दिल्ली भाजपा के नेता विजय कुमार मल्होत्रा को स्मरण करते
आज पूरे भारत में भाजपा का डंका बज रहा है। तीसरी बार नरेन्द्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। कई राज्यों में बहुत समय से इस पार्टी के मुख्यमंत्री बने हुए हैं, परन्तु इतिहास में यह लिखा जाएगा कि इस पार्टी का किसी प्रदेश में पहली बार जो मुख्यमंत्री बना था, वह श्री विजय कुमार मल्होत्रा थे। तब इस पार्टी को जनसंघ कहते थे और 1967 के चुनावों में दिल्ली में इस पार्टी के प्रसिद्ध नेता ने पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी मैट्रोपुलिटन कौंसिल के चेयरमैन का पद जीता था। दिल्ली में उस समय इस पद को मुख्यमंत्री ही माना जाता था। पांच वर्ष मल्होत्रा जी ने एक अच्छे प्रशासक के तौर पर दिल्ली की सेवा की। मैं इनकी सबसे बड़ी देन पंजाबी बोली को दिल्ली में लागू करना मानता हूं।
दिल्ली 1947 के बाद पंजाबियों का शहर बन गया था और यहां हर कोई पंजाबी ही बोलता था। मल्होत्रा जी ने पार्टीबाज़ी से ऊपर उठ कर दिल्ली की काया पलट दी। रेलवे लाइनों पर ओवर ब्रिज बनवाए गये। मल्होत्रा जी ने 1972 में तीरंदाज़ी खेल की शुरुआत की। मुझे याद है कि उस समय पहली बैठक में मैं भी शामिल था जब मल्होत्रा जी को आर्चरी एसोसिएशन का प्रधान चुना गया और मैं उसका उप-प्रधान बना था। 1972 में मल्होत्रा जी ईरान में हुई एशियाई खेलों में भारतीय टीम का प्रधान चुने गये थे। 1978 में एडमेंटन कनाडा में हुई राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारतीय टीम के प्रधान थे। दोनों बार मैं इनका डिप्टी लीडर था। मल्होत्रा जी खेलों में तब प्रसिद्ध हुए जब उनको 1982 में दिल्ली में होने वाली एशियाई खेलों का चेयरमैन बनाया गया था। वह इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन के लगातार उप-प्रधान रहे और 2010 में श्री सुरेश कलमाडी के बाद यह प्रधान बन गये और लंदन ओलम्पिक खेलों में अध्यक्षता की थी। श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इनको ऑल इंडिया स्पोर्ट्स कौंसिल का चेयरमैन बना दिया था। 1984 में दिल्ली में हुए सिखों के कत्लेआम के समय मल्होत्रा जी पीड़ितों के लिए हर स्थान पर पहुंचे थे और गाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर लोगों को बचाया था।
मल्होत्रा जी पांच बार सांसद चुने गये और दो बार दिल्ली के एम.एल.ए. भी बने थे। 2004 में उन्होंने डा. मनमोहन सिंह को हरा कर नई दिल्ली की सीट जीती थी। दिल्ली भाजपा के वह प्रधान रहे। मदन लाल खुराना, केदारनाथ साहनी, सुषमा स्वराज, साहिब सिंह वर्मा इनके साथी थे। मल्होत्रा जी कुछ देर से बीमार थे और 30 सितम्बर 2025 को दिल्ली में उनका देहांत हो गया। उनका संस्कार 1 अक्तूबर को दोपहर को लोधी रोड श्मशान घाट में होगा। श्री नरेन्द्र मोदी जी और सभी प्रसिद्ध नेता उनके निवास स्थान पर श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे।
-पूर्व सांसद