2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना है कि गगनयान भारत की अंतरिक्ष आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा, जो उसकी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं की पुन: पुष्टि करेगा और पृथ्वी के लिए लाभकारी अनुप्रयोगों सहित वैज्ञानिक ज्ञान में वृद्धि करेगा।
प्रश्न : भारत के अंतरिक्ष भविष्य के लिए गगनयान का सबसे बड़ा परिणाम क्या होगा?
उत्तर : अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का उदय पहले ही हो चुका है और इसे वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है। अब हम अनुयायी मात्र नहीं हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में समान भागीदार हैं। गगनयान मिशन एक और निर्णायक मोड़ का प्रतीक होगा। यह न केवल मानव अंतरिक्ष उड़ान में भारत की क्षमताओं की पुन: पुष्टि करेगा, बल्कि हमारे वैज्ञानिक ज्ञान में भी वृद्धि करेगा। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला द्वारा सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण या माइक्रोग्रेविटी, कृषि और जीवन विज्ञान पर किए गए प्रयोगों के साथ-साथ यह मिशन पृथ्वी पर अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
प्रश्न : शुक्ला जैसे युवा अंतरिक्ष यात्रियों के आने से हमारी मानव अंतरिक्ष यात्रा को आकार देने में युवाओं की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है?
उत्तर : अंतरिक्ष सहित हर क्षेत्र में भारत के भविष्य के लिए युवा अपरिहार्य हैं। हमारी 70 प्रतिशत से अधिक आबादी 40 वर्ष से कम आयु की है, इसलिए स्वाभाविक रूप से वे विकसित भारत के पथप्रदर्शक हैं। गगनयान के लिए प्रशिक्षित चार अंतरिक्ष यात्रियों में शुभांशु सबसे कम उम्र के थे और यह बात लाभदायक रही।
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि गगनयान वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और महिला अंतरिक्ष यात्रियों के लिए संभावनाओं के द्वार खोलेगा?
उत्तर : हां बिल्कुल। अंतरिक्ष विज्ञान में पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई भेद नहीं है। 15 अगस्त, 2018 को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार गगनयान की घोषणा की थी, तो उन्होंने कहा था कि भारत का एक बेटा या बेटी अंतरिक्ष में जाएंगे। वर्तमान में चयनित चार अंतरिक्ष यात्री पुरुष हैं, वे वायु सेना से हैं और इसका कारण मुख्यत: उनका उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त होना है, लेकिन भविष्य में वायु सेना से बाहर के अंतरिक्ष यात्रियों को भी शामिल किया जाएगा, जिनमें महिलाएं भी होंगी। वैश्विक स्तर पर महिलाएं अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी रही हैं। भारत में भी इसरो की कई परियोजनाओं का नेतृत्व महिला वैज्ञानिकों ने किया है, चाहे वह चंद्रयान हो, आदित्य हो या अन्य।
प्रश्न : क्या गगनयान भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवयुक्त अंतरिक्ष यान मिशनों में शामिल होने या अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा?
उत्तर :भारत 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन नामक स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने वाला है। प्रधानमंत्री ने ‘सुदर्शन सुरक्षा चक्र’ का भी उल्लेख किया है, जहां अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसलिए 2035 एक युगांतकारी वर्ष होगा.....उसके पांच साल बाद भारत का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर मानव सहित मिशन भेजना है।
प्रश्न : चंद्रमा या मंगल मिशन के दौरान आप भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को किस प्रकार के प्रयोग करते देखना चाहेंगे?
उत्तर : हाल के मिशन में प्रयोगों को सात श्रेणियों में बांटा गया था। जीवन विज्ञान विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा। उदाहरण के लिएए मायोजेनेसिस—सूक्ष्मगुरुत्व या माइक्रोग्रेविटी में मांसपेशियों के क्षय और पुनर्जनन—का अध्ययन कैंसर, मधुमेह या यहां तक कि पृथ्वी पर फ्रैक्चर से उबरने जैसी स्थितियों के लिए सीधे तौर पर प्रासंगिक है।
प्रश्न : स्पैडेक्स के बादए भारत वैश्विक ग्राहकों के लिए अंतरिक्ष डॉकिंग और उपग्रह सेवा का मुद्रीकरण कब शुरू करेगा?
उत्तर : हमने स्पैडेक्स के माध्यम से डॉकिंग और अनडॉकिंग का अनुभव प्राप्त करना शुरू कर दिया है। आगामी चंद्रयान-4 मिशन, जो 2028 के आसपास अपेक्षित है। अंतरिक्ष पर्यटन व्यवहार्य होते ही डॉकिंग तकनीक यात्री सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
प्रश्न : भारत सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से पांच वर्षों में 52 जासूसी उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है। ऐसे सहयोगों से राष्ट्रीय सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
उत्तर :सुरक्षा उपाय पहले से ही मौजूद हैं। हमने इन-स्पेस (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र) बनाया है, जो अंतरिक्ष में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को नियंत्रित करता है।
प्रश्न : भारत ने 2033 तक वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का 8 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उपग्रह प्रक्षेपणों के अलावा, कौन-सी तकनीकें भारत को स्पेसएक्स और चीन से मुकाबला करने में मदद करेंगी?
उत्तर : यादा ध्यान रॉकेट और प्रक्षेपणों पर है, लेकिन लगभग आधे अंतरिक्ष अनुप्रयोग पृथ्वी पर ही हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कृषि, बुनियादी ढांचे और यहां तक कि युद्ध में भी एकीकृत है। प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना का ही उदाहरण लें, यह समय, धन और कागज़ी कार्रवाई बचाने के लिए उपग्रह चित्रों का उपयोग करती है, जिससे आर्थिक विकास में सीधा योगदान मिलता है। हमें उम्मीद हैं कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जो वर्तमान में लगभग 8 बिलियन डॉलर है, अगले दशक में पांच गुना बढ़कर 40-45 बिलियन डॉलर हो जाएगी।
प्रश्न : क्या आप केवल वायु सेना के पायलटों को ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों को भी भारत के अंतरिक्ष यात्री समूह में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे?
उत्तर : बिल्कुल। फिलहाल, वायु सेना के पायलट हाई एल्टीट्यूड जेट विमानों में प्रशिक्षण के कारण बेहतर रूप से तैयार हैं, लेकिन यह तो बस शुरुआत है। भविष्य में हमारे अंतरिक्ष यात्री समूह का विस्तार होगा और इसमें आम नागरिक, महिलाएं, जैव-प्रौद्योगिकीविद, अंतरिक्ष चिकित्सक और यहां तक कि मीडिया पेशेवर भी शामिल होंगे ताकि मिशनों को वास्तविक समय में रिकॉर्ड किया जा सके। जैसे-जैसे यह प्रणाली विकसित होगी, भारत को अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के एक बड़े और अधिक वैविध्यपूर्ण समूह की आवश्यकता होगी।