प्रकृति के ये सात रंग
दिखने में सफेद सूर्य का प्रकाश वास्तव में सात रंगों की किरणों का होता है। सूर्य के प्रकाश में बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल कुल सात रंगों की किरणें शामिल होती है।
ये सात रंगों की किरणें वर्षा के बाद दिखाई देने वाले इन्द्रधनुष में तो दिखाई देते ही हैं साथ ही यदि आप कभी प्रिज्म (हीरे जैसा दिखाई देने वाला कांच का टुकड़ा) में से सूर्य के प्रकाश को देखें तो उपरोक्त सभी बैंगनी, नीली, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल किरणें समूह रुप में अलग-अलग दिखाई देंगी।
सूर्य के प्रकाश में उपस्थित सात रंगों की किरणों की खोज न्यूटन ने 1665 में की थी। इन सात रंगों के समूह को न्यूटन ने ही स्पेक्ट्रम नाम रखा था, जिसका अर्थ होता है-भूत।
वर्षा के बाद आसमान में इन्द्रधनुष के बनने की प्रक्रिया प्रिज्म में से सूर्य के प्रकाश की किरणों के अलग-अलग दिखाई देने की क्रिया जैसी ही है।
वर्षा के बाद वायुमंडल में काफी मात्रा में जल की छोटी-छोटी बूंदें जमा हो जाती है। दिखने में सफेद सूर्य का प्रकाश जब इन बूंदों में से होकर गुजरता है तो वह सात रंगों की किरणों में बंट जाता है। जैसे प्रिज्म में से वर्षा की बूंदें सूर्य की किरणों के लिए प्रिज्म का काम करती है। इस क्रिया को वण विक्षेपण कहते हैं।
पानी की नन्हीं बूंदों के पीछे वाले हिस्से में सात रंग की किरणें सफेद रंग की किरणें के रुप में प्रवेश करके पूर्ण परावर्तित होकर सातों बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंगों की किरणों की रुप में निकलती हैं। सभी सात रंगों की किरणें हमारी आंखों तक पहुंचकर इन्द्रधनुष के रुप में दिखाई देती है। चूंकि सूर्य गोल है, इसलिए इन्द्रधनुष भी गोल ही दिखाई देता है।
जितनी भी बार बारिश होती है, उतनी ही बार वायुमंडल में काफी मात्रा में पानी की बूंदें होती हैं, किन्तु इन्द्रधनुष वर्षा के बाद हर बार दिखाई नहीं देता।
असल में इन्द्रधनुष दिखाई देने के लिए जरुरी है कि वायुमंडल में उपस्थित पानी की बूंदों की समूह हमारी आंखों के सामने होने साथ-साथ सूरज हमारी कमर की तरफ हो। साथ ही ज़रुरी है कि इन्द्रधनुष बनने और दिखाई देने के लिए सूरज और आंखों तथा इन्द्रधनुष का केन्द्रबिन्दु एक रेखा में हो। (सुमन सागर)