सरकारी कर्मचारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में केन्द्र सरकार 

धीरे-धीरे सबका नम्बर आएगा। अब तक अपने को सबसे सुरक्षित मान रहे सरकारी नौकरी वालों की बारी आ गई है। केंद्र सरकार दो तरह से सरकारी कर्मचारियों को झटका देने जा रही है। सरकार ने पहले ही हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों और रेल सेवा के निजीकरण से एक झटका दिया है। अब कई बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव है, जिसके बाद बैठे-बैठे सरकारी बैंक कर्मी किसी न किसी निजी बैंक के कर्मचारी बन जाएंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार 50 साल से ज्यादा उम्र के कर्मचारियों की सूची बनवा रही है, जिनके कामकाज की समीक्षा करके उन्हें रिटायर किया जा सकता है। पुराने पेंशन कानून के मुताबिक 50 साल और 55 साल की उम्र और 30 साल की नौकरी को एक माइलस्टोन माना गया है यानि 50 या 55 साल की उम्र होने पर या 30 साल नौकरी पूरी होने पर सरकार कामकाज की समीक्षा कर सकती है। अगर उस समय समीक्षा नहीं की गई तो माना जाता था कि कर्मचारी अपनी उम्र पूरी करके ही रिटायर होगा, पर अब सरकार ने इसमें थोड़ा बदलाव किया है। अब कहा गया है कि इस माइलस्टोन को पूरा करने के बाद सरकार कभी भी समीक्षा करके रिटायर कर सकती है यानि 50 साल की उम्र पर समीक्षा नहीं हुई तो इसका मतलब यह नहीं है कि अगली समीक्षा 55 साल पर ही होगी। बीच में भी सरकार कामकाज की समीक्षा करके रिटायर कर सकती है। 
उप-स्पीकरों के बिना सत्र
संसद का मॉनसून सत्र 14 सितम्बर से शुरू होकर एक अक्तूबर तक चलेगा। यह संयोग है कि संसद का यह सत्र शुरू होगा तो दोनों सदनों में उपाध्यक्ष नहीं होंगे। गौरतलब है कि 17वीं लोकसभा के गठन को सवा साल हो गया है, पर अभी तक उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया गया है। इस बार जिस तरह से सत्र का आयोजन किया जा रहा है, उसे देखते हुए भी लगता नहीं है कि इस बार भी उपाध्यक्ष का चुनाव हो पाएगा। संसद के उच्च सदन राज्यसभा में भी उप-सभापति का पद भी खाली है। जनता दल (यू)के नेता हरिवंश नारायण सिंह उप-सभापति थे पर अप्रैल में उनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही उप-सभापति का उनका कार्यकाल भी खत्म हो गया था। हालांकि जद (यू) ने उन्हें दोबारा राज्यसभा में भेज दिया है, लेकिन सवाल है कि क्या सरकार फिर उन्हें उप-सभापति के तौर पर काम करने का मौका देगी? यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भाजपा और जद (यू) के आपसी संबंध कैसे रहते हैं।
कैबिनेट विस्तार टला 
केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार की अटकलें अब थम गई हैं। पिछले एक साल से मंत्री बनने की आस लगाए बैठे नेता भी अब थक गए हैं। सबको लग रहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र में बड़ा फेरबदल होगा। जनता दल (यू) के सरकार में शामिल होने की चर्चा थी पर ऐसा लग रहा है कि जद (यू) का सरकार में शामिल होना बिहार चुनाव की वजह से ही टल रहा है। सूत्रों का कहना है कि नितीश कुमार विधानसभा की ज्यादा सीटें चाहते हैं और उनकी पार्टी केंद्र सरकार में शामिल होती है तो उनकी मोलभाव की ताकत घटेगी। अगर बिहार चुनाव से पहले केंद्र में विस्तार नहीं होता है तो यह चुनाव खत्म होने तक टला रहेगा। अगर बिहार में सब ठीक रहा और जद (यू), भाजपा, लोजपा की साझा सरकार फिर से बनी तो केंद्र में बड़ा फेरबदल होगा। तब जद (यू) सरकार में शामिल होगा और लोजपा के नेता रामविलास पासवान की जगह उनके बेटे चिराग को मंत्री बनाया जा सकता है। पासवान की सेहत कुछ समय से ठीक नहीं रह रही है। बिहार के अलावा बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के चुनाव को भी ध्यान में रखते हुए केंद्र में विस्तार होगा। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में इस समय 20 से ज्यादा स्थान खाली हैं। 
 सफाई कुबूल नहीं 
कांग्रेस में नेतृत्व के सवाल पर जिन नेताओं ने चिट्ठी लिखी थी, उनमें से कई नेता सफाई दे चुके हैं मगर पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि उनकी सफाई बेअसर है और वे पार्टी नेतृत्व की नजरों से उतर गए हैं। अब उनके लिए पार्टी में कुछ खास जगह नहीं बची है। कुछ नेता ज़रूर इसका अपवाद होंगे पर ज्यादातर को राजनीतिक बियाबान में भटकना होगा। जैसे शशि थरूर अपवाद हैं। उनके खिलाफ केरल कांग्रेस के अध्यक्ष ने टिप्पणी की तो आलाकमान की ओर से फटकार पड़ी और उनको माफी मांगनी पड़ी। ऐसा ही हमला गुलाम नबी आज़ाद, पृथ्वीराज चह्वाण, मुकुल वासनिक, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद आदि पर भी हुआ है, पर उनके पक्ष में आलाकमान की ओर से कुछ नहीं कहा गया। पिछले एक सप्ताह के दौरान मनीष तिवारी, जितिन प्रसाद, अखिलेश प्रसाद सिंह, पीजे कुरियन आदि नेताओं ने सफाई दी है, पर तत्काल इसका कोई फायदा नहीं होना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं की असली मंशा का आकलन किया जा रहा है। कई नेताओं की मंशा पर आलाकमान को संदेह है। माना जा रहा है कि इन नेताओं ने पार्टी के भले के लिए नहीं बल्कि अपने किसी एजेंडे के तहत चिट्ठी लिखी है। इसलिए उनको माफी नहीं मिलेगी। जिनकी मंशा गलत नहीं पाई जाएगी, उनको कुछ समय बाद पूरा सम्मान मिलेगा।