खतरों से भरी परमाणु हथियारों की नई होड़ शुरू

हालांकि ईरान-इज़रायल जंग के साथ इस आशंका ने फिर से सिर उठाया है कि बहुत से देश चोरी छिपे परमाणु शक्ति हासिल करने की ओर थे, वे अब सत्वर इस ओर बढेंगे। जिन्होंने शांतिपूर्ण कार्यों के नाम पर खुलेआम परमाणु कार्यक्रम चला रहे थे और इसके बहाने लुके छिपे हथियार बनाना चाहते थे, वे अब शीघ्रातिशीघ्र हथियार बनाकर, ‘न्यूक्लियर पावर्ड नेशन’ की हैसियत हासिल कर अपने को सुरक्षित करना चाहेंगे। उनकी सोच होगी, यदि ईरान ‘परमाणु शक्ति संपन्न हो चुका होता, तो संभवत: उसके साथ ऐसा नहीं होता’। इज़रायल और अमरीका को अपने किए पर पुनर्विचार करना पड़ता; क्योंकि दोनों उसकी मिसाइलों की जद में हैं। ये देश इस ताकत को हासिल कर दुश्मनों का आसान शिकार होने से बचने की कोशिश करेंगे तथा इसके चलते समूचे संसार में परमाणु होड़ बढ़ेगी। ईरान परमाणु बम बनाकर सबसे पहले इज़रायल पर ही गिराएगा इस आशंका की आड़ में इज़रायल ने उस पर हमला किया। ईरान परमाणु बम बनाने की ओर अग्रसर था या नहीं, इस कोशिश में था तो कामयाबी के कितने करीब, यह न तो अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को पता था न अमरीका को, न ही इज़रायल की खुफिया एजेंसी को। पर इस बात की कोई गारंटी नहीं कि अब वह इसका प्रयास नहीं करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर के समय प्रधानमंत्री ने ललकारा था, भारत, पाकिस्तान के परमाणु शक्ति संपन्न देश होने की परवाह नहीं करेगा, वह हर बेजा हरकत का माकूल और मुंहतोड़ जवाब देगा। रूस और युक्रेन के युद्ध की शुरुआत से लेकर अभी तक आये दिन युद्ध के दौरान परमाणु खतरे की बात होती रहती है, कभी हमले की जद में आने से परमाणु संयंत्रों से रिसाव की, तो कभी रूस द्वारा परमाणु हमले की। बीते दिनों अमरीका ने सात बी2 स्टील्थ बॉम्बर विमानों के जरिए 13,000 किलो से ज्यादा वजन वाले 14 बंकर बस्टर बमों को ईरान के दुर्भेद्य परमाणु ठिकानों पर बरसाकर दावा किया कि हमने सब नेस्तनाबूद कर दिया। ईरान का दावा कि भले ही प्लेनेट लैब्स, पीबीसी और माक्सार टेक्नोलॉजी के सैटेलाइटों से ली गई तस्वीरों में जहां भूमिगत सेंट्रीफ्यूज हॉल है, उसके ऊपर पांच मीटर के गड्ढे दिखें, लेकिन हमने पहले ही तीनों ठिकानों को खालीकर, संवर्धित यूरेनियम हटा लिया था। ईरानी परमाणु ठिकानों पर वाकई कितना नुकसान पहुंचा है, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी भी नहीं बता रही। कुछ विशेषज्ञ दावा करते हैं कि फोर्दो में जमीन के नीचे यदि पर्याप्त नुकसान नहीं हुआ है, तो जितना उसके पास संवर्धित यूरेनियम है और जिस श्रेणी का है, उससे रूस, चीन की मदद से सात-आठ नाभिकीय बम बनाए जा सकते हैं। कुछ का कहना है कि वे बहुत ताकतवर नहीं होंगे। ठीक है, पर ईरान इससे सीमित क्षेत्र में रेडियोधर्मी पदार्थ फैलाने, विकिरण से प्रभावित करने वाला डर्टी बम तो बना ही सकता है। ये भी कम चिंता का विषय नहीं।
