उप-चुनाव की चुनौती

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार का समय मात्र 15 महीने का रह गया है। प्रदेश की पहले बनीं कुछ सरकारों की कारगुज़ारी से निराश होकर लोगों ने इस नई पार्टी को अवसर दिया था और इसको भारी समर्थन मिला था। पंजाब के इतिहास में पहले किसी भी पार्टी ने इस तरह बहुमत प्राप्त नहीं किया था। इसकी विधानसभा में 93 सीटे हैं। विगत अवधि से इसे कई तरह की चुनौतियां भी मिलती रही हैं। कई स्थानों पर अलग-अलग कारणों के दृष्टिगत उप-चुनाव हुए, जिनमें जालन्धर पश्चिमी, चब्बेवाल, गिद्दड़बाहा, बरनाला और लुधियाना पश्चिमी विधानसभा हलका शामिल थे। अलग-अलग समय में हुए इन उप-चुनावों में अनेक कारणों के कारण आम आदमी पार्टी को जीत प्राप्त होती रही है।
चाहे समय के व्यतीत होने से और इसकी कारगुज़ारी के दृष्टिगत इसकी छवि का बड़ी सीमा तक क्षरण हुआ भी दिखाई देता रहा है। समय-समय पर इसके विधायकों को लेकर भी अनेक तरह की चर्चाएं चलती रही हैं। ऐसी चर्चाएं सरकार बनने के समय से ही इसके साथ-साथ चलती रही हैं। पहले मंत्री और फिर विधायक बनी रही अनमोल गगन मान भी चर्चा में रही है। अमृतसर उत्तरी के विधायक रहे कुंवर विजय प्रताप सिंह तो लम्बी अवधि तक अपनी ही सरकार के आलोचक बने रहे। अंतत: उन्हें पार्टी से निकालने की घोषणा कर दी गई। इसी तरह केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र जालन्धर से जीते रमन अरोड़ा को भी भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में रहना पड़ा। आज भी कई तरह के विवाद उनका पीछा नहीं छोड़ रहे। अपने ही विधायक हरमीत सिंह पठानमाजरा के साथ जो व्यवहार सरकार द्वारा किया जा रहा है, उसे अपनी ही तरह की एक अलग उदाहरण कहा जा सकता है। पिछले कई चुनावों में आम आदमी पार्टी ने अन्य पार्टियों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करके टिकटें दी थीं। अपनी इसी नीति के तहत अब तरनतारन में विगत लम्बी अवधि से अकाली नेता रहे और तीन बार विधायक बने हरमीत सिंह संधू को आम आदमी पार्टी द्वारा टिकट दी गई है। वह कुछ महीने पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। इसी कारण स्थानीय स्तर पर आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस संबंध में बेचैनी है। तरनतारन के ‘आप’ के विधायक कश्मीर सिंह सोहल का इसी वर्ष 27 जून को निधन हो गया था। हरमीत सिंह संधू को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में कश्मीर सिंह सोहल ने हराया था। अब बिहार चुनावों के साथ ही चुनाव आयोग ने तरनतारन के उप-चुनाव करवाने की घोषणा की है। इस घोषणा के अनुसार तरनतारन उप-चुनाव के लिए 11 नवम्बर को मतदान होगा और 14 नवम्बर को परिणाम आएगा। परन्तु इससे पहले ही सभी पार्टियों ने इस सम्भावित चुनाव के लिए तैयारियां करनी शुरू कर दी थीं। इन पार्टियों में सबसे पहले शिरोमणि अकाली दल ने 20 जुलाई को अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी। सुखबीर सिंह बादल ने 20 जुलाई को झब्बाल में हुई एक रैली में प्रिंसीपल सुखविन्दर कौर रंधावा को उम्मीदवार घोषित किया था। उसके बाद 14 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी ने तरनतारन से अपने मौजूदा ज़िलाध्यक्ष हरजीत सिंह संधू को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। स. संधू तरनतारन क्षेत्र में उसी समय से ही सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। विगत दिवस इस क्षेत्र से संबंधित वरिष्ठ भाजपा नेता रहे और बाद में अकाली दल की सरकार में मंत्री रहे अनिल जोशी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, परन्तु पार्टी द्वारा लम्बे सोच-विचार के बाद करनबीर सिंह बुर्ज को ही चुनाव मैदान में उतारा गया है। चाहे इससे पहले टिकट प्राप्त करने के लिए पार्टी में बड़ी कशमकश भी चलती रही थी। 
तरनतारन विधानसभा क्षेत्र को पिछली लम्बी अवधि से पंथक क्षेत्र माना जाता रहा है। चाहे इससे पहले कांग्रेस भी चुनाव में जीत हासिल करती रही है और इस बार यह गुणा आम आदमी पार्टी पर पड़ा था, विगत लम्बी अवधि से जेल में नज़रबंद अकाली दल (वारिस पंजाब दे) के नेता अमृतपाल सिंह का भी इस क्षेत्र में बड़ा प्रभाव बना रहा है। अब इस पार्टी की ओर से संदीप सिंह सन्नी के भाई मनदीप सिंह को उम्मीदवार घोषित किया गया है। संदीप सिंह सन्नी अमृतसर के हिन्दू नेता सुधीर सूरी की हत्या के मामले में जेल में बंद हैं। इस क्षेत्र की पंथक कतारों में अकाली दल (वारिस पंजाब दे) पार्टी का उम्मीदवार अब कितनी वोटें प्राप्त करेगा, यह देखने वाली बात होगी। नि:संदेह आगामी दिनों में इस चुनाव को लेकर पंजाब की राजनीति बेहद ज्वलंत हुई दिखाई देगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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