भारतीय मुक्केबाज़ी का नया पोस्टर ब्वॉय हितेष गुलिया
वेल्टरवेट बॉक्सर हितेष गुलिया के लिए यह साल बहुत ही महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने अपने छोटे से करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। नवम्बर 2025 में ग्रेटर नोएडा में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स में उन्होंने कजाकिस्तान के नूरबेक मुरसल को 3-2 के विभाजित निर्णय से पराजित किया और पुरुषों के 70 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया।
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि 22 वर्षीय हितेष ने इस साल जो निरंतरता के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है वैसा पिछले कुछ वर्षों के दौरान किसी भी अन्य भारतीय बॉक्सर ने नहीं किया है। उन्होंने ब्राज़ील, अस्ताना व ग्रेटर नोएडा में पदक जीतने की हैट्रिक लगायी है और अब वह निश्चित रूप से भारतीय पुरुष मुक्केबाज़ी का नया चेहरा बन गये हैं। उनका यह ताज़ा गोल्ड मेडल पूर्वत सफलताओं से अर्जित आत्मविश्वास पर आधारित था; क्योंकि उन्होंने क्वार्टरफाइनल में 2025 वर्ल्ड चैंपियनशिप्स के रजत पदक विजेता व पूर्व वर्ल्ड चैंपियन जापान के सेवोन ओकाज़वा को पराजित किया था। हितेष ने बताया, ‘मेरे लिए प्रतियोगिता में निर्णायक मोड़ उस समय आया, जब मैंने ओकाज़वा को पराजित किया। उनके खेल को मैं वर्षों से टीवी पर फॉलो करता आ रहा हूं। उनके साथ रिंग शेयर करना और उन्हें हराने से मुझमें ज़बरदस्त आत्मविश्वास आया।’
ग्रेटर नोएडा में गोल्ड वर्ल्ड बॉक्सिंग कप अभियान का उल्लेखनीय अंतिम अध्याय था, जिसकी शुरुआत ब्राज़ील में हुई और फिर अस्ताना से होते हुए भारत में अंत हुआ। अप्रैल 2025 में, फॉक्स डू इग्नाकु में स्टेज 1 में हितेष वर्ल्ड बॉक्सिंग कप गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने बताया, ‘मैंने जो पिछले कुछ वर्षों के दौरान मेहनत की थी उसके नतीजे दिखने शुरू हो गये थे, गोल्ड इस बात का सबूत था। अस्ताना में स्टेज 2 में हितेष ने रजत पदक जीता, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कजाकिस्तान में मज़बूत मुक्केबाज़ों के बीच भी उन्होंने अपनी निरंतरता को बनाये रखा। हितेष कहते हैं, ‘अस्ताना ने मुझे बहुत सिखाया। मैं फाइनल में हार गया था, लेकिन वह पराजय मेरे दिमाग में बसी रही। मैंने अपने आपसे वायदा किया कि अगर मैं भारत में फाइनल में पहुंचा तो मैं गोल्ड के लिए भरपूर कोशिश करूंगा।’
हितेष की कामयाबी की नींव गांव जहांगीरपुर में रखी गई थी, जोकि हरियाणा के झज्जर ज़िले में है। सुंदर से, मोटे से इस स्कूली छात्र ने 2015 में पहली बार स्थानीय सरकारी स्टेडियम में कदम रखा था। वह तब 11 साल के थे और कोच हितेष देसवाल से मुलाकात करते समय उन्हें विश्व खिताब से अधिक अपना वज़न कम करने की चिंता थी। देसवाल उन्हें बॉक्सिंग की तरफ ले गये। उन दिनों को याद करते हुए हितेष बताते हैं, ‘मैं ओवरवेट और गोलमटोल था। खेलों के प्रति भी मेरी कोई गंभीरता नहीं थी। केवल फिट रहने के लिए कोच सर ने मुझे बॉक्सिंग में कोशिश करने के लिए कहा ताकि मैं कुछ किलो अपना वज़न कम कर सकूं। कुछ महीनों में ही मुझे बॉक्सिंग हर अन्य चीज़ की तुलना में अधिक प्यारी हो गई।’
हितेष के पिता सत्य प्रकाश एक प्राइवेट ट्रेवल कंपनी में टैक्सी ड्राइवर हैं। वह अपनी कड़ी मेहनत से घर का खर्च चलाते हैं, लेकिन अपने पांच बच्चों में सबसे छोटे हितेष पर कोई दबाव नहीं पड़ने देते हैं। हितेष बताते हैं, ‘हमारी आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं थी, लेकिन पापा ने कभी भी उसे मेरी समस्या नहीं बनने दिया। वह बहुत सवेरे काम पर निकल जाते और देर रात को घर लौटते, लेकिन अगर मुझे नये दस्तानों या जूतों की ज़रूरत होती तो वह किसी सूरत से प्रकट हो ही जाते थे। आज मैं जो कुछ भी हूं वह अपने पापा की बदौलत हूं क्योंकि वह रिंग के बाहर खामोशी से संघर्ष करते रहते हैं।’
दरअसल, हितेष के लिए निर्णायक मोड़ 2022 में भिवानी के साई सेंटर में आया। भारत के बॉक्सिंग आइकन सुरनजॉय सिंह, जो अब भारतीय नौ सेना में कोच हैं, ने अपने ट्रेनिंग सत्र के दौरान हितेष को स्पॉट किया, जो उस समय 17 साल के थे। सुरनजॉय को हितेष में पर्याप्त प्रतिभा दिखायी दी और उन्होंने उसे नेवी में सेलर का जॉब ऑफर कर दिया। इसने हितेष के जीवन की धारा ही बदल दी। हितेष बताते हैं, ‘जब सुरनजॉय सर ने मुझे स्पॉट किया तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ था। नेवी में जॉब का अर्थ था कि मेरा परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित हो जायेगा और मैं पूर्णत: बॉक्सिंग पर फोकस कर सकूंगा। सर के साथ ट्रेनिंग करते हुए मेरे नज़रिये में बदलाव आया। उन्होंने मुझे दबाव में शांत रहना सिखाया और चैंपियन की तरह सोचना भी।’
सुरनजॉय की निगरानी में हितेष की रणनीति, काउंटर पंच शैली में पैनापन आने लगा, जोकि इस सीजन में उनके अच्छे प्रदर्शन का मुख्य हथियार बना। नतीजे तो पिछले साल ही आने शुरू हो गये थे जब हितेष ने 2024 राष्ट्रीय चैंपियनशिप्स जीती और फिर इस साल के शुरू में राष्ट्रीय गेम्स में सफलता पाकर उन्होंने भारत के 70 किलो बॉक्सर के रूप में अपना स्थान पक्का कर लिया। भारतीय नेवी ने जल्द ही उन्हें कर्नाटक के जेएसडब्लू-प्रमोटेड इंस्पायर इंस्टिच्यूट ऑ़फ स्पोर्ट्स में भेज दिया।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर




