मंदबुद्धि बच्चें को भी जीवन की मुख्य धारा से जोड़ा जाए

दुनिया में अक्सर यह देखा जाता है कि कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो साधारण बच्चों की तरह नहीं होते, वह मानसिक तौर पर कुछ कमज़ोर रह जाते हैं। यह ऑटिज्म का रोग बच्चों में मानसिक विकास का अनियंत्रित प्रबंध है। यह बच्चे के पहले छ: महीने से लेकर विकसित व्यक्ति तक पाया जाता है। विश्व में इन बच्चों की संख्या लाखों में है और यह सभी देशों में पाए जाते हैं। विश्व में इस गम्भीर समस्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में 2 अप्रैल का दिन विश्व ऑटिज्म दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया है। यदि इसका इतिहास देखा जाए तो 2 नवम्बर, 2007 को इस दिन को संयुक्त राष्ट्र में 139 पक्ष में और विपक्ष में 62 के अन्तर से पास कर दिया। इस दिन कई तरह के सैमीनार, गोष्ठियां, भाषण, प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं। यह सभी कार्य पारम्परिक तौर पर किए जाते हैं। इस समय कुछ सवाल मन में पैदा होने स्वाभाविक हो जाते हैं। क्या मंदबुद्धि बच्चों का हाथ कभी समूचे समाज ने पकड़ा है? क्या हमने इन बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने का कोई सार्थक प्रयास किया है। क्या हम अभिभावकों में पाई जाने वाली लापरवाही का कोई हल कर सके हैं? मंदबुद्धि बच्चों का यह रोग जड़ से पूरी तरह उखाड़ने के लिए इसके लिए लक्षणों तथा सावधानियों को लोगों तक पूरी तरह पहुंचाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार इसके कुछ लक्ष्ण इस प्रकार बताए जाते हैं। जब आप अपने बच्चे में उसका नाम बोलने पर बच्चा कोई ध्यान न दे तो सचेत हो जाएं कि आपका बच्चा मंदबुद्धि वाला हो सकता है। फिर जब बच्चे में आपसी व्यवहार में अंतर देखते हैं तो यह बात भी कभी लापरवाही वाली नहीं हो सकती। जब आपका बच्चा किसी गम या खुशी की स्थिति में कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता तो विशेषज्ञों के अनुसार वह मंदबुद्धि वाला हो सकता है। जब आप यह व्यवहार बच्चे में देखते हैं कि बच्चा किसी के साथ आंख नहीं मिलाता, सारा समय कुछ दोहराता रहता है तो यह लक्षण मंदबुद्धि वाला हो सकता है। कुछ लोग यह बात आम कहते सुने जाते हैं कि बच्चे तो सारे नकल करते हैं, परन्तु इस बात को ध्यान से परखने की ज़रूरत होती है कि बच्चा अकेला तो नहीं, स्वयं को दोहराता। कहीं ज़रूरत से अधिक साधारण बच्चों से अधिक दोहराता, इस आदत को सहज रोकने की ज़रूरत होती है। विशेषज्ञों के अनुसार मंदबुद्धि वाला बच्चा कभी किसी के साथ किसी तरह का सम्पर्क नहीं बनाता। वह किसी को पहचानता ही नहीं। मंदबुद्धि वाले बच्चों के बारे में कई तरह की धाराएं जुड़ गई हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसकी कोई दवाई किसी डाक्टर के पास नहीं होती। इसका इलाज सिर्फ समाज के पास है। 
सावधानियां
विशेषज्ञों ने इनके बारे में कुछ सावधानियां प्रकट करते हुए यह कहा है कि उनके लिए एक शिक्षित फिजियोथैरेपिस्ट की खास ज़रूरत होती है। उनको कभी अकेले नहीं तोड़ना चाहिए। रात को नींद के लिए उनके लिए कम ऊंचाई वाली चारपाई का प्रबंध करना चाहिए। आज के दिन का यह सार्थक संदेश हो सकता है कि निरन्तर प्रशिक्षण से उनको जीवन की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। 

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