लोकतांत्रिक भावना को मज़बूत करने की ज़रूरत
नवम्बर के अंत में पंजाब के ज़िला परिषद् और पंजाब ब्लाक समितियों के चुनावों की घोषणा की गई थी। पंचायती राज कानून के तहत ये चुनाव पांच वर्ष बाद करवाने का प्रबन्ध है। इसलिए यह लगभग दो वर्ष देरी से करवाए जा रहे हैं, क्योंकि इनके संबंध में कई अदालती मामले लटकते रहे थे। इन चुनावों की घोषणा से ही चुनाव गतिविधियां शुरू हो गई थीं, क्योंकि 14 दिसम्बर को होने वाले इन चुनावों में बहुत कम समय रह गया है। एक दिसम्बर से शुरू हुए नामांकनों की अंतिम तिथि 4 दिसम्बर थी, परन्तु आखिरी दिन कई स्थानों पर बड़े हंगामे होने व अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवारों और उनके साथियों के आपस में टकराव के समाचार भी मिले।
इस चुनाव मैदान में उतरीं लगभग सभी ही विपक्षी पार्टियों ने प्रशासन पर ये आरोप लगाए कि इस प्रक्रिया में उनके समक्ष मुश्किलें खड़ी की जा रही हैं और उनके उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करवाने से रोकने के लिए पुलिस और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस संबंध में भाजपा ने प्रदेश चुनाव आयुक्त को ज्ञापन भी दिया और कहा कि ये चुनाव निष्पक्ष करवाए जाएं और सभी चुनाव प्रक्रियाओं की वीडियोग्राफी भी की जाए। शिरोमणि अकाली दल (ब) और कांग्रेस ने भी कई स्थानों पर रोष प्रदर्शन किए। तरनतारन, फिरोज़पुर और पटियाला ज़िलों में कई बार स्थिति तनावपूर्ण भी बनी और कई स्थानों पर हंगामे भी हुए। दूसरी तरफ वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने यह कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भय के चुनाव लड़ने का अधिकार है। कई स्थानों पर तनाव पैदा होता तो दिखाई दिया है परन्तु इसने गम्भीर हिंसक रूप धारण नहीं किया। आगामी दिनों में इन चुनावों की गतिविधियां 14 दिसम्बर तक रहेंगी और 17 दिसम्बर को पर्ची द्वारा हुए इस मतदान के परिणामों की घोषणा कर दी जाएगी। नि:संदेह निचले स्तर पर इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मज़बूत होना ज़रूरी है। इन चुनावों का महत्त्व इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इनके लिए 1 करोड़, 36 लाख से भी अधिक मतदाता हैं। पंजाब में कुल 22 ज़िला परिषदों में 21 के लिए और 154 ब्लाक समितियों के लिए मतदान होगा। मालेरकोटला में ज़िला परिषद् नहीं है और मोहाली ज़िला परिषद् का चुनाव स्थगित हो गया है।
इनके लिए इस समूची प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए 19,000 से अधिक बूथ स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2027 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे। इन चुनावों को आगामी विधानसभा चुनावों का आधार और पैमाना भी माना जा सकता है। इस समय इन चुनावों के लिए जितना उत्साह पैदा हुआ है, उससे ग्रामीण क्षेत्रों में आम मतदाता की इस प्रक्रिया में दिलचस्पी का अनुमान भी लगाया जा सकता है। चाहे प्रदेश में सक्रिय अनेक राजनीतिक पार्टियां इनमें हिस्सा लेने से अपने-अपने कारणों के दृष्टिगत असमर्थ रही हैं परन्तु उनकी नज़र भी आगामी विधानसभा चुनावों पर केन्द्रित है। प्रदेश सरकार के लिए भी ये चुनाव एक चुनौती से कम नहीं हैं, क्योंकि उनकी पिछली कारगुज़ारी का अनुमान इन चुनावों से लगाया जा सकेगा।
इन चुनावों के लिए जहां बड़ी ज़िम्मेदारी प्रदेश चुनाव आयोग की है, वहीं सरकार की भी ज़िम्मेदारी बनती है। यदि प्रदेश सरकार यह चुनाव पारदर्शी ढंग से करवाने में सफल हो जाती है तो ऐसी प्रक्रिया का लोगों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। ऐसी उम्मीद ही ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता प्रशासन से कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सभी पार्टियां अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए इन चुनावों को समुचित ढंग से सम्पन्न कराने के लिए यत्नशील होंगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

