लैंड पूलिंग नीति पर उठा विवाद
पंजाब सरकार द्वारा इस वर्ष 19 जून को ‘लैंड पूलिंग’ नीति संबंधी जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है, उससे प्रदेश भर में बड़ा विवाद पैदा हुआ नज़र आता है। किसान संगठनों के अलावा राजनीतिक पार्टियों और अन्य अलग-अलग वर्गों द्वारा इस संबंधी उठाए जाते सवालों के बाद सरकार ने ही कम-से-कम तीन बार इसमें कई तरह के बदलाव करने का ऐलान किया है। अब तक के मिले आंकड़ों के अनुसार पंजाब के अलग-अलग ज़िलों में किसानों से ज़मीनें लेने संबंधी नोटिफिकेशन जारी किए गये हैं। जिस किसान की भी जितनी ज़मीन नोटिफिकेशन अधीन दर्ज की गई, उसके लिए अपनी ज़मीन संबंधी अनिश्चितता वाली स्थिति पैदा हो गई है। चाहे सरकार यह बयान ज़रूर दे रही है कि किसी भी किसान से उसकी मज़र्ी के बिना ज़मीन नहीं ली जाएगी, परन्तु नोटिफिकेशन से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने इसमें दर्ज ज़मीनें लेने पर अपना अधिकार जता दिया है। यदि लिखित रूप में यह बात दर्ज हो गई है तो किसान की मज़र्ी या इच्छा का कोई सवाल पैदा नहीं होता। सरकार द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारियों को हिदायतें जारी की जा रही हैं कि लैंड पूलिंग नीति अधीन आने वाली ज़मीन पर किसानों को कृषि के अलावा अन्य कोई भी काम न करने दिया जाए।
ऐसा बड़ा कदम उठाने से पहले सरकार द्वारा पहले किया गया कोई गम्भीर सर्वेक्षण भी सामने नहीं आया, न ही इस बात का अध्ययन किया गया लगता है कि इतनी बड़ी मात्रा में ली जीने वाली ज़मीन की मांग कितने वर्गों या लोगों से प्राप्त हुई है। इससे यह भी भाव लिया जा सकता है कि सरकार सौदा करके ही उक्त ज़मीन बड़े बिल्डरों या कम्पनियों को इसके विकास करने और इस पर निर्माण करने के लिए दे देगी, जबकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को घरों की ज़रूरत लम्बे समय तक पड़ने की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिर यह उपजाऊ भूमि को बड़ी मात्रा में लेने के क्या उद्देश्य है, इस संबंधी भी अनेक सवाल उठ रहे हैं और सरकार की मंशा पर भी उंगलियां उठाई जा रही हैं। ऐसा फैसला करने से पहले सरकार ने इस संबंधी किसानों के साथ, अन्य संगठनों तथा अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ किस स्तर पर विचार-विमर्श किया है, इस स्तर पर कोई विचार-विमर्श किया नहीं प्रतीत होता, जबकि योजना के शुरुआती चरणों में ही ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए थे। इस योजना के तहत अनिश्चित भविष्य के दृष्टिगत किसान और विशेषकर छोटा किसान अपनी ज़मीन देने के लिए क्यों तैयार होगा? एक कारण यह भी है कि आज बहुसंख्यक किसानों की ज़मीनें तो पहले ही टुकड़ों में रह गई हैं। चाहे अभी तक भी सरकार अपने फैसले पर अडिग प्रतीत होती है, परन्तु इस नीति की अनिश्चितता को देखते हुए किसान अपनी ज़मीनें देने के लिए इंकार करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
सरकार से संबंधित मंत्री तथा आम आदमी पार्टी के अन्य प्रतिनिधि इस योजना के पक्ष में कई तरह की दलीलें अवश्य दे रहे हैं, परन्तु अभी तक ये दलीलें बड़ी संख्या में किसानों को प्रभावित नहीं कर सकीं। इसके बजाय बहुत-से स्थानों पर इसके विरोध में व्यापक स्तर पर आवाज़ें उठनी शुरू हो गई हैं। इसी क्रम में ही आम आदमी पार्टी के आनंदपुर साहिब से निर्वाचित सांसद तथा पार्टी के प्रवक्ता मलविन्दर सिंह कंग ने पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल तथा मुख्यमंत्री भगवंत मान को सलाह दी है कि लैंड पूलिंग की इस नीति पर किसानों तथा किसान संगठनों को विश्वास में लेकर ही आगे बढ़ना चाहिए। पंजाब में आम आदमी पार्टी की कतारों में भी इस मामले को लेकर बड़ी दुविधा पैदा हो रही हैं। बन रहे समूचे दृश्य को देखते हुए पंजाब सरकार को इस संबंध में एक बार फिर से गम्भीरता से सोचने की ज़रूरत होगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द