किसानों की आय बढ़ाएंगी जीएसटी की नई दरें

किसान कल्याण केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। खेती सरल हो, उत्पादन की लागत घटे और किसान को अधिक मुनाफा हो, इसके लिए निरन्तर प्रयास जारी हैं। अन्नदाताओं का जीवन बदलना और कृषि को विकसित बनाना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य भी है और संकल्प भी। उनके निर्णयों, नीतियों और योजनाओं के केंद्र में हमेशा किसान रहते हैं। हाल ही में जीएसटी परिषद द्वारा किए गए संशोधन इसी किसान हितैषी सोच को दर्शाते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी में नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म का जो संकल्प लिया था,आज वह नए भारत की समृद्धि का आधार बन रहा है।
देश की आम जनता और किसानों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए जीएसटी दरों में व्यापक सुधार किए गए हैं। यह सुधार हमारी कृषि व्यवस्था को गति और किसानों को प्रगति देने वाले हैं। इन सुधारों से देश के 10 करोड़ से अधिक सीमांत किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। पहले जहां कृषि उपकरणों पर 18 प्रतिशत तक जीएसटी देना पड़ता था, अब यह दर घटाकर केवल 5 प्रतिशत कर दी गई है। इसका मतलब है कि हर किसान की जेब में हज़ारों रुपये की सीधी बचत होगी।
उदाहरण के लिएए अगर कोई किसान 35 हॉर्सपावर का ट्रैक्टर खरीदता था तो पहले उसे लगभग 6.5 लाख रुपये (अनुमानित) खर्च करने पड़ते थे। अब यही ट्रैक्टर करीब 6.09 लाख रुपये में मिलेगा और किसान को लगभग 41 हज़ार रुपये की बचत होगी। सिर्फ ट्रैक्टर ही नहीं, पावर टिलर पर करीब 12 हज़ार, धान रोपण यंत्र पर 15 हज़ार और थ्रेशर पर लगभग 14 हज़ार रुपये की बचत होगी। पावर वीडर और सीड-ड्रिल जैसे उपकरणों पर भी 5 से 10 हजार रुपये तक की बचत होगी। नए सुधारों से कटाई और बुवाई की बड़ी मशीनें भी किसानों को सस्ते दरों पर उपलब्ध हो सकेंगी। 14 फीट कटर बार पर लगभग 1.87 लाख रुपये, स्क्वायरबेलर पर लगभग 94 हज़ार रुपये और स्ट्रॉरीपर पर करीब 22 हज़ार रुपये किसानों की जेब में बचेंगे। मल्चर, सुपरसीडर, हैप्पीसीडर और स्प्रेयर भी अब पहले से सस्ते हो गए हैं।
कृषि को अधिक लाभदायक बनाने के लिए मशीनीकरण आवश्यक है। स्प्रिंकलर, ड्रिपइरिगेशन, कटाई मशीन, हाइड्रोलिक पंप और कलपुर्जों पर टैक्स घटने से अब सीमांत किसान भी आसानी से आधुनिक उपकरण खरीद पाएंगे। इससे श्रम लागत कम होगी, समय बचेगा और उत्पादकता बढ़ेगी। खेती के खर्च में कमी आने से स्वाभाविक रूप से किसान की आमदनी में वृद्धि होगी। ये अनुमानित कीमतें हैं। कंपनियों और राज्यों की नीतियों के आधार पर थोड़ी-बहुत भिन्नता संभव है, लेकिन यह तय है कि किसानों की लागत घटेगी और फायदा निश्चित मिलेगा।
हमारा हर कदम किसानों की समृद्धि के लिए है। किसानों को घटी हुई दरों का लाभ तुरंत मिले, इसके लिए मैंने कृषि मशीन निर्माताओं के संघों के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक की। यह सुधार केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश की आर्थिक संपन्नता और आत्म-निर्भरता के लिए अभिनंदनीय कदम है। कृषि की लागत घटने से किसान अपनी उपज से अधिक लाभ कमा पाएंगे जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि होगी। इसका सकारात्मक असर लघु और कुटीर उद्योगों पर भी पड़ेगाए क्योंकि उन्हें कच्चा माल सस्ते में उपलब्ध होगा और उत्पादन लागत घटेगी। साथ ही एमएसएमई क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिलेगा और रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे। 
जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के प्रति प्रधानमंत्री का विशेष बल रहता है। आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संरक्षण और दीर्घकालिक कृषि की ओर बढ़ रही है, ऐसे में हमारे किसानों को सस्ते दामों पर जैव-कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जीएसट् 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। इससे किसान रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर रहने के बजाय धीरे-धीरे जैविक उर्वरकों की ओर बढ़ेंगे। मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, धरती का स्वास्थ्य सुधरेगा और साथ ही किसानों की लागत भी कम होगी। हमारे देश के किसानों की जोत का आकार छोटा है इसलिए हम इंटीग्रेटेडफार्मिंग और कृषि संबद्ध क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि किसानों की आय तेजी से बढ़े। 
सरकार का स्पष्ट मानना है कि किसानों के जीवन में समृद्धि का उजाला लाने के लिए मूल्य संवर्धन भी आवश्यक है। जीएसटी सुधारों से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को राहत मिली है। कोल्डस्टोरेज और प्रोसेसिंगयूनिट्स में निवेश बढ़ने से किसानों की उपज लम्बे समय तक सुरक्षित रहेगी और प्रसंस्करण के बाद उसे बेहतर दाम मिलेगा। प्रधानमंत्री ने हमेशा कहा है कि वह किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के विरुद्ध किसी भी नीति और समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे। आज का यह सुधार उसी संकल्प का प्रमाण है। इससे हमारी विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता घटेगी और ‘मेक इन इंडिया’ व ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बल मिलेगा।
कर घटने से बिक्री बढ़ेगी, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और युवा अपने गांव में रहकर ही आत्मनिर्भर बन पाएंगे। मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूँ कि ये सुधार स्वदेशी से समृद्धि के संकल्प को सार्थक करेंगे जिससे हमारी अर्थव्यवस्था ‘लॉन्ग लिव इकॉनमी’ यानी दीर्घकालिक अर्थव्यवस्था बनेगी। 

(लेखक भारत सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री हैं)

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