अर्थपूर्ण है ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का दौरा

आज जिस तरह के हालात विश्व भर में बने दिखाई दे रहे हैं, उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का भारत का दो दिवसीय दौरा बेहद महत्त्वपूर्ण और भावपूर्ण माना जा सकता है। ब्रिटेन का भारत के साथ सदियों पुराना रिश्ता है। उप-निवेशवाद के समय इस अनुपातन छोटे से देश ने भारत पर 200 वर्ष तक शासन किया। ़गुलामी का यह दौर बेहद दु:खद और अजीबो-गरीब घटनाओं से भरपूर था। इस समय में भारत आर्थिक रूप से कमज़ोर हो गया और अनेक पक्षों से पीछे रह गया। चाहे एक समय ब्रिटेन में आई औद्योगिक क्रांति का भारत पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा। अंग्रेज़ अपने नवीनतम आविष्कार भी भारत में लाए थे। इस लम्बे दौर के बाद पिछले 78 वर्षों में दोनों देश के अर्थपूर्ण संबंध बने रहे हैं।
आज अंग्रेज़ी भाषा भारत की स्थापति और समाज में एक अहम हिस्सा बन चुकी है। इस भाषा द्वारा ही भारत विश्व भर के बड़े और ज्यादातर देशों के साथ जुड़ा हुआ है। चाहे ब्रिटेन के हालात पहले जैसे नहीं रहे परन्तु आज भी वह विश्व की बड़ी पांचवीं आर्थिक शक्ति माना जाता है। जबकि भारत का स्थान इस पंक्ति में चौथा है। अंग्रेज़ी सभ्याचार प्राकृतिक रूप से भारत में घुल-मिल गया है। आज ब्रिटिश म्यूज़ियम, लंदन ब्रिज के साथ-साथ मानचेस्टर और बर्मिंघम पढ़े-लिखे भारतीयों में अनजान नाम नहीं हैं। ब्रिटिश लाइब्रेरी के नाम से भी ज्यादातर जागरूक भारतीय अवगत हैं। हमारा कोहिनूर हीरा लंदन टावर में पड़ा है, यह भी भारतीय जानते हैं। लगभग पिछले 6 दशकों से भी अधिक समय से लाखों ही भारतीयों ने ब्रिटेन में प्रवास किया है। आज 20 लाख से भी अधिक भारतीय, जिनमें बड़ी संख्या में पंजाबी भी शामिल हैं, ब्रिटेन को अपना घर बनाए बैठे हैं।
ज्यादातर अंग्रेज़ भारतीय सभ्याचार से अवगत हैं। उन्हें भारतीय पकवान और समोसे तक का पता है। आज़ादी के बाद ब्रिटेन हमेशा भारत के साथ खड़ा दिखाई दिया है। यहां तक कि भारत से भगौड़े रईसज़ादे विजय माल्या और नीरव मोदी भी वहीं ठिकाने बनाए बैठे हैं। ब्रिटेन की महारानी सहित वहां के बड़े से बड़े राजनीतिज्ञ दशकों से भारत की यात्रा करते रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्रियों और राजनीतिज्ञों की यात्रा का प्राथमिक स्थान भी ब्रिटेन ही रहा है। आज जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमरीका जैसा देश भारत को आंख दिखाने में लगा हुआ है तो ऐसे समय में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भारत की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाया है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले जुलाई महीने में लंदन गए थे। उनकी इस यात्रा को बहुत सफल माना गया था। उसके बाद दोनों देशों में ऐतिहासिक व्यापार समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों ही देश एक-दूसरे की वस्तुओं को अपने-अपने देशों में टैक्स-मुक्त या बहुत कम टैक्स पर बाज़ार उपलब्ध करवाएंगे। आगामी महीनों में ही यह समझौता लागू हो जाएगा। कीर स्टार्मर के भारत आने से श्री मोदी ने दोनों देशों में हुए इस समझौते को ऐतिहासिक कहा है और यह भी कहा कि यह नया प्रबन्ध रोज़गार के बड़े स्रोत पैदा करेगा, व्यापार को उत्साहित करेगा और उद्योगों को भी भारी सम्बल देगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री इस दौरे में अपने साथ अलग-अलग क्षेत्रों के प्रसिद्ध 125 व्यक्तियों को भी लेकर आए हैं, जिनमें ज्यादातर व्यापार, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्रों से संबंधित हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने कहा कि आज भारत और ब्रिटेन का आपसी व्यापार लगभग 5 लाख करोड़ है। वह विश्वास दिलाते हैं कि वर्ष 2030 तक यह आपसी व्यापार दोगुना हो जाएगा। स्टार्मर ने यह भी कहा कि मात्र पिछले तीन महीनों में दोनों देशों में 71 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ है। स्टार्मर ने यह भी कहा है कि दोनों देशों में व्यापार, सुरक्षा और उच्च-तकनीक के क्षेत्रों में और समझौते होने जा रहे हैं। स्टार्मर ने भारत की पीठ थपथपाते हुए यह भी कहा कि ये दोनों देशों के लिए लाभदायक व्यापार है और यह भी कि वर्ष 2028 तक भारत विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहा है। नि:संदेह दोनों देशों में ऐसी सकारात्मक साझ विश्व भर के लिए एक बड़ा संदेश है, जिसके लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की प्रशंसा की जानी चाहिए।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

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