आखिरकार भूपेंद्र हुड्डा बन ही गए नेता प्रतिपक्ष

हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव के करीब एक साल बाद आखिरकार कांग्रेस आलाकमान ने नेता प्रतिपक्ष का नाम घोषित कर ही दिया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। वह इससे पहले भी 2014 से 2024 तक 10 साल नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। भूपेंद्र हुड्डा के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान के स्थान पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। अब कांग्रेस आलाकमान की इस बात को लेकर भी आलोचना हो रही है कि अगर भूपेंद्र हुड्डा को ही नेता प्रतिपक्ष बनाना था तो एक साल तक यह मामला लटका कर क्यों रखा गया। शुरू से ही भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष पद का प्रबल दावेदार माना जाता था। हरियाणा कांग्रेस के 37 विधायकों में से ज्यादातर विधायक भूपेंद्र हुड्डा के साथ थे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान हरियाणा में इस बार कोई नया प्रयोग करना चाहता था जबकि भूपेंद्र हुड्डा नेता प्रतिपक्ष पद का दावा छोड़ना नहीं चाहते थे। 
भूपेंद्र हुड्डा पिछले एक साल से नेता प्रतिपक्ष न होते हुए भी चंडीगढ़ स्थित नेता प्रतिपक्ष वाले आवास में रह रहे है और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि नेता प्रतिपक्ष का पद उन्हें ही मिलेगा। आखिर में हुआ भी वही, कि आलाकमान को हुड्डा के सिर पर ही नेता प्रतिपक्ष का ताज रखना पड़ा। 
राव नरेंद्र सिंह के लिए चुनौतियां
हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह के लिए कांग्रेस के विभिन्न गुटों में संतुलन बनाना और उन्हें साथ लेकर चलना आसान नहीं माना जा रहा। हरियाणा कांग्रेस में भारी गुटबाजी है और इसी गुटबाजी का नतीजा था कि बेशक इस बार 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सत्ता का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन आखिरी मौके पर वह सत्ता से वंचित रह गई और भाजपा प्रदेश में तीसरी बार सरकार बनाने में सफल हो गई। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राजनीतिक पार्टी को हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का मौका मिला है। राव नरेंद्र सिंह हरियाणा में 3 बार विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। राव नरेंद्र सिंह के पिता भी 3 बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे थे। राव नरेंद्र सिंह पिछला चुनाव हार गए थे। वह दो बार कांग्रेस टिकट पर विधायक चुने गए और एक बार पूर्व सीएम भजनलाल की पार्टी हजकां से विधायक बनने के बाद पाला बदलकर भूपेंद्र हुड्डा के साथ आ गए थे और हुड्डा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने थे। राव नरेंद्र सिंह की गिनती हरियाणा कांग्रेस के सांझे नेता के तौर पर होती है और यही सोचकर कांग्रेस आलाकमान ने राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपी है। वह दक्षिणी हरियाणा से आते हैं और पिछले तीन चुनावों से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के प्रभाव के चलते हरियाणा में भाजपा सरकार बनाने में दक्षिणी हरियाणा की विशेष भूमिका रही है। हरियाणा में कांग्रेस की जडें़ जमाने और प्रदेश कांग्रेस के सभी छोटे-बड़े नेताओं को साथ लेकर चलने में राव नरेंद्र सिंह कितना सफल हो पाते हैं, यह आने वाला समय ही बताएगा। 
एससी की जगह ओबीसी अध्यक्ष
हरियाणा में पिछले काफी समय से कांग्रेस लगातार अनुसूचित जाति से संबंधित नेताओं को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाती आ रही थी। इस बार कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग से अध्यक्ष और जाट समाज से नेता प्रतिपक्ष बनाकर एक नया प्रयोग किया है। जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री थे तो उस समय पूर्व शिक्षा मंत्री फूलचंद मुलाना को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था। उसके बाद मुलाना के स्थान पर सिरसा से सांसद रहे डॉ. अशोक तंवर को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। फिर अशोक तंवर को हटाकर पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। सैलजा के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद पूर्व विधायक उदयभान को सौंपा गया। मुलाना, तंवर, सैलजा और उदयभान सभी अनुसूचित जाति से संबंधित थे। इस बार उदयभान कांग्रेस के पक्ष में हवा होने के बावजूद अपना खुद का चुनाव हार गए। 
