पाक नशा उत्पादन व तस्करी का बना विश्व का बड़ा केन्द्र

अमृतसर, 2 जून (सुरिन्द्र कोछड़): अफगानिस्तान के बाद पाकिस्तान नशा उत्पादक और नशों की तस्करी का विश्व का एक बड़ा केन्द्र बन चुका है। तस्करी के साथ-साथ पाक के प्रदेश बलोचिस्तान के कुछ क्षेत्रों सहित खैबर पखतूनखवा के लंडी कोतल आदि क्षेत्रों में भी अफीम की काश्त की जा रही है। पता लगा है कि इन क्षेत्रों में मदरसों में पढ़ने वाले छोटी आयु के बच्चों से यह कृषि कराई जाती है, ताकि पकड़े जाने पर असल काश्तकार विरुद्ध कोई कार्रवाई न हो। हालांकि पाक में नशा रोकू एंटी-एजैंसी, एंटी नारकोटिक्स फोर्स (ए.एन.एफ.) आदि केन्द्रीय व प्रादेशिक एजैंसियां नशों बारे वार्षिक आंकड़े एकत्रित करती हैं, परन्तु इनके आंकड़े किसी ओर भी हकीकत से मेल नहीं खाते। सीमा पार के सूत्रों की मानिए तो अफगास्तिन में पैदा होने वाली अफीम की बहुत सी काश्त दक्षिणी प्रांत कंधार व हेलमंद में की जाती है और बलोचिस्तान द्वारा पाक के संघीय प्रशासकीय कबायली क्षेत्र (फाटा), जोकि अब पाक के प्रदेश खैबर पखतूनखवा का हिस्सा है, में दाखिल होती है। राजनीतिक प्रशासन और कानून लागू करने वाली एजैंसियां (एल.ई.ए.) के पीछे हटने के बाद खैबर पखतूनखवा में तस्करी पिछले दशकों के दौरान तेज़ हो गई है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान से बलोचिस्तान भेजने के लिए अफीम और हैरोइन की हेलमंद और निमरोज़ क्षेत्र द्वारा पाकिस्तानी ज़िलों चागी और नुशकी में तस्करी होती है। यहां तस्करी किये नशीले पदार्थ आबादी वाले क्षेत्रों में आसानी से पहुंचाए जाते हैं।