कुल सबब यह कि नाभिकीय युद्ध की पूर्व पीठिका वर्तमान में जारी रूस, यूक्रेन युद्ध ने रच दी थी। हालिया ईरान इज़रायल जिसमें बाद में अमरीका भी कूद पड़ा, उसमें दूसरे खिलाड़ी कूदे तो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल आशंकित हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट, सिपरी की ताजा रपट के अनुसार दुनिया में परमाणु हथियारों की एक खतरनाक होड़ शुरू हो गई है। एआई और स्पेस टेक्नोलॉजी मौजूदा परमाणु ताकत को पूरी तरह से बदलकर इसे और भी अधिक विध्वंसक तथा जन संहारक बना रही है। ऐसे में संसार के नाभिकीय युद्ध की ओर बढ़ने के संकेत पहले से अधिक साफ हैं। यह गहन चर्चा और चिंता का विषय है। खास तौर पर एक परमाणु संपन्न होने और दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों से घिरे होने के चलते इन परिस्थितियों में हमारे बचाव, आक्रमण अथवा असंतुलन की नीति, रणनीति कैसी हो? शेष विश्व को इस बढ़ती नाभिकीय आक्रामकता का मुकाबला किस प्रकार की कूटनीति से करना चाहिये कि यह मानवता के लिये संकट न बने और नाभिकीय हथियारों की होड़ हमेशा के लिए थमे।    
सिपरी ने बताया कि पिछले बरस से भारत सहित सभी नौ परमाणु हथियार संपन्न देशों ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या में इजाफा करना, उन्हें अधिक घातक, आधुनिक तथा बेहतर बनाने का काम तेज़ कर दिया है। उन्हें ले जाने वाली प्रणालियां यथा मिसाइल सिस्टम, रॉकेट, लड़ाकू जहाजों को वे उनके अनुरूप तेजी से विकसित कर रहे हैं। सिपरी बताता है कि चीन के पास अब 600 से अधिक परमाणु हथियार हैं, जिनको 2035 तक वह 1,500 तक पहुंचने वाला है। उसका परमाणु भंडार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है और मिसाइलों पर इनकी तैनाती की दर भी। पाकिस्तान परमाणु युद्धशीर्ष वाहक मिसाइल सिस्टम विकसित रहा है और परमाणु हथियारों में इस्तेमाल होने वाला विखंडनीय पदार्थ जमा कर रहा है। अमरीका द्वारा बी61-13 जैसे छोटे पर अधिक सटीक हथियारों का विकास ‘कम तीव्रता’ वाले परमाणु युद्ध की आशंका में बढ़ोत्तरी करने वाला है, तो रूस की परमाणु नीति की आक्रामकता चिंतित करने वाली है। कभी 64,000 तक रही परमाणु हथियारों की संख्या जो 2024 तक घटकर 12,241 हो गई थी, सभी नौ परमाणु देशों की हालिया रीति नीति के चलते यह घटत थम गई है, जल्द ही इसमें बढ़त दिखेगी। यहीं नहीं, हालात ये हैं कि 12,241 में से 9,614 हथियार मिसाइलों और लड़ाकू विमानों के साथ तैनात हैं। इसके अलावा करीब 2,100 हथियार ‘‘हाई अलर्ट’ स्थिति में तुरंत उपयोग के लिए तैनात हैं, तो बाकी ऐसे सैन्य ठिकानों या गोदामों में रखे है, जहां से ज़रूरत पड़ने पर तुरंत तैनात किए जा सकें। 
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सुरक्षा परिषद को आगाह किया कि परमाणु युद्ध का खतरा पिछले कई दशकों की तुलना में आज सबसे अधिक है। दुनिया एक बार फिर परमाणु युद्ध के मुहाने पर है,  आखिर 90 प्रतिशत परमाणु हथियारों पर रूस और अमरीका का ही कब्जा क्यों? नई परिस्थितियों में यह समझना और तय करना बहुत कठिन है कि परमाणु हथियारों और उनके स्टॉक की निगरानी और नियंत्रण की पुराने प्रणाली को कैसे अद्यतन किया जाए कि उनकी सटीक गिनती हो सके, क्योंकि अब किसके पास कितने हथियार और किस श्रेणी के हैं यह पता लगाना, गिनना बहुत जटिल और संदेहास्पद होने वाला है। इस्लामिक बम के नाम पर पाकिस्तान ने भले ही अभी परमाणु बम ईरान को नहीं दिये पर भविष्य में नई तरह की परमाणु साझेदारी सामने आ सकती है, इनकी काट क्या होगी? भारत समेत सभी परमाणु शक्ति संपन्न देशों को इस पर गहराई से सोचना होगा।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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