राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समन्वय बैठक के संदेश

केरल के पलक्कड़ में 31 अगस्त से 2 सितम्बर तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक से निकले संदेश कई अर्थों में महत्वपूर्ण हैं। संघ की अखिल भारतीय बैठकों पर भारत में रुचि रखने वाले विदेश की भी दृष्टि रहती है। इस समय भारत के भीतर और पड़ोस में कुछ ऐसी गतिविधियां हो रही हैं जिनके संदर्भ में बहुत बड़ी संख्या में सक्रिय और आम लोग भी जानने को उत्सुक हैं कि इन पर संघ का मंतव्य क्या है और वह क्या कर रहा है। विरोधियों और राजनीतिक दृष्टि से सोचने वालों को छोड़ दीजिए तो संघ पर निष्पक्ष अध्ययन करने वाले मानते हैं कि जो भी निर्णय या भविष्य के कार्यक्रमों की रूपरेखा बनती है, वह सभी संबंधित संगठनों के लिए होती है और सभी उसी तरह काम करते हैं जैसे परिवार के सदस्य। पिछले कुछ महीने में भाजपा और संघ के संबंधों पर कई ऐसे संकेत और वक्तव्य आए जिनसे लगता था कि परस्पर संवाद, सहयोग या समन्वय की कमी है। इनमें भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का वह बयान अभी तक चर्चा में है कि भाजपा उस दौर से काफी आगे बढ़ चुकी है जब उसे संघ की आवश्यकता थी और अब वह अपना कार्य स्वयं संभालने में सक्षम है। 
लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और उनके समर्थकों के उम्मीद के अनुरूप नहीं रहने के कारण भी अनेक अटकलें और टिप्पणियां सामने आ रही थीं। राजनीति और सत्ता की ताकत सबसे बड़ी दिखती है इसलिए सामान्य मानस प्रत्येक विषय को इसी के इर्द-गिर्द देखता है। हालांकि सच यही है कि संघ से जुड़े या उसकी प्रेरणा से काम करने वाले अन्य संगठनों की तरह राजनीति में भाजपा भी एक है। सत्ता के पास सर्वाधिक निर्णयकारी शक्तियां हैं, इसलिए उसके महत्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। आप देखेंगे कि वहां जे.पी. नड्डा और संगठन मंत्री बी. एल. संतोष की उपस्थिति मीडिया में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रही। बैठक के आरंभ और अंत में जानकारी देने वाले अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के वक्तव्यों में अपनी ओर से भाजपा पर कुछ न कहना बताता है कि भाजपा पर विशेष फोकस नहीं था। प्रश्न है कि समन्वय बैठक में हुए विमर्शों, भाषणों या वक्तव्यों तथा निर्णयों को किस रूप में देखा जाए?
पलक्कड़ में 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधि उपस्थित थे जिनमें 90 अखिल भारतीय स्तर के पदाधिकारी थे। उनमें संघ के शीर्ष नेतृत्व और भाजपा के दोनों नेताओं के अलावा शायद ही हम आज किसी का नाम जानते हों। 
संघ अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष 2026 की ओर बढ़ रहा है और इस दृष्टि से कुछ कार्यक्रम तय किये गये। इनमें पांच संकल्प प्रमुख हैं, जिनके आधार पर संघ राष्ट्रव्यापी सामाजिक परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ने की घोषणा कर चुका है। ये हैं—सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन यानी परिवार व्यवस्था को मजबूत करना, पर्यावरण संरक्षण, राष्ट्रीय स्वत्व और नागरिक कर्त्तव्य यानी जीवन के हर क्षेत्र में स्व-भाव के साथ आगे बढ़ना।  संघ पिछले अनेक वर्षों से सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे लाने, उन्हें स्वावलम्बी बनाने तथा उनकी भागीदारी बढ़ाते हुए सामाजिक एकता और परिवर्तन पर काम कर रहा है। पिछली समन्वय बैठक में महिलाओं के लक्षित सम्मेलन निर्धारित हुए थे और प्राप्त विवरण के अनुसार सभी राज्यों के ज़िला केन्द्रों पर कुल 472 महिला सम्मेलन हुए जिनमें 6 लाख की भागीदारी हुई। परिवार को सशक्त करते हुए भारत के सामाजिक आधार को मज़बूत करना है तो महिलाओं के भीतर चेतना, आत्म-विश्वास तथा उन्हें अधिकाधिक आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना होगा। इस दृष्टि से संघ सामाजिक परिवर्तन लक्ष्य को आगे बढ़ा रहा है। 
अहिल्याबाई की त्रिशताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की चर्चा और जनजाति महारानी रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती को व्यापक रूप से मनाने का निर्णय हुआ जिसकी पहल वनवासी कल्याण आश्रम करेगा। जरा सोचिए, दिन-रात दलितों, आदिवासियों की बात करने वाले संगठनों, राजनीतिक दलों और नेताओं ने कभी अहिल्याबाई या रानी दुर्गावती के बारे में चर्चा भी की? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र और भाजपा की राज्य सरकारों ने पिछले वर्षों में जनजातियों के बीच के राजाओं, महापुरुषों, महारानियों तथा वीरांगनाओं या समाज में योगदान देने वाली महिलाओं-पुरुषों को जिस तरह महिमामंडित कर उनको आगे लाया है, वह पहले नहीं देखा गया। गहराई से देखेंगे तो यह लम्बे समय से संघ की विचारधारा से मिली प्रेरणा और काम करने वाले संगठनों के समन्वय की ही परिणति है। 
महिलाओं और बच्चियों के विरुद्ध यौन दुराचार पर सभी प्रतिनिधियों द्वारा त्वरित और समयबद्ध न्याय की आवश्यकता पर आम सहमति थी और कहा गया कि कानूनी तंत्र और सरकार को सजग और सक्रिय रहने के साथ कानूनी ढांचे को मज़बूत करना चाहिए। संघ के विचार में परिवार स्तर पर शिक्षण के द्वारा जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित करना, महिलाओं के बीच आत्मरक्षा कार्यक्रम चलाना ही महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएगा। उम्मीद करनी चाहिए कि समन्वय बैठक से इस दिशा में अवश्य एक निश्चित कार्यक्रम एवं सरकारों के लिए सुझाव आए होंगे जिन पर क्रियान्वयन होगा। 

-मो .98110-27208

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