कैसा संसार होगा 2050 में ?

टैक्नालॉजी की हद पार तब होगी जब बच्चों के खिलौने जोकि आज निर्जीव हैं, वह भी बोल, सुन और समझा करेंगे। इसी प्रकार माता-पिता और बच्चों में सम्पर्क कम होगा। ऐसे तरीके मनुष्य की ओर से अस्तित्व में लाए जा चुके होंगे, जिससे बनावटी बादल बनाकर मनचाही जगह पर बारिश करवाई जा सकेगी। ब्रह्मांड में हम ब्लैक होल और कई बड़े रहस्यों से पर्दा उठाने में कामयाब हो चुके होंगे। चांद और मांगल के साथ-साथ कई और नज़दीकी ग्रहों पर जाने के रास्ते खुल जायेंगे। हथियारों की दौड़ आज से कई गुणा बढ़ जायेगी। हर देश के पास अपने-अपने दर्जनों परमाणु हथियार मौजूद होंगे। पानी जो आज मुफ्त की सौगात है मूल्य बिकना शुरू हो जायेगा। धरती का निचला पानी लगभग नाममात्र ही रह जायेगा। गर्मी बढ़ने के कारण पानी की कमी और भोजन की कमी से अकाल पड़ने जैसे हालात पैदा होने आम हो जायेगा। प्राकृतिक खाने वाली वस्तुओं की कमी को पूरा करने के लिए हर फल और हर खाने योग्य वस्तुओं के लिए और ज्यादा घातक कैमिकलों का प्रयोग होना शुरू हो जायेगा। कम्प्यूटरीकरण बढ़ने के कारण साइबर क्राइम का दौर बढ़ जायेगा। मौसम में इतनी तबदीली आ जायेगी कि ऋतुओं का समय बदल जायेगा। किसी भी समय बारिश हुआ करेगी साथ ही धूप निकल आया करेगी। मौसम की जानकारी के लिए पहले की जाने वाली भविष्यवाणी खत्म हो जायेगी। हर रोज़ नई चीज़ों की खोच होना रोज़ाना की बात हो जायेंगी। अगर हम आज रिश्ते बचाने में कामयाब हैं, यह कामयाबी भी कम होती चली जायेगी। रिश्ते सिर्फ खून तक ही सीमित रह जायेंगे। दुनिया में इन्डोर खेल इतने बढ़ जायेंगे कि बाहरी खेल बीते समय की बात हो कर रह जायेंगे। कागज़ का प्रयोग बहुत कम हो जायेगा। सब कुछ डिज़ीटल हो जायेगा। यह भी सम्भव है कि आने वाले 50 वर्षों तक ऐसी चिप बाज़ारों में आ जायेंगी जिससे मनुष्य अपने दिमाग का अतिरिक्त डाटा कम्प्यूटर की तरह संभाल कर चिप में डालकर रख सकेगा। 99 प्रतिशत काम ऑनलाइन हो जायेंगे। वैज्ञानिकों की ओर से ब्रह्मांड के लिए लाए गए अनुमान धीरे-धीरे हकीकत का रूप धारण करने में कामयाब हो जायेंगे। इसके अलावा अन्य भी कई फायदे और नुक्सान हैं जोकि हमें आने वाले समय में ही पता चल सकते हैं। अगर तकनीक के फायदे से नुक्सान भी है तो फिर हम अपनी धरती का भविष्य सुनहरी करने के लिए क्या कर सकते हैं? एक आम और छोटा-सा हल यह है कि तकनीक तो प्रतिदिन बढ़ रही है लेकिन अब यह सिर्फ हमारे हाथ में है कि हम कैसी टैक्नालॉजी बनाएं या प्रयोग करें, जिससे हमारा भी नुक्सान न हो और हमारी धरती को अन्य ग्रहों की तरह लुप्त होने से बचाया जा सके। जो भी तकनीक आज हमारी धरती के लिए नुक्सानदेह सिद्ध हो रही है, हमें उससे शिक्षा लेने की ज़रूरत है ताकि जो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बचा सकें और मानव जाति को लुप्त होने से बचा सकें। आज हमें सोचने के साथ-साथ कदम उठाने की भी ज़रूरत है कि हम कैसे अपने वातावरण, जानवरों, जंगलों और मानवीय अस्तित्व को बचाना है। हमें इस मामले के प्रति गम्भीरता से सोचने की बहुत ज़रूरत है क्योंकि आज सुख-सुविधाएं हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं, जिनसे दूर होने का मनुष्य अनुमान भी नहीं लगा सकता। सोचने की ज़रूरत है कि अगर आने वाले समय में मानव ही नहीं होगा तो हम ऐसी तकनीकें पैदा करके क्या करेंगे जो मानवीय अस्तित्व को ही अलोप करने में लगी हुई हैं।