प्रदेश सरकार के लिए चुनौतियां
पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया द्वारा दिये गये भाषण में सरकार की पिछली प्राप्तियों और आने वाले समय में उसके द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों का विवरण नज़र आता है। प्रदेश सरकार के 3 वर्ष पूरे हो चुके हैं और दो वर्ष का समय बाकी है। इन दो वर्षों में उसको जहां पिछले वायदों को पूरा करना पड़ेगा, वहीं आगामी दो वर्षों में अपनी अच्छी कारगुज़ारी दिखानी पड़ेगी। विगत लम्बे समय से पूर्व सरकारों ने मुफ्त की रेवड़ियां बांट कर प्रदेश पर बड़ा आर्थिक बोझ डाला है। इस पर पौने 4 लाख करोड़ के करीब का कज़र् है, जिसके कारण ब्याज के साथ-साथ मूल रकम वापिस करना भी बड़ा जोखिम भरा काम नज़र आता है।
मौजूदा सरकार ने पिछले समय में अपने खर्चों में अधिक वृद्धि की है, लेकिन अपनी आय के स्रोत को बढ़ाने में यह पूरी तरह कामयाब नहीं हो सकी। आगामी दो वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनमें खर्च के साथ-साथ इसको हर हाल में विकास की गति बनाए रखने के लिए साधन जुटाने होंगे। 26 तारीख को पेश किये जाने वाले बजट में भी इसके द्वारा इस संबंधी अपनाई जाने वाली नीतियों का पता चलेगा।
राज्यपाल के भाषण से यह ज़रूर स्पष्ट होता है कि सरकार प्रदेश के प्राथमिक ढांचे के विकास के लिए नि:संदेह यत्नशील रहेगी। इसके लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र महत्वपूर्ण रहे हैं। नि:संदेह इन क्षेत्रों में की गई ठोस प्राप्तियां लोगों के मनों पर अच्छा प्रभाव डालने में समर्थ हो सकती हैं। विगत कुछ समय से जिस प्रकार नशे के प्रचलन को सरकार ने नियंत्रित करने के लिए अपनी सक्रियता दिखाई है, उसने एक अच्छा प्रभाव अवश्य पैदा किया है, क्योंकि जिस प्रकार व्यापक स्तर पर प्रदेश की जवानी नशे से ग्रस्त हुई पड़ी है, उसके लिए कड़े प्रशासनिक कदम उठाने की ज़रूरत महसूस होती रही है। इस संबंधी सक्रियता दिखाने से अब सरकार का दृढ़ इरादा ज़रूर सामने आया है। यदि ये कदम निरन्तर जारी रहते हैं तो इसे सरकार की अच्छी उपलब्धि माना जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में अमन-कानून की स्थिति भी बुरी तरह बिगड़ी रही है। प्रशासन ने इसे ठीक करने के लिए अब अपनी प्रतिबद्धता दिखानी शुरू की है।
यदि इस क्षेत्र में हालात में सुधार होता है तो प्रत्येक वर्ग के लोगों को सुख की सांस अवश्य आएगी। पहले भी सरकार युवाओं को नौकरियां देने के लिए दावे करती रही है। आगामी वर्षों में पुख्ता योजनाएं बना कर इस संबंधी और अधिक ठोस उपलब्धियां हासिल करनी पड़ेंगी। यह सत्र उस समय शुरू हुआ है जब एक वर्ष से भी अधिक समय तक दो किसान संगठनों ने शम्भू तथा खनौरी की सीमाओं पर मोर्चे लगाए हुए थे। उन्हें वहां से हटा सकना प्रशासन के लिए जोखिम भरा काम था, परन्तु हर तरह के अवरोधों को हटाने से लोगों को कुछ सीमा तक सुख की सांस तो अवश्य मिली है, परन्तु कृषि संकट, किसानों की मांगें अब भी बरकरार हैं, जिनका समाधान ढूंढना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए विपक्षी राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी दबाव बनाया जाता रहेगा। सरकार के पास समय कम है, परन्तु चुनौतियां बड़ी हैं, जिनमें प्रदेश की आर्थिकता को स्थिर तथा मज़बूत बनाने का कार्य उसके लिए बड़ी परीक्षा सिद्ध होगी। चाहे यह बजट सत्र कुछ दिनों तक ही सीमित है, परन्तु आगामी समय में सरकार द्वारा लागू की जाने वाली नीतियों तथा उसके इरादों को यह अवश्य स्पष्ट करेगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द