प्रदेश सरकार नरमे की फसल के प्रति नहीं दिखा रही उत्साह

शहणा, 19 अप्रैल (अ.स.) : पंजाब में खरीफ की फसलों में प्रमुख मानी जाती नरमे की फसल की बिजाई प्रति कृषि विभाग कुछ खास उत्साह नहीं दिखा रहा। जिससे नरमे की बिजाई से बड़े स्तर पर किसान मुंह मोड़ने उपरान्त सट्ठी मूंगी तथा मक्की की फसल को अहमियत देने लगे हैं। तीन साल पहले सफेद मक्खी द्वारा नरमे की फसल को तबाह किए जाने का जब प्रदेश स्तर पर शोर पड़ा तो उस समय की सरकार द्वारा कृषि विभाग को नरमा बैलट के 8 ज़िलों में इस फसल प्रति किसानों को उत्साहित करने के लिए खास हिदायतें कीं। अगले वर्ष 2019 में सरकार द्वारा नरमे की फसल प्रति किसानी वर्ग को उत्साहित करने के लिए 500 के करीब गांवों के नौजवान स्काऊट के तौर पर भर्ती किए। जिनके लिए वार्षिक 2 करोड़ का बजट सरकार द्वारा रखा गया था। उक्त स्काऊट गांवों में जाकर किसानों को नरमे की फसल के बीज, मिट्टी तथा अन्य कारणों बारे अवगत करवाते थे। 2 वर्ष इन स्काऊटों द्वारा सड़कों के इर्द-गिर्द उगी घास फूस तथा अन्य जड़ी बूटियों जिनके द्वारा सफेद मक्खी तथा मिलीबग की पैदावार होने का अंदेशा जताया जा रहा था, को नरेगा मज़दूरों से साफ करवाया जाता रहा। उक्त स्कीम तहत सड़कें ही नहीं, बल्कि रजबाहों, गांवों के संयुक्त स्थानों तथा कच्चे रास्तों से भी यह नदीन खत्म किए जाते रहे। इस बार सरकार द्वारा उक्त स्काऊट के लिए रखा 2 करोड़ का बजट खत्म कर दिया। जिससे उक्त नौजवानों का रोजगार भी चाहे खत्म हो गया, परन्तु नरमे की फसल प्रति किसानों को समय पर उत्साहित करने के अतिरिक्त सड़कों तथा रजबाहों के इर्द-गिर्द उगे नदीनों की सफाई नहीं करवाई गई। यहां तक कि नरमे की फसल के नए बीजों या झाड़ बारे किसानों को उत्साहित करने नहीं प्रदेश स्तरीय या ब्लाक स्तरीय कृषि विभाग द्वारा कोई कैंप नहीं लगाए गए। जिस कारण नरमे की फसल से लगातार घाटा सहन करते आ रहे किसान इस बार नरमे के बजाय अन्य फसलें बीजने को तवज्जो देने लगे हैं। किसी समय ग्रामीण दुकानदार भी नरमे के बीज के पैकेट धड़ल्ले से बेचते थे, परन्तु इस बार कस्बों तथा शहरों के थोक विक्रेता दुकानदारों ने नरमे का बीज बेचने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कुछ दुकानदारों ने बताया कि सफेद मक्खी के कारण सारा दोष दुकानदार के सिर आ जाता है, जबकि दुकानदार बंद पैकेट कंपनी से खरीदता है तथा बंद पैकेट ही बेचता है। नरमे का बीज हरा न होने पर एवं यहां तक कि झाड़ कम निकलने पर भी किसानों का गुस्सा दुकानदार पर निकलता है। जबकि कंपनी कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से साफ इंकार करती है। दुकानदारों ने यह भी कहा कि किसान गारंटी मांगता है, जबकि दुकानदार को नरमे के बीज बेचने पर वाजिब कमाई होती है तथा वह गारंटी नहीं दे सकता। जिसके लिए किसी परेशानी के पड़ने से बचने के लिए 90 प्रतिशत दुकानदार नरमे का बीज बेचने से कतराने लगे हैं। वर्णनीय है कि प्रदेश सरकार द्वारा साढ़े 4 लाख हैक्टेयर नरमे की फसल की बिजाई किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, परन्तु रिपोर्ट अनुसार इस बार 2 लाख हैक्टेयर से अधिक नरमे की बिजाई होनी किसी तरह भी संभव नहीं।