भारतीय क्रिकेट टीम की पाकिस्तान पर शानदार जीत
संयुक्त अरब अमीरात अर्थात यू.ए.ई. के इंटरनैशनल क्रिकेट स्टेडियम, दुबई में अत्यधिक उत्तेजना और तनावपूर्ण माहौल में खेले गए एशिया क्रिकेट कप के फाईनल मैच में भारत ने अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को पांच विकेट से हरा कर न सिर्फ क्रिकेट मैदान में भी उसका मान-मर्दन किया, अपितु क्रिकेट के इतिहास पटल पर कई नई इबारतें भी लिखीं। इनमें से एक बड़ी इबारत यह रही कि दुबई की अरब धरती पर भारत ने विश्व क्रिकेट इतिहास में पहली बार किसी एक विश्व सीरीज़ में पाकिस्तान को निरन्तर तीन बार हरा कर, तीनों मैच प्रत्येक मोर्चे पर उसे पिछली कतार में धकेल कर जीते। पहला मैच भारत ने बड़े शानदार तरीके से लीग आधार पर जीता। फिर सुपर चार में भी भारतीय क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया, और फिर संयोग से दोनों बड़ी टीमें फाईनल में भी जब आमने-सामने हुईं, तो भारत ने इस अति नाज़ुक और कटुतापूर्ण होते गये माहौल में भी, कई उतार-चढ़ाव के बाद, पाकिस्तान को हरा दिया। इस मैच के आखिरी ओवर की दूसरी गेंद पर तिलक वर्मा ने छक्का जड़ा, तो चौथी गेंद पर रिंकू सिंह के चौके से भारत ने मैच को पाकिस्तानी टीम से छीन लिया। इस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने 9वीं बार एशिया क्रिकेट कप जीता तथा यह चौथी बार है जब भारत ने बिना कोई मैच गंवाये कोई पूरी सीरीज़ जीती है।
इस मैच में भारतीय टीम की एक बड़ी उपलब्धि इसके गेंदबाज़ों का अति शानदार प्रदर्शन रहा। दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम में मध्य क्रम के बल्लेबाज़ तिलक वर्मा ने 53 गेंदों पर 69 दौड़ें बना कर देश के हाथों से दूर सरकते विजय पथ को एक बारगी अपने पास खींच लिया। नि:संदेह यह जीत भारतीय क्रिकेट टीम के सामूहिक और संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। भारतीय टीम ने गेंदबाज़ी, बल्लेबाज़ी और क्षेत्र-रक्षण आदि सभी धरातलों पर पाकिस्तान को पछाड़ा। भारतीय खिलाड़ियों ने क्षेत्र-रक्षण के धरातल पर न केवल बड़ी श्रेष्ठता से कैच लपके, अपितु बाऊंड्री पर चुस्ती से अनेक रनों को रोका भी। गेंदबाज़ी के धरातल पर स्पिनर कुलदीप यादव ने चार बड़े खतरनाक होते पाकिस्तानी बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया, जबकि जसप्रीत बुमराह, वरुण चक्रवर्ती और अक्षर पटेल ने दो-दो विकेट लेकर पाकिस्तान की बड़ा स्कोर बनाने की इच्छाओं को रौंद कर रख दिया। इस स्थिति को इस प्रकार समझा जा सकता है कि एक अवसर पर 12वें ओवर में जब पाकिस्तान का स्कोर एक विकेट पर 113 रनों पर सरपट भागते दिखाई देने लगा था, तभी कुलदीप यादव की फिरकी का जादू चला, और पाकिस्तान की पूरी टीम केवल 33 और रनों को अपने स्कोर में जोड़ कर कुल 146 पर ऑल आऊट हो गई।
एशिया कप के इस फाईनल मैच में शुरू से अंतिम गेंद तक तनाव बना रहा और कई अवसरों पर दोनों टीमों के खिलाड़ी आमने-सामने भी हुए। अपनी पराजय को सामने देख कर पाकिस्तान के कई खिलाड़ियों और दर्शकों ने कई मौकों पर अशिष्ट और असभ्य इशारे भी किये, किन्तु अम्पायरों की कुशलता से स्थिति प्राय: नियंत्रण में रही। इसके लिए एक ओर जहां दोनों देशों के बीच क्रिकेट की चिर-प्रतिद्वंद्विता आड़े आती रही, वहीं दोनों देशों के बीच पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत की ओर से शुरू किये गए ऑपरेशन सिंदूर का भयावह साया भी दोनों देशों के बीच खेले गए तीनों मैचों पर पूरी तरह से बना रहा। इस सीरीज़ के दौरान दोनों देशों के बीच खेले गए मैचों में छाये खौफ का ही यह परिणाम रहा कि भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने न तो तीनों जीत के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ पारम्परिक एवं औपचारिक हाथ मिलाया और न ही विजयी ट्राफी देने आए पाकिस्तान के मंत्री और एशियाई क्रिकेट के अध्यक्ष मोहसिन ऩकवी के हाथों से ट्राफी ग्रहण की।
भारतीय जीत में एक ओर पाकिस्तानी खिलाड़ियों की उत्तेजना तथा दूसरी ओर भारतीय खिलाड़ियों एवं उनके अधिकारियों का शांत-चित्त बने रहना भी बड़ा सहायक रहा। एक अवसर पर जब भारत के तीन बड़े विकेट मात्र 20 रनों पर गिर चुके थे, तब तिलक वर्मा की संयमित पारी और संजू सैमसन व शिवम दुबे द्वारा दिये गये बहुमूल्य सहयोग ने ही भारत को विजयी गगन तक पहुंचाया। भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के अनेक वर्गों ने बेशक भारत-पाकिस्तान के बीच निपटी पूरी स्पर्धा को ऑपरेशन सिंदूर 2-0 के तहत लिया हो, किन्तु तिलक वर्मा की साहसिक और शानदार पारी के दृष्टिगत इसे ऑपरेशन तिलक वर्मा कहें तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर से दी गई बधाई ने इस जीत की गरिमा को बढ़ाया है। वास्तव में ही, देश की पूरी टीम इस गरिमापूर्ण बधाई की हकदार है। भारतीय क्रिकेट टीम और सम्पूर्ण राष्ट्र के क्रिकेट प्रशंसकों द्वारा मनाई जा रही खुशी में हम पूरी तरह से शरीक हैं।