एक और अंतरिक्ष उपलब्धि
इंतज़ार के बाद भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन पर अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। अमरीका के फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सैंटर से यह उड़ान भरी गई है। एक्सिओम-4 ने 25 जून को 12 बजे स्पेस सैंटर से उड़ान भरी। मात्र 28 घंटों में यह अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच जाएगा। इसमें शुभांशु शुक्ला के अतिरिक्त अमरीका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री भी सवार हैं। पहले इसने 29 मई को अपना स़फर शुरू करना था, परन्तु इसे अलग-अलग कारणों के कारण 6 बार रोकना पड़ा। यह मिशन 14 दिन का है, इस मिशन का प्रबन्ध निजी अमरीकन अंतरिक्ष कम्पनी एक्सिओम स्पेस द्वारा किया गया है, जिसके मालिक बेहद चर्चित व्यक्ति एलन मस्क हैं। उन्होंने अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिल कर इस मिशन का प्रबन्ध किया है।
भारत के लिए इसका महत्त्व इसलिए और भी अधिक है, क्योंकि इसकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इसरो) स्वयं भी अपने कई अंतरिक्ष मिशनों पर काम कर रही है। आज से 27 वर्ष पहले वर्ष 1998 में कुछ बड़े देशों, जिनमें अमरीका, रूस, जापान, कनाडा और यूरोप के देश शामिल हैं, ने अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित किया था, इस अंतरिक्ष स्टेशन का महत्त्व इतना है कि इस पर लगभग दो दर्जन देशों के करीब 300 अंतरिक्ष यात्री जा चुके हैं। यह धरती के इर्द-गिर्द ग्रहपथ पर बड़ी तीव्रता से घूमता है। अब तक इस पर अनेकानेक अंतरिक्ष के तुजुर्बे किए जा चुके हैं। शुभांशु शुक्ला संबंधी इस अंतरिक्ष यात्रा का महत्त्व इस कारण भी अधिक है, क्योंकि इससे पहले वर्ष 1984 अभिप्राय 41 वर्ष पहले भारतीय वायु सेना के पायलट राकेश शर्मा 2 रूसी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सोवियत रॉकेट शोयूज़ टी अंतरिक्ष-ढ्ढढ्ढ द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित सैल्यूट आर. बिटल स्टेशन पर पहुंचे थे और उन्होंने 7 दिन के लगभग वहां समय व्यतीत किया था और अनेकों अनुभव भी साझे किए थे। अब इसरो चंद्रयान मिशनों के साथ-साथ मंगलयान मिशनों द्वारा भी कई अंतरिक्ष अनुसंधान संबंधी उपलब्धि हासिल कर चुका है। शुभांशु शुक्ला भी भारत की सम्भावित अंतरिक्ष यात्रा के लिए अपने तीन अन्य साथियों के साथ चुने जा चुके हैं। इसलिए भी उनका यह अनुभव आगामी समय में इसरो द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण योगदान डालेगा।
भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था इसरो का मिशन वर्ष 2040 तक चंद्रमा की धरती पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने का है। पिछले 6 दशकों से इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी सफलताएं प्राप्त की हैं। नि:संदेह आज भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है, जिन्होंने लगातार अंतरिक्ष में तुजुर्बे ही नहीं किए अपितु बहुत-से अन्य देशों के अंतरिक्ष रॉकेटों को भी अपने लांच पैड से अंतरिक्ष में भेजा है। शुभांशु शुक्ला की यह सफल अंतरिक्ष यात्रा भारत के अन्य अंतरिक्ष अनुसंधान वैज्ञानिकों के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाली सिद्ध होगी। आगामी समय में देश की ऐसी अंतरिक्ष उपलब्धियां ब्रह्मांड में इसके लिए नए से नए द्वार खोलने में सहायक होंगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द