चुनाव के बाद से यह माना जा रहा था कि उदयभान की किसी भी समय कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद से छुट्टी हो सकती है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष का नाम फाइनल न होने के कारण पिछले एक साल से मामला लटका हुआ था। कांग्रेस आलाकमान पहले नेता प्रतिपक्ष का नाम तय करना चाहती थी और उसके बाद जातीय संतुलन का ख्याल रखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का नाम घोषित करना चाहती थी। 
रैली का असर
इसी बीच, इनेलो की ओर से चौधरी देवीलाल के जन्मदिवस पर 25 सितम्बर को रोहतक में राज्य स्तरीय रैली की गई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ में इनेलो की रैली के दौरान हुड्डा समर्थक कई कांग्रेस नेता कांग्रेस छोड़कर इनेलो में शामिल हो गए। उसकी वजह यह मानी जाने लगी कि पिछले एक साल से भूपेंद्र हुड्डा नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल नहीं कर पाए, जिससे यह संदेश गया कि कांग्रेस आलाकमान में हुड्डा की पकड़ कमजोर हो गई है। करीब एक साल तक नेता प्रतिपक्ष का ऐलान न होने से यह भी चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि इस बार कांग्रेस आलाकमान भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहता और प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार मानता है। चुनाव में कांग्रेस की सबसे ज्यादा टिकटें भूपेंद्र हुड्डा की सिफारिश पर ही दी गई थीं। भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ रोहतक में इनेलो द्वारा एक कामयाब रैली किए जाने से कांग्रेस आलाकमान सोच में पड़ गई और उन्हें यह लगने लगा कि अगर नेता प्रतिपक्ष की घोषणा करने में और ज्यादा देरी हो गई या भूपेंद्र हुड्डा को नजर-अंदाज करके किसी अन्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया तो हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसी के चलते इनेलो की रैली के तुरंत बाद कांग्रेस आलाकमान ने भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष और राव नरेंद्र को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंप दी। 
सफल रही रैली
पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद पहली बार रोहतक में हुई इनेलो की रैली को हर लिहाज से सफल माना जा रहा है। रैली को सफल बनाने में जहां इनेलो नेताओं व कार्यकर्त्ताओं ने खूब जोर लगाया, वहीं रैली में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह, जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी, तेलंगाना से पूर्व सांसद के. कविता, भादरा से पूर्व विधायक बलवान पूनिया, रेवाड़ी के पूर्व विधायक रघु यादव ने भी हिस्सा लिया और इनेलो कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया। पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के आशीर्वाद से शुरू किया था, लेकिन पिछले कुछ समय से वह कांग्रेस में हैं। इसके बावजूद उनका रैली में आना और बिना नाम लिए हुड्डा पिता-पुत्र पर तीखे कटाक्ष करना बेहद चर्चा में रहा। भीड़ के लिहाज से भी रैली सफल रही। तथापि, इस रैली के जरिए इनेलो कार्यकर्ताओं मेें जो जोश व उत्साह भरने का काम किया गया, उसको अगले 4 सालों तक बरकरार रखना इनेलो के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण भी होगा। 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो की टिकट पर ऐलनाबाद से एकमात्र अभय चौटाला ही विधायक चुने गए थे। इस बार अभय चौटाला खुद ऐलनाबाद से चुनाव हार गए लेकिन उनके बेटे अर्जुन चौटाला रानियां से और उनके चचेरे भाई आदित्य देवीलाल डबवाली से विधायक चुने गए हैं। 90 सदस्यीय विधानसभा में इस समय इनेलो के मात्र दो विधायक हैं। अब इन दो विधायकों से इनेलो सरकार बनाने लायक संख्या बल तक पहुंचने का सफर कैसे तय करेगी, इसी पर इ-नेलो का भविष्य टिका हुआ है। 

-मो.-9855465946

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