जानलेवा होते सड़क हादसे
पंजाब में अत्यन्त असुरक्षित होती जाती सड़कों पर सुरक्षित स़फर की इच्छा निरन्तर दुष्कर और दुरूह होती जा रही है। पंजाब की सड़कें कभी भी इतनी सुरक्षित तो नहीं रहीं कि जिनका उल्लेख कहीं किया जा सके किन्तु प्रदेश में हाल की भारी वर्षा से उपजी भीषण बाढ़ों ने इन सड़कों को मृत-प्राय स्थितियों में ला दिया है। लिहाज़ा प्रदेश की सड़कें मनुष्य मात्र के लिए जानलेवा सिद्ध होने लगी हैं। सड़क हादसों के मामले में पंजाब पूरे देश में तीसरे स्थान पर है जबकि पहले स्थान पर मिज़ोरम और दूसरे स्थान पर बिहार आता है। इस संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो अर्थात एन.सी.आर.बी. की एक ताज़ा रिपोर्ट ने बेहद हैरानीजनक और चिन्तित कर देने वाले आंकड़े पेश किये हैं। इन आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि प्रदेश में प्रतिदिन होने वाले सड़क हादसों में 78 प्रतिशत लोग जान गंवा देते हैं। यह भी इन आंकड़ों का प्रतिफल है कि विगत तीन-चार वर्षों में प्रदेश में ऐसी सड़क दुर्घटनाओं और कि इन में होने वाले हताहतों की संख्या भी निरन्तर बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार बेशक खराब सड़कों की हालत प्रदेश के प्राय: सभी ज़िलों और बड़े शहरों में एक जैसी है, किन्तु अमृतसर, लुधियाना, जालन्धर आदि महानगरों में स्थिति दिन-प्रतिदिन गम्भीर होती जाती है। पूरे पंजाब में वर्ष 2023 में विभिन्न सड़क हादसों में गम्भीर रूप से घायल हुए लोगों में से मरने वालों की संख्या 78.2 प्रतिशत रही। यह संख्या वर्ष 2022 में इसी कारण मरने वालों की संख्या से कहीं अधिक रही। वर्ष 2022 में 6,122 सड़क हादसों में 4,688 लोगों के प्राण गए और 3,372 लोग घायल भी हुए थे। इस प्रकार इस एक वर्ष में सड़क हादसों में 4.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
रिपोर्ट में ज़ाहिर हुए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में प्रशासनिक तंत्र द्वारा कुल 6,276 सड़क दुर्घटनाएं रिकार्ड की गईं जिनमें 4,906 लोगों की जान गई और 3,305 लोग घायल भी हुए। ये वो हादसात थे जो बाकायदा सरकारी फाइलों में दर्ज हुए। लगभग एक हज़ार दुर्घटनाएं ऐसी भी इस काल में हुईं जो कहीं किसी रिकार्ड में तो नहीं आईं, किन्तु इनमें भी जान-माल की हानि तो अवश्य हुई। इस रिपोर्ट का एक आश्चर्यजनक पक्ष यह है कि सांझ ढलने के बाद, और रात को ऐसे सड़क हादसों की संख्या और गम्भीरता स्वत: बढ़ने लगती है। इसका कारण प्राय: रात को नशे में गाड़ी चलाया जाना अथवा तीव्र गति से वाहन चलाना भी हो सकता है। दोनों स्थितियों में वाहन अक्सर अनियंत्रित हो जाते हैं जिससे दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है। प्रदेश के लोगों द्वारा तीव्रगामी, लग्ज़री वाहन खरीदने का शौक भी सड़क दुर्घटनाएं बढ़ने का कारण बन रहा है। पंजाब में समृद्धि की आहट ने भी वाहनों की संख्या और इस कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को बढ़ाया है। पंजाब में वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में पांच लाख 15 हज़ार से अधिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। यह भी, कि प्रत्येक माह वाहनों की खरीद दर बढ़ती जाती है। दीपावली के त्योहार और इससे पूर्व ही केन्द्र सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जी.एस.टी. दरें घटाये जाने से भी खरीद किए गए वाहनों की संख्या और इनकी रफ्तार बढ़ने की बड़ी सम्भावना है।
इस रिपोर्ट के आंकड़ों में यह वर्णन भी बड़ा दिलचस्प है कि जीपों, परिष्कृत वाहनों, ट्रैक्टरों और यहां तक कि मोटरसाइकिलों एवं स्कूटर-दुर्घटनाओं में भी हताहत होने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। इसके पीछे भी मुख्य वजह वाहनों की गति में वृद्धि होना ही बताया जाता है। प्रदेश सरकार भी इस स्थिति से पूर्णतया, अवगत प्रतीत होती है। तभी तो सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु यत्न करने और हादसों में हताहत हुए लोगों को समुचित राहत और प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराने हेतु सड़क सुरक्षा बल का गठन किया है। इस बल की टुकड़ियां मुख्य सड़क मार्गों पर प्रत्येक 30 कि.मी. के बाद तैनात रहती हैं। तथापि, यह भी इस बात का सबूत है कि प्रदेश में आत्मघाती सड़क हादसों की संख्या बढ़ी है।
हम समझते हैं कि बेशक विकास और उन्नति का पथ निरन्तर प्रशस्त होते जाने के कारण नये-नये एवं परिष्कृत वाहनों के निर्माण को रोका नहीं जा सकता। इसी तरह समृद्धि की आहट बढ़ने से वाहनों की खरीद तो बढ़ी है, किन्तु उसी रफ्तार से प्रदेश में सड़कों के निर्माण और सड़कों के विस्तार-सुधार की गतिशीलता नहीं बढ़ी है। सड़कों पर वाहनों की रफ्तार और चालन पर अंकुश लगाये जाने की भी बड़ी आवश्यकता है। शराब पी कर वाहन चलाये जाने की बुरी आदत पर प्रशासन चाह कर भी अंकुश नहीं लगा पाया है। इसी कारण प्रदेश में गलत ढंग से वाहन चलाने वालों पर कभी कोई बड़ी कार्रवाई होते नहीं दिखी। यूं भी, लोगों में वाहन चलाते समय संयम की कमी भी बहुत खलती है। नि:संदेह सड़क हादसों में बहुमूल्य प्राणों का जाना बहुत बड़ी चिन्ता की बात है किन्तु इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए संयुक्त रूप से संयमित प्रयास किया जाना बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही जन-साधारण में वाहन चलाने की जागरूकता और संयम अपनाये जाने की भी बड़ी आवश्यकता है। ऐसे कुछ प्रयासों एवं यत्नों से ही प्रदेश में सड़क हादसों और इस कारण होने वाली मौतों की संख्या में कुछ सीमा तक अंकुश लगाया जा सकता है।

