बठिंडा व फिरोज़पुर सीट से कांग्रेसी दुविधा में

जालन्धर, 27 मार्च (मेजर सिंह): बादल परिवार के दिग्गज नेताओं द्वारा बठिंडा व फिरोज़पुर लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतरने संकेतों ने कांग्रेस नेतृत्व को दुविधा में डाल दिया है। पता चला है कि प्रतिष्ठा का सवाल बन गए इन क्षेत्रों के लिए कांग्रेस ने भी मुकाबले में उतारने के लिए कद्दावर नेताओं की तलाश शुरू कर दी है। अकाली दल के क्षेत्रों के मुताबिक बठिंडा से केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल व फिरोज़पुर से पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल चुनाव लड़ेंगे और यह भी बताया जाता है कि दोनों क्षेत्रों में पार्टी द्वारा चुनाव गतिविधियां आरम्भ कर दी गई हैं। पता चला है कि अकाली दल की उच्च लीडरशिप ने खुद चुनाव मैदान में उतरने का मन बनाकर पंजाब में इन चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने की उम्मीद रखे हुए कांग्रेसी लीडरशिप को न केवल चकाचौंध कर दिया है बल्कि बड़ी चुनौती भी पेश कर दी है। पता चला है कि इस बात की चर्चा चंडीगढ़ व दिल्ली के कांग्रेसी क्षेत्रों में खूब चलती रही। पंजाब के 13 लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवारों बारे विचार-विमर्श व केन्द्रीय चुनाव कमेटी को न भेजने बारे स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक दिल्ली में 28 मार्च को होगी। बैठक में पार्टी के महासचिव के.सी. पंजाब प्रभारी आशा कुमारी, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह व प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ भाग लेंगे। पता चला है कि गुरदासपुर ज़िले का उप चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ पर भी इस क्षेत्र से उम्मीदवार बनने का दबाव बन रहा है। वह 2014 के चुनावों में फिरोज़पुर से कांग्रेस उम्मीदवार थे और अकाली दल के शेर सिंह घुबाया से हार गए थे। वैसे खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी व अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए शेर सिंह घुबाया भी उम्मीदवारी की कतार में शामिल बताए जाते हैं। बठिंडा क्षेत्र में उम्मीदवार बनने के इच्छुक स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा के सुपुत्र व यूथ कांग्रेस के महासचिव मोहित महिन्द्रा क्षेत्र के कद्दावर नेता समझे जा रहे हैं। यहां से पिछली बार हरसिमरत का मुकाबला करने वाले वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल इस बार चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहे, परंतु पार्टी द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में उनका नाम ही सबसे आगे आया है। कोई अन्य कद्दावर नेता न मिलने के कारण पार्टी मनप्रीत सिंह बादल को भी यहां से लड़ने के लिए तैयार कर सकती है परंतु बताया जाता है कि अकाली लीडरशिप द्वारा  खेली इस खेल ने कांग्रेस की शतरंजी खेल को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है।