कैसा संसार होगा 2050 में ?

अगर हम भविष्य के गर्भ में पड़े समय की कल्पना करें तो दुनिया का हर इन्सान अपने आने वाले समय या वर्षों को संघर्षमुक्त और विकासशीलता के तौर पर देखता नज़र आता है। वैज्ञानिक और तकनीकी खोज धरती को एक केन्द्र से दूसरे केन्द्र के साथ मिलाने के लिए पूरी तरह कारगर सिद्ध हो रही है। लेकिन ध्यान से देखने पर पता चलता है कि पिछले 200 वर्षों से अब तक हम विकास की उस सीढ़ी पर चढ़े हैं, जिस कारण आज हमारी ज़िंदगी पिछले वर्षों से ज्यादा आरामदायक और सुखदय हो चुकी है। अगर हम आज भी मुश्किलों की तुलना पिछले समय से करें तो हमारे सामने आता है कि समय के विकास की गति के साथ-साथ पूरी दुनिया में तरक्की तो हुई लेकिन साथ-साथ हमारी धरती ने नुक्सान भी बहुत सहन किया है। विकास के कई पड़ावों में दुनिया की शुरुआत हुई। एक डंडे से दूसरे डंडे पर जाने के लिए बहुत जीवित प्रजातियों को लुप्त होना पड़ा और कई प्रजतियां विकास की हद पार करके और समय का विरोध करके आज के समय में जी रही हैं, जिनमें से एक मानव और आज के जीव-जन्तु हैं, क्योंकि विकास के लिए विरोध भी एक सिद्धांत का काम करता है।अगर आज हम वर्ष 2050 की कल्पना करें तो हम देखेंगे कि आज से 30-40 वर्ष के बाद का समय हमारे लिए क्या लेकर आयेगा? अधिकतर लोगों का उत्तर होगा कि वर्ष 2050 बहुत ही आधुनिक और सुरक्षित दुनिया की तस्वीर पेश करेगा या फिर आज से 50 वर्ष के बाद संसार के हालात बहुत ही भयानक रुख धारण कर गए होंगे। इसी सम्भावित खतरे को भांप कर आज से 50 वर्ष के बाद आने वाले खतरों के बारे में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने दुनिया को चेतावनी दे दी है, जिसमें उनकी ओर से तकनीक की हद पार करने पर प्राकृतिक नियमों का पूरी तरह उल्लंघन करने के कारण आगामी 50 वर्षों में दुनिया में हज़ारों ही नए खतरे पैदा हो जायेंगे ताकि सजीव जाति के लुप्त होने का कारण बनेंगे। अगर हम वर्ष 2050 की कल्पना करें तो हम उस समय में सम्भावित खतरों और लाभों को समानांतर चलते देखेंगे। सबसे पहले बात करते हैं कि वर्ष 2050 तक धरती की जनसंख्या पर क्या असर होगा? एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2050 तक पूरी दुनिया की आबादी कई गुणा और बढ़ जायेगी। आज चीन आबादी के पक्ष से संसार में पहले स्थान पर है, जिसकी आबादी आज तकरीबन 137.8 करोड़ है और भारत का दूसरा स्थान आता है, जिसकी आबादी 125 करोड़ से ज्यादा है। यह अनुमान है कि वर्ष 2050 में भारत आबादी के पक्ष से चीन को पछाड़ कर 170.8 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला विश्व का पहला देश बन जायेगा और पूरे विश्व की आबादी 1000 करोड़ के निकट पहुंच जायेगी। हम वर्ष 2050 के दशक में अलग तरह से जी रहे होंगे। तकनीक अपने शिखर पर होगी। हमारे पास आज से और ज्यादा बेहतर मोबाइल और कई नए अविष्कार किए साधन आ गए होंगे। फोन या इंटरनेट के लिए तारों का प्रयोग खत्म ही हो जायेगा क्योंकि तब तकनीक की सीमा पार करके सबके पास सीधे सैटेलाइट सम्पर्क वाले साधन होंगे जिसके द्वारा सैकिंडों के समय में ही लाइव किसी भी व्यक्ति का वीडियो देखा जा सकता होगा। हर इन्सान हर समय अपने हाथ में मोबाइल फोन रखा करेगा। लोग बाज़ारों की भीड़ से बचने के लिए ज्यादातर ऑनलाइन ही चीज़ों की खरीद करेंगे और कम्पनी की ओर से घर तक पहुंच यानि (होम डिलीवरी) कर दी जायेगी। भीड़ अधिक होने के कारण ट्रैफिक समस्या का प्रसार बढ़ेगा। पार्किंग के लिए जगह खत्म हो जायेगी। सड़कों की चौड़ाई कम होने के कारण हवाई कारों के प्रयोग पर अधिक ज़ोर होगा। कारों के टायर 360 डिग्री घूमने योग्य बन जायेंगे ताकि पार्किंग आसान हो सके। टैक्नालॉजी बढ़ने के कारण 50 फीसदी नौकरियां खत्म हो जायेंगी। इन्सानों के विकल्प में बढ़िय कारगुज़ारी और ईमानदारी के लिए रोबोट का प्रयोग शुरू हो जायेगा। विषेषज्ञों के अनुसार शहरीकरण इतना बढ़ जायेगा कि शहरों में 30 गुणा भीड़ बढ़ जायेगी। कैंसर जैसी कई और बीमारियों को खत्म कर दिया जायेगा, जिससे मृत्यु की दर कम होगी। लोगों को नई तरह की बीमारियां होंगी क्योंकि तब तक पर्यावरण इतना खराब हो जायेगा कि ओज़ोन परत में बड़े छेद होने के अनुमान हैं। ताज़ी हवा मिलनी कम होगी क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग पर्यावरण पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालेगी। धूप और गर्मी दिन-प्रतिदिन बढ़ जायेगी जिस कारण ग्लेशियरों का काफी बड़ा हिस्सा पिघल जायेगा और समुद्री तल इतना बढ़ जायेगा कि कई बड़े टापू पानी में लुप्त हो जायेंगे और भयानक बाढ़ के कारण दुनिया का अब से ज्यादा नुक्सान होने की सम्भावनाएं हैं। हवाई जहाजों और कारों की गति और तेज़ हो जायेगी। हवाई जहाज और बड़े हो जायेंगे और ज्यादा आरामदायक होंगे। दुनिया में मौत को मात देने वाले हथियार बन जायेंगे साथ ही अन्य ऐसे खतरनाक बम, बारूद आ जायेंगे जोकि एक सैकेंड में दुनिया खत्म कर सकते हैं। अब जब दूसरे ग्रहों से आने वाली उड़न तश्तरियां हमारे लिए पहेली हैं, उनका काफी राज खुल जायेगा। शहरीकरण होने के कारण जंगलों का 90 फीसदी हिस्सा काटा जा चुका होगा और जंगली जीव के भोजन और रहने वाले स्थान न होने के कारण लुप्त होने शुरू हो जायेंगे। 
(क्रमश:)