोल करती है तो ज्यादा बेहतर परिणाम आने की आशा होती है। जहां भी घर के बाहर या सार्वजनिक स्थानों पर हम पानी की बर्बादी होती देखते हैं तो हमें लोगों को जागरूक करके, इसके खिलाफ आवाज़ ज़रूर उठानी चाहिए।
बहुत कम महिलाएं हैं जो सार्वजनिक स्थानों यानि स्टेशन, एयरपोर्ट, बाज़ारों, बस स्टेंड आदि में यदि पानी का नल चलता देखती हैं तो उसको बंद करें, ज्यादातर चलते नल और चलते पानी को अनदेखा कर देती हैं।
बात पानी के बिल की नहीं, बात हमारी अकेलों की नहीं, अब बात है हमारी प्रकृति की, हमारी धरती मां की, जिसको बचाने के लिए हमें खासतौर पर महिलाओं को बहुत प्रयत्न करने की ज़रूरत है, ताकि हम आगामी वर्षों में खुशहाल, हरा-भरा जीवन व्यतीत करने का आशा रख सकें।
जल है तो कल है। 

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