सख्त अन्तर्राष्ट्रीय यत्नों की ज़रूरत
विगत दिवस संयुक्त राष्ट्र की जनरल असैम्बली के सत्र को इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सम्बोधित किया था। इस भाषण का ज्यादातर देशों द्वारा बहिष्कार किया गया था। हॉल की अधिकतर कुर्सियां खाली थीं। इससे यह बात स्पष्ट दिखाई देती थी कि इज़रायल अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अकेला दिखाई देने लगा है। आज विश्व के ज्यादातर देश यह चाहते हैं कि इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच जारी भयावह युद्ध खत्म हो और फिलिस्तीन को अलग राज्य का दर्जा दिया जाए। इज़रायल के अस्तित्व को 75 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव के बाद 1948 में यह देश बना था। इस यहूदी राज से अरब देशों की धरती पर एक और देश अस्तित्व में आ गया था। उस समय ज्यादातर अरब देशों ने इज़रायल के अस्तित्व को मानने से इन्कार कर दिया था। वहां से निकाले गए अलग-अलग देशों में फैले फिलिस्तीनियों ने भी इज़रायल के विरुद्ध अपना जेहाद जारी रखा था। इस संबंध में अरब देशों के साथ कई युद्ध भी हुए। इज़रायल ने जीत प्राप्त करके और भी अरब क्षेत्र अपने देश में शामिल कर लिए, परन्तु यह मामला स्थाई रूप से हल न हो सका। पश्चिमी बैंक और गाज़ा पट्टी में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी बसे हुए हैं, परन्तु इज़रायल के साथ उनका टकराव लगातार बना रहा। ईरान और कुछ अन्य अरब देश इज़रायल के विरुद्ध संघर्ष कर रहे संगठनों को लगातार सहायता देते आ रहे हैं। इनमें से एक इज़रायल विरोधी संगठन हमास ने पिछले 10 वर्ष से गाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा करके वहां अपनी सत्ता स्थापित की हुई है, हमास लगातार पड़ोसी इज़रायल के लिए ़खतरा बना हुआ है। हमास ने अक्तूबर 2023 को इज़रायल में अपने गुरिल्ले भेज कर लगभग 1200 लोगों की हत्या कर दी थी और वहां लगभग 250 व्यक्तियों को बंधक बना कर वे गाज़ा पट्टी में ले गए थे। इसके बाद इज़रायल ने गाज़ा पट्टी पर हमला कर दिया था। पिछले 2 वर्षों में इज़रायल ने कुछ बंधकों को रिहा करवा लिया है परन्तु शेष में से ज्यादातर मारे जा चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार लगभग 20 बंधक ही बचे हुए हैं, जिन्हें हमास ने रिहा करने से इन्कार किया हुआ है। इज़रायल ने बमबारी करके और टैंक भेज कर व्यापक स्तर पर गाज़ा में तबाही मचा दी है। अभी भी उसने गाज़ा पट्टी को घेरे में लिया हुआ है।
इस युद्ध में अब तक 66000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। इस नाकाबंदी में आम फिलिस्तीनी बुरी तरह फंस चुके हैं। वहां गाज़ा पट्टी में भुखमरी पैदा हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र ने इस संबंध में स्पष्ट ब्यान भी दिए हैं। तबाह हुए इस क्षेत्र में अभी भी हमास के गुरिल्ले इज़रायली सेना का मुकाबला कर रहे हैं, जबकि इस लड़ाई में लगातार आम लोग मारे जा रहे हैं। इस संबंध में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए बड़े यत्न भी सफल नहीं हो सके। अब जबकि ज्यादातर देश इज़रायल द्वारा किए जा रहे इस मानवीय हनन की आलोचना कर रहे हैं फिर भी इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने यह कहा है कि वह किसी भी स्थिति में हमास को गाज़ा पट्टी में नहीं रहने देंगे। जैसे-जैसे हमास अपनी ज़िद्द पूरी करने का यत्न कर रहा है, वैसे-वैसे ही इज़रायल के बढ़ते हमलों में भारी संख्या में आम लोग मारे जा रहे हैं।
विगत दिवस इज़रायल ने फिलिस्तीनियों को गाज़ा शहर खाली करने की धमकी दी थी ताकि वहां पर कब्ज़ा करके हमास को खत्म किया जा सके। उसके बाद लाखों ही लोग वहां से निकल गए परन्तु लाखों ही अभी गाज़ा शहर में हैं, क्योंकि यहां से निकल कर वे पूरी तरह लावारिस और बेघर हो जाएंगे। उनके लिए ‘आगे कुआं और पीछे खाई’ वाली स्थिति बनी हुई है। विगत दिवस नेतन्याहू और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुई भेंट के बाद भी कोई स्पष्ट रास्ता निकलता दिखाई नहीं देता। आज जटिल हुए इस मामले का हल निकाला जाना बेहद ज़रूरी है। संयुक्त राष्ट्र को इसमें पहल करते हुए बड़े देशों की साझी राय से इज़रायल को इस युद्ध को खत्म करने के लिए विवश करना चाहिए, ताकि इस मानवीय हनन को हर स्थिति में रोका जा सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द